महाकुंभ में युवाओं की भागीदारी से बढ़ेगी सनातन की शक्ति
- महाकुंभ में पर्व स्नान करने पहुंचे युवा, संत एवं मुनियों से लिया आशीर्वाद
(प्रदीप कुमार वर्मा)
जुबां पर गंगा मैया का जयघोष। माथे पर मंगल तिलक। संत एवं मुनियों का आशीर्वाद। मन में हिन्दू संस्कृति के प्रति अगाध श्रद्धा। प्रवचन एवं अन्य धार्मिक कार्यों में सक्रिय सहभागिता। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में युवाओं का सनातन के प्रति यही आकर्षण देखने को मिला रहा है। सोशल मीडिया पर अक्सर व्यस्त रहने वाले युवाओं के इस बदले चलन ने एक बार सनातन की शक्ति को उजागर कर दिया है। महाकुंभ में युवाओं की इसी भागीदारी के चलते ऐसा माना जा रहा है कि युवाओं की भागीदारी ओर आकर्षण से आने वाले समय मे सनातन की शक्ति और बढ़ेगी।
वर्तमान भारत की बात की जाए तो यह दुनिया का सबसे युवा देश है। जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक भारत में पच्चीस वर्ष तक की आयु वाले लोग कुल जनसंख्या के 50 प्रतिशत हैं। वहीं, पैंतीस वर्ष तक वाले युवा कुल जनसंख्या के करीब 65 प्रतिशत हैं। भारत जैसे देश की जनसंख्या का इतना बड़ा हिस्सा राष्ट्र एवं समाज के विकास में सक्रिय एवं महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही वजह है कि युवाओं की इस ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इतिहास गवाह है कि आज तक किसी भी देश और दुनिया में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक परिवर्तन हुए हैं, उन परिवर्तनों मुख्य आधार युवा ही रहे हैं।
प्राचीनकाल में आदिगुरु शंकराचार्य से लेकर गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी ने अपनी युवावस्था में ही धर्म और समाज सुधार का बीड़ा उठाया था।
पुनर्जागरण काल में राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ विवेकानंद जैसे युवा विचारक ने धर्म और समाज सुधार आंदोलन का नेतृत्व किया। इतिहास ने युवाओं की शक्ति का प्रभाव देखा है। उदाहरण के तौर पर भारत की आजादी में अनेक युवाओं ने अपना योगदान दिया और कई युवाओं ने बलिदान तक दिया। इसके परिणामस्वरूप हमारा देश ब्रिटिश सरकार को भागने में कामयाब हुआ।
यह महाकुंभ कई मायनों में बेहद सफल रहा है। इस बार सर्वाधिक संख्या में देश के युवा वर्ग की इसमें भागीदारी रही है। बड़ी संख्या में युवा अकेले या अपने परिजनों को लेकर महाकुंभ में पहुंच रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक महाकुंभ में इस बार 50 प्रतिशत से ज्यादा वो युवा शामिल हुए, जिनकी उम्र 30 से भी कम रही। विगत कुछ वर्षों में भारत में जो सांस्कृतिक पुनर्जागरण हुआ है, उससे युवाओं में सनातन संस्कृति को समझने और उसे आत्मसात करने की प्रेरणा मिली है। जिसके चलते प्रयागराज के संगम तट पर युवाओं की मौजूदगी दिखाई पड़ी है।
बड़ी संख्या में युवा महाकुंभ में सत्संग एवं कीर्तन का हिस्सा बन रहे हैं। महाकुंभ में चल रहीं राम कथा, भजन संध्या एवं भागवत समेत तमाम प्रवचनों में जाकर सनातन के विचारों और आध्यात्म को जानने का प्रयास कर रहे हैं। आज गूगल पर सबसे ज्यादा सनातन और आध्यात्म को सर्वाधिक सर्च किया जा रहा। रील बनाने वाली युवा पीढ़ी अब रियल लाइफ जीना चाह रही है। मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती की त्रिवेणी में युवा वर्ग बिना किसी भेदभाव के एक साथ डुबकी लगा रहा है। देश और विदेश से विभिन्न जाति एवं पंथ के युवाओं की महाकुंभ में भागीदारी से विश्व स्तर पर "वसुदेव कुटुंबकम" के साथ-साथ सामाजिक समरसता का अनूठा नजारा देखने को मिल रहा है।
करीब 144 सालों के बाद प्रयागराज में आयोजित हो रहे इस महाकुंभ को युवाओं की सेवा कार्य में भागीदारी के लिए भी याद रखा जाएगा। महाकुंभ में स्वयं पर्व स्नान कर सनातन के प्रति श्रद्धा भाव का प्रदर्शन करने के साथ-साथ युवाओं ने आमजन की सेवा कार्य को भी अपने हाथ में लिया। इसमें कुंभ स्नान की व्यवस्थाओं के बारे में रील एवं वीडियो बनाकर आम जन को जानकारी देने के साथ-साथ प्रयागराज क्षेत्र में यातायात, सूचना, संपर्क तथा सहयोग जैसे कार्य युवाओं ने पूरी शिद्दत से किए। इन सेवा कार्यों को भी युवाओं के सनातन के प्रति बढ़ते श्रद्धा भाव के रूप में देखा जा रहा है।
युवाओं की सनातन के प्रति श्रद्धा और महाकुंभ में भागीदारी की पृष्ठभूमि में इन दिनों देश में चल रही राष्ट्रवाद की धारा महत्वपूर्ण है। महाकुंभ में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव सहित कई केंद्रीय मंत्रियों और राजनीति से जुड़े अन्य लोगों ने भी संगम में डुबकी लगाई। इसके साथ ही महाकुंभ में युवाओं के "आइकन" के रूप में देश और दुनिया में चर्चित फिल्मी सितारे अजय देवगन, अक्षय कुमार, विकी कौशल, विद्युत जामवाल, रेमो डिसूजा, अनुपम खेर,गुरु रंधावा,सुनील ग्रोवर,शंकर महादेवन,हेमा मालिनी,शिल्पा शेट्टी कंगना रानावत तथा अन्य ने भी महाकुंभ पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई।
सनातन के प्रति युवाओं की श्रद्धा और दीवानगी का आलम यह है कि संगम की पवित्र भूमि से युवा यहां की मिट्टी लेकर जा रहे हैं। साथ ही अपने परिजनों और दोस्तों के लिए संगम जल भी युवा अपने साथ ले जा रहे है। युवाओं के रूप में यह शिखर की ओर बढ़ते भारत की सकारात्मक ऊर्जा का संकेत है। यह महाकुंभ युवाओं को जागृत करने वाला साबित हो रहा है ओर यह आगामी पीढ़ी के लिए शुभ संकेत है। यदि हमारी भावी पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़कर आगे बढ़ेगी तो सनातन का प्रचार होगा। देश मे अपराध कम होंगे और समृद्धि बढ़ेगी। इसका श्रेय पीएम मोदी और सीएम योगी दोनों को जाता है। जिन्होंने विगत कुछ वर्षों में सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण के लिए काफी काम किया है। यह माना जा रहा है कि युवाओं की महाकुंभ में भागीदारी से सनातन की शक्ति में बढ़ोतरी होगी।
-लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।