ग्वालियर महारानी लक्ष्मीबाई कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में बाल विवाह के विरुद्ध जन जागरण को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया कार्यशाला में मुख्य अतिथि महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर हरीश अग्रवाल थे कार्यक्रम की अध्यक्षता राजनीति विज्ञान विभाग की विभागअध्यक्ष प्रोफेसर कुसुम भदौरिया ने की,प्रोफ़ेसर दीपक शर्मा ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि विकसित राष्ट्र और समाज निर्माण के लिए समुदाय के प्रत्येक वर्ग मुख्यतः महिलाएं एवं बच्चों का समग्र रूप से सशक्त एवं सुरक्षित होना आवश्यक है| सोसाइटी फोर एलाइनमेंट एंड वॉलंटरी एक्शन द्वारा दायर याचिका पर सुनाए गए निर्णय में बाल विवाह के विरुद्ध दिए गए निर्देशों पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था |आंध्र प्रदेश,असम, बिहार, झारखंड, राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा,पश्चिम बंगाल में आज भी यह कुप्रथा चली आ रही है| भारत में गरीबी और संसाधन की कमी संस्कृत पारंपरिक,मान्यताएं लैंगिक असमानताएं और सुरक्षा क| है इसके प्रमुख कारण है |
खुशबू आदिवासी- बीए प्रथम वर्ष की छात्रा ने इस अवसर पर कहां कि वह आदिवासी समाज से आती हैं समाज अशिक्षा गरीबी से ग्रसित है वहां 15 वर्ष तक की बच्चियों का बाल विवाह कर दिया जाता है मेरे पिता नहीं है मां ने मुझे उसे शिक्षा के लिए प्रेरित किया है मैं शासकीय सेवा में आने के बाद समाज में नशा बाल विवाह शिक्षा को लेकर आदिवासी लड़कियों को जागरूक करूंगी|
मुख्य अतिथि प्रोफेसर हरीश अग्रवाल ने कहा कि इस बुराइयों से समाज को बचाने के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए प्रोफेसर कुसुम भदोरिया ने कहा कि शासन इस दिशा में गंभीर है और अनेक काम कर रहा है 2006 में बाल विवाह निश्चित अधिनियम लागू किया गया किशोर न्याय बच्चों को देखभाल और संरक्षण जैसे काम कर रहा है राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना की गई इस अवसर पर प्रोफेसर रवि रंजन, प्रोफेसर विभा दूरवार,प्रोफेसर ज्योत्सना राजपूत एवं प्रोफेसर कुसुम चौधरी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे थे |( खुशबू आदिवासी, अनुष्का तोमर,नमन उपाध्याय, दीपक परिहार को महाविद्यालय में बाल विवाह के खिलाफ समाज जागरूकता के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाया गया)|