प्राथमिकता तय कर हर जिले का पाँच वर्षीय विजन डॉक्यूमेंट तैयार करें: वर्णवाल

- जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्धजनों, व्यवसाइयों एवं नागरिकों की राय लेकर बनाएँ विजन डॉक्यूमेंट 
ग्वालियर जिले के सुनियोजित विकास के लिये पाँच वर्षीय विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जाए। विजन डॉक्यूमेंट में विकास कार्यों की प्राथमिकता भी तय की जाए। इसके लिये जिले के जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्धजनों, व्यापारियों के साथ-साथ गणमान्य नागरिकों के साथ बैठकर विचार-विमर्श उपरांज विजन डॉक्यूमेंट तैयार हो। अतिरिक्त मुख्य सचिव वन विभाग एवं प्रभारी सचिव ग्वालियर अशोक वर्णवाल ने बुधवार को प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, उद्यानिकी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह एवं क्षेत्रीय सांसद भारत सिंह कुशवाह की विशेष उपस्थिति में संभागीय विकास कार्यों की समीक्षा एवं भावी योजनाओं के संबंध में जनप्रतिनिधियों की चर्चा के दौरान यह बात कही। 
बैठक में ग्वालियर संभाग के प्रत्येक जिलों के जनप्रतिनिधियों, प्रभारी अधिकारियों के साथ विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। बैठक में संभागीय आयुक्त  मनोज खत्री, आईजी अरविंद सक्सेना सहित ग्वालियर संभाग के प्रत्येक जिलों के विधायकगण, जिला कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुरूप प्रत्येक जिले का पाँच वर्षीय विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जाना है। इस विजन डॉक्यूमेंट में कार्यों की प्राथमिकता को भी क्रमबद्ध किया जाए, जिससे उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि विजन डॉक्यूमेंट तैयार करते समय जिले के जनप्रतिनिधियों और गणमान्य नागरिकों से विचार-विमर्श भी किया जाए। अतिरिक्त मुख्य सचिव वर्णवाल ने बैठक में लोक सेवा गारंटी अधिनियम की समीक्षा के दौरान सभी जिला कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि सीएम हैल्पलाइन में ऐसी शिकायत व लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अधीन आती है, उन्हें अधिनियम के तहत दर्ज कर उनका निराकरण समय-सीमा में सुनिश्चित किया जाए। निर्धारित समय-सीमा में समस्याओं का निराकरण न होने पर संबंधित के विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई भी अवश्य की जाए। 
बैठक में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने  कहा कि शहर के पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। स्वच्छता के लिये सफाई कर्मियों की अतिरिक्त आवश्यकता को ध्यान में रखकर राज्य शासन से स्वीकृति अपेक्षित है। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिये वाहनों की नियमित चैकिंग और प्रदूषण फैलाने वाले वाहन के विरूद्ध कार्रवाई की जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इंदौर, भोपाल एवं जबलपुर की तर्ज पर क्षेत्र फल के अनुरूप शासन से चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि ग्वालियर को भी मिले, इस पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।बैठक में  उद्यानिकी एवं सामाजिक न्याय मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने बैठक में कहा कि ग्वालियर में सब्जी मंडी शहर के मध्य में होने के कारण यातायात में बाधा उत्पन्न हो रही है। इसके साथ ही सब्जी व्यापारियों को भी अपना व्यवसाय करने आने-जाने में कठिनाई आ रही है। इसलिए सब्जी मंडी को शहर के बाहर स्थापित करने की संभावनायें तलाश कर कार्रवाई की जाना चाहिए। इसके साथ ही दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की तहसील कलेक्ट्रेट कार्यालय में कार्यरत है, जिसे दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में प्रारंभ किया जाना उचित होगा, ताकि लोगों को अपने काम के लिये कलेक्ट्रेट तक न जाना पड़े। उन्होंने दक्षिण क्षेत्र के नालों के सुधार के लिये ही जो प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित हैं, उसे स्वीकृत किए जाने की आवश्यकता बताई। 
बैठक में क्षेत्रीय सांसद भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि ग्वालियर में बड़ी लागत से आईटी पार्क, रेडीमेड गारमेंट पार्क और स्टोन पार्क स्थापित है, इनका बेहतर से बेहतर उपयोग किया जाना चाहिए ताकि बेरोजगारों को रोजगार भी मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि सोन चिरैया अभ्यारण्य से डीनोटिफाइड हुए क्षेत्र में पत्थर खदानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि ग्वालियर के स्टोन के माध्यम से लोगों को बेहतर रोजगार मिले। ग्वालियर का स्टोन न केवल देश भर में बल्कि विदेशों में भी निर्यात होता है। उन्होंने साडा क्षेत्र में प्रस्तावित एम्स अस्पताल की स्थापना के लिये जमीन आरक्षित करने की बात भी कही। संभागीय बैठक में सभी जिलों के विधायकगणों ने अपने-अपने क्षेत्र के विकास के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव रखे। इसके साथ ही आम जनों की समस्याओं के संबंध में भी ध्यान आकर्षित किया। बैठक में संभाग के सभी जिला कलेक्टरों ने अपने-अपने जिले के विजन डॉक्यूमेंट के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। बैठक में अपर मुख्य सचिव वन वर्णवाल ने सभी जिला कलेक्टरों से कहा कि बैठक में विभिन्न मुद्दों में से जिला स्तर के मुद्दों पर जिला स्तर पर जनप्रतिनिधि के साथ बैठकर उनका निराकरण किया जाए। इसके साथ ही शासन स्तर के प्रकरणों में विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर उनका निराकरण समय-सीमा में हो, इस पर विशेष प्रयास किए जायेंगे। 



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