मूर्खता का सम्मान करें, लेकिन दूर से
सुनील गोयल
मूर्खों को हल्के में लेना, वैसे ही है जैसे चिंगारी को नजरअंदाज करना। अकेला मूर्ख हो, तो अधिकतर मामलों में वह खुद अपनी मूर्खता में ही उलझा रहता है। परंतु, जैसे ही मूर्खों का समूह बनता है, तो समझ लीजिए कि एक नई "महाशक्ति" का जन्म हो चुका है। यह वह शक्ति है, जो कभी-कभी तर्क, ज्ञान, और विवेक को भी धूल चटा देती है।
मूर्खों का समूह कई मायनों में खतरनाक होता है। सबसे पहले, इनका आत्मविश्वास असीमित होता है। चाहे उन्हें विषय का ‘क’ भी न पता हो, लेकिन उनके चेहरों पर ऐसा आत्मविश्वास झलकता है, मानो पूरी दुनिया का ज्ञान उनके भीतर समा गया हो। सड़क की तुलना किसी भद्र महिला के गालों से करने का दावा अब, जब इतने आत्मविश्वास वाले मूर्ख साथ आ जाते हैं, तो उनकी मूर्खता कई गुना बढ़ जाती है। उनकी सबसे बड़ी ताकत यह होती है कि वे तर्क-वितर्क को नकार कर केवल अपने विश्वास पर अडिग रहते हैं। उन्हें आप कितनी भी समझाइए कि बीमारी का इलाज ,सिर्फ दवा से ही संभव है, तो नकारते हुए चिल्लपों करेंगे गोबर से इलाज भी कर देंगे। आप कहेंगे सूरज पूरब से निकलता है, वे समूह में यह सिद्ध कर देंगे कि सूरज दरअसल पश्चिम से निकलता है। और मजे की बात यह है कि उनके इस तर्कहीन सिद्धांत पर कुछ और मूर्ख भी विश्वास कर लेंगे।
मूर्खों का समूह, कई बार लोकतंत्र का सबसे बड़ा हथियार बन जाता है। यह वह हथियार है, जो कभी भी, कहीं भी, बिना वजह के सक्रिय हो सकता है। ये लोग आवाज़ और संख्या बल से आपको इतना डराते हैं कि आप सच्चाई की लड़ाई लड़ना ही छोड़ देते हैं।
सच कहा जाए, तो मूर्खों के समूह को देखकर हमें अपनी रणनीति बदलनी चाहिए। इन्हें न तो समझाने की कोशिश करनी चाहिए और न ही इनसे बहस करनी चाहिए। मूर्खों का समूह बहस में आपको इस हद तक खींचेगा कि आप भी अंत में खुद को मूर्ख ही महसूस करने लगेंगे।
इसलिए, यह जरूरी है कि मूर्खों की ताकत को हल्के में न लें। उन्हें उनकी मूर्खता के महासागर में तैरने दें, लेकिन उनके जाल में फंसने से बचें। क्योंकि मूर्ख जब समूह में होते हैं, तो वे केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समाज के लिए एक रोल मॉडल बन जाते हैं। मेरी सलाह है यदि आप कभी मूर्खों के समूह का सामना करें, तो सबसे अच्छा तरीका है कि चुपचाप निकल लें। तर्क-वितर्क करने की कोशिश करेंगे, तो वे आपको ही मूर्ख साबित कर देंगे। और अगर आप उनके बीच शामिल हो गए, तो जल्द ही आपका भी नाम उनकी लिस्ट में जुड़ जाएगा।
अंत में, यह याद रखें कि मूर्ख अकेले खतरनाक नहीं होते, लेकिन जब वे समूह में होते हैं, तो समाज में जलजला और व्यवस्था को हिला देने की ताकत रखते हैं। इसलिए, मूर्खता का सम्मान करें, लेकिन दूर से। ज्ञान की बात है कि, मूर्ख अकेले हानिरहित हो सकता है, परंतु जब वे समूह में होते हैं, तो वे ऐसा तूफान पैदा कर सकते हैं, जो विवेक और तर्क की कश्ती को डूबा सकता है। इसीलिए, मूर्खों के समूह को पहचानें और उनसे दूरी बनाएं। याद रखें, उनका अस्तित्व आपके विवेक की परीक्षा है।