हमने पृथ्वी को माँ माना, उसकी चिंता भी करेंः- कुलपति पांडे


कृषि विश्वविद्यालय में मना मृदा दिवस

ग्वालियर। कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर में नाहेप परियोजना अंतर्गत विश्व मृदा दिवस पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति डॉ. अखिलेश कुमार पांडे ने कहा पृथ्वी को माता का दर्जा विश्व में भारतीय संस्कृति में ही दिया गया है। अतः हमें इसके पुत्र के नाते उसके स्वास्थ्य की चिंता भी करनी चाहिए। आपने कहा कि हमारा भारत विविधताओं का देश है, जिसमें विभिन्न प्रकार फसलें, खाद्यान्न आदि का उत्पादन किया जाता है। कृषि वैज्ञानिकों के परिश्रम से हमारे देश में हरित क्रांति हुई। कोरोनाकाल में प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था गडबडायी लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान होने के कारण स्थिर रही। प्रो. पांडे ने कहा कि आज मृदा में उत्पादन हेतु केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है जिसमें 5 प्रतिशत ही मृदा अवशोषित करती है शेष हमारे अनाज, खाद्यान्न में मिलकर 95 प्रतिशत हमें वापस प्राप्त हो रहा है। जिससे मृदा स्वास्थय के साथ-साथ मानव स्वास्थय पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आपने कहा कि आज जो हम सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कर रहे है उसके लिए हमारे वैज्ञानिकों को यह प्रयास करना होगा कि हम प्लास्टिक का वैकल्पिक उपाय ढूंढे। रिड्यूज, रियूज और रिसाइकिल का प्रयास करना चाहिए। नई शिक्षा की बात कहते हुए उन्होंने बहु अनुशासनिक पहलू पर ध्यान देने के लिए भी कहा । 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविन्द कुमार शुक्ला ने मृदा दिवस के इतिहास बताते हुए कहा कि थाइलैंड के राजा किंगभूमिबोल के जन्म दिवस के उपलक्ष्य यह मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरूआत 2014 से हुई । डॉ. शुक्ला ने कहा कि हमारा शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है इसमें प्रमुख तत्व के रूप में मृदा व जल हैं। वही आज मृदा दिवस की थीम ‘‘ मृदा एवं जल: जीवन के स्त्रोत’’ भी है। मिटटी को पारिस्थितिकी तंत्र में सेवा प्रदाता के रूप में माना जाता है। इसमें सतत पौधे एवं पशु उत्पादकता बढ़ाना, जल व वायु की गुणवत्ता को बनाये रखने, विभिन्न जीवों के आवास मिटटी के पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण को नियंत्रित करना व पौधे व पशु के मानव स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में भी मृदा का महत्वपूर्ण योगदान है।
कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवायें एवं नाहेप परियोजना समन्वयक डॉ. वाय.पी. सिंह ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी का क्षरण उर्वरता में गिरावट व कार्बनिक पदार्थो की हानि हो रही है। इस हेतु सतत कृषि के लिये हमें मृदा स्वास्थ्य एवं जल संरक्षण पर ध्यान देने की आवश्यता है। साथ ही कार्यक्रम में अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. मृदुला बिल्लौरे व निदेशक अनुसंधान सेवायें डॉ. संजय शर्मा मंचासीन रहे।
मृदा स्वास्थ्य हेतु जागरूकता अभियान कार्यक्रम में विश्वविद्यालय द्वारा वृहद स्तर पर शोभा यात्रा का आयोजन किया गया जिसमें अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय, ग्वालियर डॉ. एस.एस.तोमर, कार्यपालन यंत्री इंजी. एच.एस. भदौरिया, सहायक कुलसचिव डॉ. एन.एस. भदौरिया, सहपरियोजना समन्वयक डॉ. अखलेश सिंह एवं जिले के विभिन्न विद्यालयों दून पब्लिक स्कूल, कार्मल कान्वेट स्कूल, सैंट जॉन वैनी स्कूल, ग्वालियर ग्लोरी स्कूल, भारतीय विद्या निकेतन स्कूल, विद्यावती सेंटर पब्लिक स्कूल भिण्ड, दिल्ली पब्लिक एकेडमी, ए.एम. आई. शिशु मंदिर स्कूल आदि के लगभग 250 विद्यार्थी, कृषि महाविद्यालय ग्वालियर के विद्यार्थी, कृषि विज्ञान केन्द्र ग्वालियर के वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारी कर्मचारी सम्मिलित हुये। विश्वविद्यालय की अन्य इकाईयों कृषि महाविद्यालय, सीहोर, खण्डवा, इंदौर व उद्यानिकी महाविद्यालय, मंदसौर, कृषि अनुसंधान केन्द्रों व कृषि विज्ञान केन्द्रों पर भी व्याख्यानों का आयोजन किया गया।
4 दिसंबर को आयोजित मृदा स्वास्थ्य पर आधारित रंगोली प्रतियोगिता में प्रथम पुरूस्कार रेणु शर्मा और पारूल दहरिया, स्लोगन प्रतियोगिता में प्रथम पुरूस्कार श्रुति पंत, क्विज प्रतियोगिता में प्रथम पुरूस्कार समृद्ध ढोले व भीम सिंह, एक्सटेम्पोर प्रतियोगिता में प्रथम पुरूस्कार समृद्ध ढोले व पोस्टर मेकिंग में प्रथम पुरस्कार खेरूनिशा, निबंध मंे प्रथम पुरस्कार वैशाली नामदेव को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार वितरित किये गये।

posted by Admin
381

Advertisement

sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
Get In Touch

Padav, Dafrin Sarai, Gwalior (M.P.)

00000-00000

sandhyadesh@gmail.com

Follow Us

© Sandhyadesh. All Rights Reserved. Developed by Ankit Singhal

!-- Google Analytics snippet added by Site Kit -->