नवगठित मध्यप्रदेश महापौर परिषद का प्रथम सम्मेलन आयोजित, महापौर डॉ. सिकरवार हुई शामिल
ग्वालियर। इंदौर में ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ मेयर्स के मध्य प्रदेश इकाई द्वारा प्रदेश के नगर निगम महापौर सदस्यों की वार्षिक बैठक ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर इंदौर में आयोजित की गई है। इंदौर में आयोजित बैठक में नगर निगम महापौर डॉ. शोभा सतीश सिंह सिकरवार ने शहर विकास के संबंध में अपने सुझाव दिए।
इंदौर में नव गठित मध्यप्रदेश महापौर परिषद का प्रथम सम्मेलन का आयोजन किया गया। बैठक में विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गई। जिसमें मध्यप्रदेश एवं अन्य प्रदेशों के महापौरों के प्रदेश की राजधानी भोपाल आगमन पर पदीय गरिमा के अनुरूप निवास आदि की समुचित व्यवस्था की दृष्टि से प्रस्ताव पर चर्चा की गई। इसके साथ ही नगरीय निकायों के कुशल संचालन की दृष्टि से देश और दुनिया में नवाचारों के माध्यम से तकनीकी, प्रशासनिक, पर्यावरणीय, स्वच्छता, स्वास्थ्य को लेकर अनुकरणीय कार्य किये जा रहे है। उदाहरण के लिए इंदौर नगर निगम द्वारा स्वच्छता के क्षेत्र में निरंतर गौरवमयी उपलब्धियां अर्जित की जा रही हैं। इसी प्रकार अन्य निकायों द्वारा भी प्रेरक उल्लेखनिय कार्य किये जाते रहे हैं। परस्पर जानकारी के अभाव में व्यापक रूप से हम उनसे लाभान्वित नही हो पाते। जैसे कि सरकार, राज्य सरकारों द्वारा भ्रमण कार्यक्रम बनाकर देश एवं विदेश में मंत्रीगणों, सांसदों, विधायकों को अध्ययन, अवलोकन के लिए भेजा जाता है। उसी प्रकार महापौरों को भी उत्कृष्ट कार्य करने वाली नगरीय निकायों में भेजने के लिए प्रस्ताव अखिल भारतीय महापौर परिषद में भेजा जाये। इसके पूर्व प्रदेश इकाई द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने वाले भारत और विदेशों की नगरीय निकायों की जानकारी आदि प्राप्त कर प्रस्तावित भ्रमण कार्यक्रम तैयार किये जाने हेतु प्रकरण पर भी चर्चा की गई। इसके साथ ही महापौर को अपने पदीय कर्तव्यों एवं दायित्वों के लिये निवास, कार्यालय एवं अपने कार्यक्षेत्र में व्यापक जनसमुदाय के सम्पर्क में रहना पडता है। विभिन्न समुदायो, विचारधाराओ के लोगों से मिलना तथा उनकी समस्याओं, कार्यों के निष्पादन के समय में अप्रिय स्थितियो के निर्मित हो जाने व कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर स्व सुरक्षा जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना भी करना पडता है। महापौरों के लिए स्थिति अत्यंत चिंताजनक हो जाती है, ऐसी स्थिति में निजी सुरक्षा गार्ड की महती आवश्यकता होती है। अतः इन परिस्थितियों में शासन द्वारा महापौर की सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से मुख्यमंत्री से भेट एवं निवेदन हेतु प्रस्ताव पर चर्चा की गई।
शासन द्वारा नए नगरीय निकायों का गठन व नगरीय निकायों की सीमा वृद्धि की जा रही है किंतु चुंगी क्षतिपूर्ति का बजट नहीं बढाया जा रहा है जिससे नगरीय निकायो को उसी बजट की राशि का पुनर्वितरण होने से चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि प्रभावी रूप से कम मिल रही है जो कि नगरीय निकायों की आय का मुख्य स्त्रोत है। इसके साथ ही संपत्तियों के कर योग्य मूल्य निर्धारण नियम-2020 तथा नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रदाय व जलमल निकासी सेवाओं पर उपभोक्ता प्रभार लागू करने संबंधी नियम-2021 में दरों की वृद्धि की अधिकतम सीमा को क्रमशः 10 प्रतिशत व 15 प्रतिशत ही करने संबंधी नियमों में संशोधन कर सेवाओं के संचालन-संधारण की वास्तविक लागत के अनुरूप करने की स्वतंत्रता नगरीय निकायों को प्रदान करना चाहिए। विगत 10 वर्षों से नगरीय निकायों में बडी परियोजनाओं को क्रियांवित करने के लिए विभाग द्वारा तकनीकी दक्षता, निर्माण की गुणवत्ता व अन्य कारणों से एम.पी.यू.डी.सी. के माध्यम से परियोजनाओं का निर्माण कराया जा रहा है किन्तु एम.पी.यू.डी.सी. इस तरह के सभी मापदंडों पर अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर सकी है। प्रदेश भर के नगरीय निकाय जहाँ एम.पी.यू.डी.सी. के माध्यम से परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है कंपनी की लाचार कार्यप्रणाली से त्रस्त हैं और समय सीमा में व गुणवत्ता पूर्ण कार्य को लेकर हर तरफ असंतोष है। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की निकायों में ऊपर से किसी कंपनी को नियुक्त कर काम कराना संविधान के 74 वें संशोधन अधिनियम की भावना के विपरीत भी है। अतः कम से कम नगर निगम स्तर की नगरीय निकायो मे एम.पी.यू.डी.सी. के माध्यम से कोई कार्य नहीं कराने के लिए शासन को आग्रह करना चाहिए।
शासन द्वारा वर्तमान में नगरीय निकायों के लिये तकनीकी स्टाफ सिविल एवं अन्य इंजिनियर्स का चयन कर नियुक्ति हेतु नगरीय निकाय मे प्रेषित किये जा रहे है। इनमे से अधिकांश अन्यत्र नियुक्त हो जाने पर त्यागपत्र देकर चले जाने पर पद रिक्त होने से निकायों में चल रहे कार्य प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे रिक्त पदों पर अविलंब नियुक्ति के संबंध में विचार कर शासन को प्रेषित किये जाने हेतु चर्चा की गई। मध्य प्रदेश के नगर पालिक निगम क्षेत्र में जल प्रदाय, प्रकाश आदि व्यवस्था पर विद्युत व्यय को कम करने के लिये वैकल्पिक रूप से सौर उर्जा या अन्य उपाय जिसपर व्यय कम हो तथा भारत सरकार और मध्यप्रदेश शासन द्वारा अनुदान आदि की सुविधा हो इस दिशा में उच्च तकनीकी परीक्षण कराने हेतु। इसके साथ ही वर्तमान परिपेक्ष में नगर पालिक निगमों के संचालन मे आ रही कठिनाइयों पर विमर्श एवं सुझावों पर चर्चा की गई।