स्थायी आधारभूत संरचनाओं के लिए अनिवार्य है निर्माण स्थल के भूमिगत जल का अध्ययन: डॉ सुयश
आईटीएम महाविद्यालय के संचालक डॉ मीनाक्षी मजूमदार के निर्देशन और सिविल अभियांत्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आशुतोष शंकर त्रिवेदी की अध्यक्षता में *'आधुनिक आधारभूत संरचनाओं के विकास में भूजल विज्ञान की भूमिका'* विषय पर विषय विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित किया गया. कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ एवं मुख्य वक्ता डॉ सुयश कुमार, प्राध्यापक भूविज्ञान, शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के सिविल अभियांत्रिकी विभाग के छात्र-छात्राओं को भूमिगत जल के सिद्धांतों से परिचित कराया और स्थाई संरचनाओं के निर्माण में भू-जल विज्ञानियों की भूमिका पर प्रकाश डाला. छात्रों को अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि प्राकृतिक जल संसाधनों के प्रति मानव का दृष्टिकोण समय के साथ विकसित हुआ है और यह जल आखेटक, जल संग्रहक और जल उत्पादक के मार्ग से जल निर्यातक की भूमिका तक पहुंच चुका है परन्तु यदि हमने अपने जल संसाधनों का विवेकपूर्ण प्रबंधन नहीं किया तो यह भूमिका जल योद्धा तक ले जाएगी. ग्वालियर क्षेत्र में भूजल अन्वेषण में आधुनिक तकनीकियों के उपयोग के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए उन्होंने जल संसाधनों के विषय में प्राचीन भारत की प्रज्ञता से भी परिचित कराया, साथ ही जलवायु परिवर्तन, कार्बन डाइऑक्साइड क्षय, भूजल प्रदूषण आदि महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार रखे. हाल में तेलंगाना और उत्तराखंड प्रदेशों में सुरंग दुर्घटनाओं में भूमिगत जल की भूमिका पर भी विस्तृत चर्चा की. कार्यक्रम का संचालन डॉ अंकित श्रीवास्तव ने किया. अवसर पर अभियांत्रिकी विभाग के संकाय सदस्य और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे