“सत्यं शिवं सुन्दरम्” का सूत्र सिखाती है भगवान शिव की कथा - डॉ. सर्वेश्वर
Title 1: विश्व के कण-कण में है शिव तत्व की थिरकन - डॉ. सर्वेश्वर
Title 3: ब्रह्मज्ञान के माध्यम से शिव तत्व भीतर प्रकट होता है - डॉ. सर्वेश्वर
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से शिवाजी प्लेस, विशाल सिनेमा रोड, राजौरी गार्डन ग्राउंड, पुलिस स्टेशन के पास, आर.जी.स्टोन अस्पताल के सामने, नई दिल्ली में 7-13 अप्रैल 2025 तक सात-दिवसीय भगवान शिव कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है, जिसका समय सायं 4.00 से रात्रि 8.00 बजे तक है। कथा के प्रथम दिवस गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य कथा व्यास डॉ. सर्वेश्वर जी ने कथा माहात्म्य का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान शिव की महिमा तो ऐसी है जो देश-काल की समस्त सीमओं से परे विश्व के कण-कण में समाहित है। आज केवल भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में भगवान शिव के असंख्य भक्त उनकी उपासना करते हैं। यदि विश्व की विभिन्न प्राचीन सभ्यताओं की ओर दृष्टिपात करें तो वहाँ भी भगवान शिव की उपासना के असंख्य प्रमाण मौजूद हैं। उदाहरणस्वरूप तुर्किस्तान के बेबीलोन शहर में एक हजार दो सौ फुट का एक विशाल शिवलिंग पाया गया है। स्कॉटलैंड में स्वर्णजड़ित एक विशाल शिवलिंग है। आयरलैंड के तारा हिल में एक बहुत पुराना शिवलिंग स्थापित है। दक्षिण अफ्रीका के ब्राज़ील शहर में अनेकों शिवलिंग हैं। इसी प्रकार मेक्सिको, जावा, कम्बोडिया, सुमात्रा, नेपाल, भूटान, इटली, यूरोप आदि देशों में विभिन्न प्राचीन शिवलिंग होने के प्रमाण मिले हैं। ये सब साक्ष्य भगवान शिव की सर्वगम्यता व असीमित लोकप्रियता को ही दर्शाते हैं। बात करें भारत देश की, तो इतने विदेशी आक्रमणों के बाद भी यदि भारतीय संस्कृति प्रफुल्लित साँसें भर रही है तो इसका एकमात्र कारण है इसकी धमनियों में प्रवाहित होता शिव तत्व। या यूँ कहें कि भारत देश की तो आत्मा ही महादेव हैं। लेकिन अफ़सोस, आधुनिकता की अंधी दौड़ में दौड़ती भारत देश की संतानें आज शिव तत्व से कोसों दूर हो पतन की गहरी खाई में लुढ़कती चली जा रहीं हैं। आज समाज में व्याप्त हिंसा, वैमनस्य, मतभेद सब शिव तत्व का समाज से विलुप्तिकरण ही दर्शाते हैं। प्रभु की यह पावन कथा उसी सनातन शिव तत्व को उजागर करने आई है। शिव तत्व को ब्रह्मज्ञान के माध्यम से घट में प्रकट करने आई है। ताकि शिव की संतानें “सत्यं शिवं सुन्दरम्” के सूत्र का अनुसरण करते हुए इस मायायुक्त संसार में सत्य का वरण कर शिवपथ अर्थात् कल्याणकारी पथ पर आगे बढ़ें और अपने जीवन को सुंदर बना लें। कथा का समापन प्रभु की पावन आरती से किया गया।