राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों का भारत: अरविन्द जैमिनी

नेपाल की सीमा से लगा बिहार का जिला चंपारण स्वाधीनता संग्राम के दौरान काफी चर्चित और सक्रिय रहा था। जहां आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने कहा था कि नशा आत्मा और शरीर दोनों का नाश करता है। जिसे जड से खत्म करना होगा। उन्होंने इच्छा जाहिर की थी कि भारत देश नशा मुक्त होकर देश की जनता आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्तर पर उन्नति करे। देश को गरीबी, निरक्षरता और छुआछूत जैसी बुराईयों और कुरीतियों से मुक्ति गांधी जी का सपना था।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती 2 अक्टूम्बर को भारत में देश भर में  शुष्क दिवस (शराब बंदी एवं नशा मुक्त), नशा निरोधक दिवस मनाया जाता है तथा देशभर में बडे जोर-शोर से जगह –जगह भाषण होते हैं, रैलियां निकाली जाती हैं कि गांधी जी के सपनों का नशा मुक्त भारत का निर्माण करेंगे और उसके दूसरे दिन से ही शराब तथा नशे की दुकानें खोली व सजाई जाती हैं। जिस प्रकार त्योहारों पर घरों तथा मिठाई की दुकानों को सजाया जाता है, उससे भी ज्यादा चौराहों पर शराब की दुकानों को सालभर सजाया जाता है। नशीले पदार्थों की तस्करी बढना भी चिंता का विषय है तथा अवैध रुप से आयोजित रेव पार्टियां नशे की भयाभयता को दर्शाती है। नशे के सौदागरों व्दारा नशीले पदार्थों की तस्करी भी चिंता का विषय है। समाचार पत्रों, न्यूज चेनलों के माध्यम से आये दिन ज्ञात होता रहता है कि शराब व नशाबंदी को लेकर देश के विभिन्न राज्यों में समाज सेवियों, महिलाओं /बच्चों व्दारा धरना प्रदर्शन किये जाते हैं, रैलियां निकाली जाती हैं, जिम्मेदार अधिकारी/ नेताओं को ज्ञापन दिये जाते हैं। लेकिन  नशाबंदी को लेकर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जाती है। जिसके दुष्परिणाम स्वरुप गांव, शहर, गली मोहल्ले शराब/नशे की गिरफ्त में आ जाते हैं और बच्चे, महिलायें, युवावर्ग नशे का उपभोग करने लगते हैं। जिससे आमजन के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यह मानसिक और शारीरिक रूप से व्यक्ति को कमजोर और निर्बल बना देता है। नशे के कारण लोग अपने परिवार, दोस्तों, साथियों और समाज को छोड़कर अकेलेपन का शिकार हो जाता है। समाचार पत्रों, न्यूज चेनलों के माध्यम से यह भी ज्ञात होता रहता है कि देश में नशे के कारण जघन्य अपराध –चोरी, डकैती, बलात्कार, एक्सीडेंट, प्राणघातक बीमारी, लडाई, झगडे, महिला -बच्चों पर अत्याचार, अराजकता की घटनायें होना आम बात है, जिसके कारण कई परिवार गरीबी -तंगहाली में जीने हेतु मजबूर हो जाते हैं। उक्त के परिणाम स्वरुप ही नकारात्मक घटनाओं से समाचार पत्र भरे होते हैं उनमें सकारात्मक खबरों की संख्या बहुत ही नगण्य होती हैं।
देश के राज्य जिनमें बिहार, गुजरात, मिजोरम, नागालैण्ड (शराब एवं नशे पर प्रतिबंध) तथा ओडिशा (शराब एवं नशे पर प्रतिबंध विचाराधीन) की सरकारें अपनी प्रजा की खुशहाली के लिये साहसिक कदम उठाये जाने पर बधाई की पात्र हैं। लेकिन विडंबना यह भी है कि शराब एवं नशे पर प्रतिबंधित राज्यों से लगी दूसरो राज्यों (जिनमें प्रतिबंध नहीं है) वहां से चोरी-छिपे शराब व नशे की तस्करी की जाती है। शराब एवं नशे पर प्रतिबंधित राज्य सरकारों से भारत सरकार एवं देश की अन्य राज्य सरकारें सीख ले सकती हैं।  वर्ष 2009 में गुजरात भारत का एकक् मात्र ऐसा राज्य बन गया जिसने शराबबंदी कानून के उल्लंघन के लिये मृत्यदंड का प्रावधान किया था। उक्त कानून गुजरात में अवैध शराब पीने से 136 लोगों की मौत के बाद लागू किया गया था, उस समय मा. नरेन्द्र भाई मोदी जी राज्य के मुख्यमंत्री थे। बिहार के मुख्यमंत्री मा. नीतिश कुमार व्दारा 1 अप्रैल 2016 को प्रदेश में शराबबंदी कानून लागू करने के बाद महिलाओं एवं सामाजिक समूहों ने उनके कदम की व्यापक सराहना की। 5 जनवरी 2017 को देश के प्रधानमंत्री मा. नरेन्द्र भाई मोदी जी ने बिहार में शराब पर प्रतिबंध लगाये जाने पर मुख्यमंत्री मा. नीतिश कुमार के उक्त कदम को साहसिक कदम बताया। उन्होने भाषण में कहा था कि सामाजिक बदलाव लाना एक कठिन काम है। समाज को भी इसमें सहयोग करना चाहिये। ऐसा भी ज्ञात होता है कि देश में जिन राज्य सरकारों व्दारा शराब बंदी /नशामुक्त घोषित किये गये हैं तथा पावंदिया लगायी गयी हैं साथ ही आमजन को जागरुक किया गया है वहां पर अराजकता /अपराध तथा गरीबी का ग्राफ काफी कम हुआ है। जिसके परिणाम स्वरुप वहां पर परिवारों तथा आमजन में भाईचारा, सामाजिक कार्यों के प्रति रुचि, अच्छे संस्कार, व्यापार तथा बचत का ग्राफ बढा है। भारत सरकार तथा राज्य सरकारों से कुछ लोगों को छोडकर (जिनकी संख्या नगण्य होगी) आमजन, महिलायें, बच्चे स्वच्छ वातावरण, सुरक्षा तथा खुशहाल माहौल की अपेक्षा रखते हैं, जो कि नशा मुक्त भारत में ही संभव प्रतीत होता है।
देश में आमजन, महिलाओं व बच्चों के उत्थान, उनकी सुरक्षा तथा उनके उज्जवल भविष्य के दृष्टिगत आगामी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 02 अक्टूबर पर आने वाली जयंती पर उनके सपनों को साकर करने हेतु शराब तथा अन्य समस्त मादक पदार्थों की खरीद फरोख्त तथा सेवन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाना उचित होगा तथा देशभर में शराब व नशा मुक्ति के साथ –साथ स्वच्छ भारत अभियान में अभिशाप बने तम्बाखू मसाला गुटखा (केंसर रोग का प्रमुक कारण) को भी पूर्णतः प्रतिबंधित किये जाने हेतु कठोर कदम उठाये जाने होंगे। देश में नशा खोरी ऐसे ही चलती रही तो लाखों जिंदगियां व परिवार तबाह होते रहेंगे। जिसके निवारण के लिए सामाजिक जागरूकता लाना भी बहुत आवश्यक है, जिसके लिये सर्वप्रथम समाज को जागरुक करना तथा नैतिक चेतना लानी होगी। वर्तमान में ग्वालियर चंबल संभाग के संत श्री हरिगिरि जी महाराज व्दारा शराब व नशे के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के गुर्जर समाज में सकारात्मक परिणाम देखे जा रहे हैं। अत: संत श्री हरिगिरि जी महाराज का अनुसरण करते हुये समस्त समाज सेवियों, धर्म गुरुओं, साधू संतों, पुजारियों तथा पंडित – पुरोहितों व्दारा भी नशे के विरुध्द देश भर में सघन जागरुकता अभियान चलाये जाने की आवश्यक्ता है। देश में शराब तथा अन्य मादक पदार्थों की खरीद फरोख्त तथा सेवन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाये जाने पर नशा मुक्त भारत में ऐसा अनुमान है कि लगभग 80 प्रतिशत अपराध व आकस्मिक घटनायें स्वतः कम हो जावेंगी। जिससे देश में गरीबी को भी जल्दी समाप्त किया जा सकेगा। क्योंकि ज्यादातर आमजन और मध्यम परिवारों के शराब व नशे की गिरफ्त में आ जाने पर उनके घर परिवार बर्वाद हो जाते हैं तथा गली मोहल्ले व समाज में अराजकता फैलती है एवं अपराधों में बृध्दि होती है। जो कि गरीबी का मुख्य कारण बनता है। शराब व नशा बंदी के बाद देशभर में आबकारी अमले का पुलिस विभाग में संविलियन कर सकते हैं। जिससे पुलिस विभाग में अधिकारी एवं कर्मियों की कमी को भी दूर किया जा सकता है।
देश में शराब व मादक पदार्थों से प्राप्त राजस्व की बात है तो शासन व्दारा देश में अपराध, एक्सीडेंट एवं बीमारियों के नियंत्रण हेतु अस्पतालों /न्यायालयों/ पुलिस व्यवस्था आदि पर जो व्यय करना होता है। नशा मुक्त भारत में उक्त व्यय में काफी कमी आने का अनुमान है। जिससे स्वतः ही शराब व मादक पदार्थों से प्राप्त राजस्व की भरपाई हो सकती है तथा देश में पशु पालन, दुग्ध उत्पादन, ऑर्गेनिक खेती आदि को बढावा देकर उनसे प्राप्त आय से भी कुछ हद तक उक्त राजस्व की भरपाई हो सकती है, ऐसा अनुमान हैl अतः नशा मुक्त भारत में ही गांधी जी के खुशहाल भारत की कल्पना साकार हो सकेगी।
(लेखक अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण सभा म.प्र. के प्रदेश महामंत्री  हैं)

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