घर-घर हुए दुर्गा पूजन, दिनभर चले कन्या भोज, धूमधाम से मनी राम नवमीं
ग्वालियर। पूरे देश के साथ ग्वालियर में भी रविवार को नवदुर्गा उत्सव के आखिरी दिन राम नवमीं पर मंदिरों में सुबह से ही हवन पूजन, रामायण पाठ के आयोजन किए गये। मंदिरों में कन्या भोज के साथ शुरू हुए भंडारें रात तक चले। शहर के हर मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक भक्तों की भीड़ रही। विशेषकर देवी मंदिरों पर पैर रखने के लिए जगह तक नहीं थी। इसके अलावा शहर के हर गली चैराहा पर अलग-अलग समितियों द्वारा भंडारों का आयोजन किया गया। कुल मिलाकर देखा जाए तो राम नवमीं पर हर तरफ भक्ति व खुशी का माहौल देखा गया।
ग्वालियर में रविवार सुबह से ही मंदिरों में हवन-पूजन व माता पूजन के कार्यक्रम शुरू हो गए थे। ग्वालियर के आसपास बड़े देवी मंदिरों सातऊ स्थित शीतला माता, महलगांव की कैला देवी मैया (करौली), नाका चन्द्र वदनी वैष्णोंदेवी, कैंसर हिल्स मांडरे की माता मंदिर पर सुबह से ही हजारों की संख्या में भक्त व श्रद्धालु पहुंचे और पूजा अर्चना की। बड़े देवी मंदिरों पर पुलिस ने सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए थेे। जिससे कोई अप्रिय घटना न हो सके। इसके अलावा शहर के अन्य छोटे व प्रमुख देवी मंदिरों में भी सुबह से भक्तों की भीड़ लगी रही। उपनगर मुरार के मीरा नगर में शीतला व हनुमान मंदिर में दुर्गा पूजन के साथ-साथ राम नवमीं के मौके पर रामायण पाठ किया गया। रामनवमीं पर घर-घर देवी के रूप में कन्याओं को पूज उपहार वितरित किए। देवी मंदिरों में दिन भर पूजा अर्चना होती रही। नवरात्र संपन्न होने पर लोगों ने घरों में प्रसाद के रूप में हलवा पूरी बनाया। लोगों को कन्याएं तलाशने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके लिए लोग इधर-उधर दौड़ते नजर आए। शाम के समय मंदिरों में देवी मां की विशेष आरती हुई। मंदिरों में श्रद्धालुओं की आस्था देखने को मिली, जहां घंटों कतार में लगकर भक्तों ने मां के दर्शन किए। श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से मां सिद्धादात्रि की पूजा के बाद कन्यापूजन व भोज कराकर व्रत खोला। मंदिरों में श्रद्धालुओं के साथ ही कन्याओं का भी जमावड़ा लगा रहा। अन्य दिनों की अपेक्षा रामनवमी के दिन भक्तों की खासी भीड़ रही। सुबह पांच बजे से ही श्रद्धालु स्थानीय मंदिरों में मां के दर्शन के लिए पहुंचे। रामनवमी के अवसर पर कन्या भोज कराने वालों में महिला श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा रही। कुछ महिलाओं ने अपने घरों में जबकि ज्यादातर महिला श्रद्धालुओं ने मंदिरों में कन्या भोज का आयोजन किया। श्रद्धालुओं ने कन्याओं को भोजन कराने के बाद स्वेच्छा से कन्याओं को पैसे, कपड़े व श्रृंगार की सामग्री वितरित की। जगह-जगह भंडारा प्रसाद का भी वितरण हुआ।