साइबर सुरक्षा हेतु जागरूक करने ABVIIITM ग्वालियर का पुलिस के अधिकारियों का जागरूकता अभियान
ग्वालियर : मध्य प्रदेश पुलिस का सायबर अपराधों के प्रति “जन जागरूकता अभियान” 1 से 11 फ़रवरी 2025 तक मनाया जा रहा है। 150 से अधिक देशों में मनाया जाने वाला सुरक्षित इंटरनेट दिवस सभी के लिए, विशेषकर बच्चों और युवा वयस्कों के लिए एक सुरक्षित और समावेशी डिजिटल वातावरण बनाने के महत्व पर प्रकाश डालता है। ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने से लेकर व्यक्तियों को ऑनलाइन दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करने के लिए सशक्त बनाने तक, सुरक्षित इंटरनेट दिवस का उद्देश्य शिक्षित करना और प्रेरित करना है। इसी तत्वावधान में ग्वालियर में पदस्थ मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारीगण द्वारा एक अत्यंत ही लाभकारी सत्र आयोजित किया गया जिससे संस्थान के संकाय व असंकाय सदस्य एवं संस्थान में अध्यायनरत छात्र छात्राएँ लाभान्वित हुए।
संस्थान की ओर से इस कार्यक्रम के मुख्य संयोजक डॉ. सोमेश कुमार थे। कार्यक्रम में निम्नलिखित अधिकारीगण उपस्थित रहे - एडिशनल एसपी श्री लाल कृष्ण चंदवानी, श्रीमान जेड ईन लिन जेरपा (भापुसे), श्री नागेंद्र सिकरवार नगर पुलिस अधीक्षक महाराजपुर , निरीक्षक श्री शिव मंगल सिंह सेंगर, उप निरीक्षक श्री विश्व वीर जाट साइबर सेल प्रभारी, उप निरीक्षक विजेंद्र भदोरिया, उप निरीक्षक नरेंद्र छिकारा, उप निरीक्षक संजेश भदोरिया, सहायक उप निरीक्षक सत्येंद्र कुशवाहा प्रधान आरक्षक अनिल गुप्ता आरक्षक श्री कृष्णा आरक्षक भानु आरक्षक अरुण आरक्षक कपिल पाठक साइबर सेल, ग्वालियर।
एबीवी - आई. आई. आई. टी. एम. ग्वालियर संस्थान के मध्य प्रदेश पुलिस के द्वारा उठाए गए इस सरहनीय कदम से साइबर ठगी के नए नए तरीकों से सभी लोग अवगत हुए। प्रभावशाली चलचित्रों के माध्यम से सभी ने इंटरनेट के द्वारा हो रहे अपराधों के तरीकों को समझा व जाना कि उन्हें किस तरह सतर्क रहना है। इन चलचित्रों में यह दर्शाया गयी कि किस तरह बड़े बड़े कंपनी के मालिक भी इस ठगी का शिकार हो रहे हैं। इस चलचित्र में पुत्र के एक्सिडेंट कि घटना बता करके व इनको बातों में उलझा करके यह महसूस कराया कि यह घटना सही है, इनके अकाउंट से लाखों रुपये निकाल लिए गए। अपराधी जिस व्यक्ति से बात करते हैं उनकी जानकारी पहले से ही निकाल लेते हैं, जैसे कि उनका नाम, उनके पुत्र का नाम इत्यादि ताकि व्यक्ति को यह लगे कि वह उनके बारे मैं जानता है। एक्सिडेंट की आपात स्थिति बताकर इमोश्नल करके उन्हें यह सोचने का मौका ही नहीं दिया कि वे क्रॉस चेक कर सकें। बेटे का एक्सिडेंट बताकर तुरंत पैसे डालने के लिए मजबूर करते हुए कहता है कि आप तत्काल पैसे डालें, डॉक्टर ऑपरेशन करने जा रहा है अन्यथा बेटे की मृत्यु हो जाएगी। चूंकि ऐसे में व्यक्ति सोचने समझने की शक्ति खो बैठता है वह तुरंत ही बिना वस्तु स्थिति जाने गलत कदम उठा बैठता है। उन्होने बताया कि ऐसे में हमें इस प्रकार से सचेत रहना है कि ऐसी कोई भी घटना, कोई भी फोन कॉल आपके पास आता है तो आप भावुक ना हों। उसकी जानकारी प्राप्त करें, जिसका एक्सिडेंट हुआ है उसे फोन लगाएँ, या उसके आस पास के लोगों व मित्रों को फोन लगाएँ जिससे यह कन्फ़र्म हो जाये कि घटना सही है या गलत, इसके उपरांत ही अपना निर्णय लें। इसी क्रम में कई हास्य व व्यंग्य के चलचित्र भी दिखाये गए जिनमें एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण संदेश छुपा हुआ था।
सर्वप्रथम हजीरा थाना के थाना प्रभारी श्री शिव मंगल सिंह सेंगर ने सभी को संबोधित करते हुए बताया कि संस्थान के निदेशक महोदय प्रो. श्री निवास सिंह जी से अनुरोध करने पर उन्हें संस्थान में जागरूकता सत्र के आयोजन हेतु सुअवसर प्राप्त हुआ है जिसके वे अत्यंत ही आभारी हैं। साइबर अपराध से हम कैसे बच सकते हैं इस पर उनहोने अपने सुझाव व संवाद प्रस्तुत किया। इसी के साथ उन्होने बताया कि डिजिटल अरैस्ट के ऊपर भी आजकल अपराध हो रहे हैं, उससे हम कैसे बच सकते हैं, क्या सुरक्षा रखनी होगी, उसके बारे में चर्चा की। उन्होने सभी से अनुरोध किया कि सतर्कता हेतु वह जो बातें बता रहे हैं आशा है कि सभी लोग अपने मित्र, अपने परिवार के सदस्य, अपने व्हाट्स एप्प ग्रुप के माध्यम से सभी को जागरूक करेंगे। करें। इंटरनेट के द्वारा होने वाले अपराध समाज में एक बहुत ही भयंकर बीमारी के रूप में फैलता जा रहा है। आपलोग सुन रहे होंगे कि प्रतिदिन आपके आसपास रहने वाले आपके मित्रगणों के साथ भी इस प्रकार की घटनाएँ हो रही हैं। इस प्रकार कि घटनाएँ न केवल अशिक्षितों अपितु पढे लिखे शिक्षित वर्ग के साथ भी इस प्रकार कि घटनाएँ हो रही हैं जिसका उदाहरण हाल ही में डिजिटल अरैस्ट हुए ग्वालियर के इंजीनियर, डॉक्टर व प्रोफेसर हैं। कुछ छात्रों के साथ भी आए दिन इस प्रकार के अपराध घटित हो रहें है। थाने में इस प्रकार की कई शिकायतें आती हैं जिससे यह मालूम चलता है कि कोई भी वर्ग इन अपराधों से अछूता नहीं रहा है। यह एक गलतफहमी है इस प्रकार की घटनाएँ केवल अशिक्षित लोगों के साथ भी हो सकती हैं अपितु साशन प्रसाशन से जुड़े हुए लोगों के साथ भी हो सकती हैं। चूंकि अपराधी आपको फोन पर ट्रैक करता है व आपके बारे में सारी जानकारी प्राप्त कर आपकी गाढ़ी कमाई को ले लेता है। वह यह नहीं देखता है कि आप किस पद पर हैं या आपकी क्या प्रतिष्ठा है। अगर हम ग्वालियर की ही बात करें तो हर विभाग और उनमें कार्यरत शिक्षित व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हैं। इन फ्रॉड लोगों के चंगुल में फंस चुके हैं और पैसे गँवा चुके हैं। यहाँ पर मौजूद कई ऐसे सदस्य होंगे जिनके साथ यह घटनाएँ हो चुकी होंगी या उनके आसपास या परिवारजनों के साथ इस प्रकार की घटनाएँ हुई होंगी, इसलिए हम सबको सतर्क रहने की बहुत आवश्यकता है। ग्वालियर की ही यह एक घटना है कि शहर के एक डॉक्टर को डिजिटल अरैस्ट का डर दिखा कर उनसे करीब 51 लाख रुपये ठगे जा चुके हैं। डिजिटल अरैस्ट एक प्रकार का इंग्लिश का शब्द बना दिया गया है, जिसको लेकर यह सोचा जाता है कि आजकल ऑनलाइन व इंटरनेट का ज़माना है तो इस प्रकार की अर्रेस्टिंग होती होगी और इस तरह हम आज डिजिटल अरैस्ट में फंस चुके हैं। अरैस्ट ज़रूर होता है और डिजिटल होता है जिसमें डिजिटल सिग्नेचर लेकर कस्टडी में लिया जाता है, वो अरैस्ट होता है। वास्तविकता में कानून में डिजिटल अरैस्ट नाम की कोई चीज़ अस्तित्व में ही नहीं हैं। आजकल ऑनलाइन के जमाने में ये केवल अपराधियों द्वारा बनाए हुए शब्द हैं, जिससे आपको भयभीत करके ये अपराधी आपके पैसों को लूट लेते हैं। मोबाइल फोन यदि हमारे लिए हमारा सबसे बड़ा साथी है तो उससे ज़्यादा यह हमारा दुश्मन भी है। आपकी सारी जानकारी इस मोबाइल के द्वारा ही अपराधियों तक पहुँचती है। आपके द्वारा की गयी गलती या लापरवाही से ही आपका सारा डाटा शेयर हो जाता है। आपका पूरा बायो डाटा अपराधियों तक आपके फोन के माध्यम से ही पाहुच जाता है। आपके पूरे परिवार के सदस्यों की जानकारी शेयर हो जाती है। इसके अलावा आपकी कोई निजी जानकारी भी आपके मोबाइल फोन से प्राप्त कर लेता है। व इसके उपरांत आपकी निजी जानकारी बताकर आपको इतना भयभीत कर देता है कि आपकी सोचने समझने की शक्ति उस समय क्षीण हो जाती है। इस तरह हम लोग इन अपराधियों के चंगुल में फंस जाते हैं, और डर के कारण व्यक्ति फिर अपने परिवार को या अन्य किसी को भी नहीं बताता है। उन्होने बताया कि डिजिटल अरैस्ट से भयभीत होने की कोई ज़रूरत नहीं है क्यूकि इस तरह की कोई अर्रेस्टिंग है ही नहीं। अन्यथा इसके अत्यंत ही दर्दनाक परिणाम भी देखने को मिले हैं, जैसे कि आत्महत्या। अंजाने नंबरों से आए फोन कॉल से सतर्क रहें, फ़ेस बुक पर अपरिचितों को ना जोड़ें, इसके अलावा बैंक का हवाला देकर ए टी एम संबन्धित जानकारी प्राप्त करने वाले फोन काल्स से भी सावधान होने की ज़रूरत है। ए टी एम में भी पैसा निकलते वक़्त विशेष सावधानी रखें।
साइबर फ्रॉड से बचने के लिए आई पी एस अधिकारी श्री जेड ईन लिन जेरपा जी ने सुरक्षा संबंधी अपना उद्बोधन दिया। उन्होने संबन्धित जानकारी देते हुए बताया कि जैसा कि आप सबको पता है कि साइबर जागरूकता न केवल ग्वालियर, भारत बल्कि विश्व स्तर पर भी समाज में चिंता का विषय है। डिजिटल अरैस्ट का कान्सैप्ट एक नया कान्सैप्ट है और लगभग कुछ वर्षों से ही प्रचलन में आया है जिसमें आपको एक कमरे में स्क्रीन के सामने लाकर सीमाबद्ध कर दिया जाता है। उन्होनें अपने मित्र के भाई के साथ घटित हुई घटना के बारे में बताया जिसमें अपराधियों द्वारा 50 लाख रुपयों का फ्रॉड किया गया था। यह सिर्फ सोशल इंजीनियरिंग की एक अवधारणा है, जिसमें आपको मनोवैज्ञानिक तरीके से मेनिपुलेट किया जाता है जिसमें आपका भरोसा जीतकर, आपको अरजेंसी बताकर व आपको भावनात्मक रूप से कमजोर बनाकर आपको गलत निर्णय लेने पर मजबूर कर देते हैं। इसलिए हमें सोच समझकर ही निर्णय लेना चाहिए। उन्होने छात्रों को ऑनलाइन दिये जाने वाले जॉब से संबन्धित फ्रॉड के बारे में भी अवगत कराया। और उन्होने बताया कि हमें फ्री वाई फाई के उपयोग से भी बचना चाहिए और अगर अति आवश्यक होने पर अगर फ्री वाई फाई का उपयोग भी करना पड़े तो उस समय बैंकिंग संबन्धित कोई कार्य ना करें। उन्होने कहा कि आप लोग इस देश का भविष्य हैं “बी द फ्युचर, डोंट बी द विक्टिम्स”।
अपर पुलिस अधीक्षक श्री लालचंदानी (आई पी एस) ने भी साइबर सुरक्षा पर प्रकाश डाला। उन्होने छात्रों को अपनी आईपीएस बनने तक की यात्रा, तथा भविष्य के उपलब्ध विकल्पों के बारे में बताया। उन्होने कहा कि जब भी मैं युवा चेहरों को देखता हूं तो मुझे लगता है कि आप सभी को प्रेरित करना मेरा कर्तव्य है। उन्होने डिजिटल अरैस्ट, फेक ए पी के फाइल्स, व्हाट्स एप्प ऑटो डाऊनलोडफीचर, सेक्सटोरशन, ए टी एम फ्रॉड , इनवेस्टमेंट फ्रॉड, ऑनलाइन रिवियू फ्रॉड तथा अन्य साइबर सुरक्षा संबन्धित कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा की तथा युवाओं को महत्वपूर्ण संदेश दिया। उनके द्वारा प्रस्तुत पीपी टी में दर्शाये गये चित्रों के माध्यम से साइबर सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया।
सी एस पी महोदय ने कहा कि रुकें, सोचें, समझें और एक्शन लें इस स्लोगन को अगर आप याद रखेंगे तो साइबर समन्धी अपराधों से हमेशा सुरक्शित बने रहेंगे। अंत में श्री नागेंद्र सिकरवार डी एस पी क्राइम ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। संस्थान के प्रत्येक सदस्य को सायबर सुरक्षा से संबन्धित पम्पलेट वितरित किए गए। को सभी ने साइबर अपराध से बचाव और जागरूकता का संदेश लेकर अपने आपको भविष्य में सतर्क रखने हेतु संकल्प लिया। यह जानकारी संस्थान की मीडिया प्रभारी श्रीमती दीपा सिंह सिसोदिया के द्वारा दी गयी।