केन्द्र सरकार ने आयुर्वेद को बढावा देने विश्व स्वास्थ्य संगठन से अनुबंध किया: डा सिसोदिया

- सौ दिन की प्रगति से अवगत कराया 
ग्वालियर। भारत सरकार का आयुष मंत्रालय अब आयुष पद्धति को बढावा देने के लिए देश के साथ ही विश्व में जहां कई देशों से अनुबंध कर रहा है वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ बीमारियों का  पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से उपचार करने और उसे विश्व में पहुंचाने का पूरा प्रयास कर रहा है। 
उक्त जानकारी आज क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद ग्वालियर के  प्रभारी डा बीएस सिसोदिया ने पत्रकारों को आयुष विभाग की पिछले एक सौ दिन में किये गये कार्यो की जानकारी देते हुये बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार प्रतापराव जाधव के नेतृत्व में मंत्रालय ने पारंपरिक भारतीय चिकित्सा को बढावा देने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में आयुष को मजबूत करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। 
उन्हांेने बताया कि आयुष पद्धति स्वास्थ्स सेवाओं को मुख्य धारा में शामिल करने के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत समाहित करने के लिए एक समीक्षा बैठक के बाद 170 प्रकार के उपचार को समाहित करने की दिशा में कदम उठाए गए है। उन्होंने बताया कि आयुष मंत्रालय उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेंवाओं के तहत 14000 से अधिक वृद्धावस्था स्वास्थ्य शिविर आयोजित किये गये। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित अन्य देशों के साथ अनुबंध भी हस्ताक्षर किये गये। वहीं आयुष मंत्रालय द्वारा आयुष दवाओं को आसानी से उपलब्ध कराने के लिए तहसील स्तर पर विशेष मेडीकल स्टोर खोलने की भी योजना बनाई जा रही है। इससे ग्रामीण जनता को सही दवाएं मिल सकें। 
साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ आयुष मंत्रालय ने 31 जुलाई, 2024 को जिनेवा स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्यालय में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के साथ काम करने और वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में आयुष प्रणालियों के एकीकरण में सुधार के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस सहयोग का उद्देश्य साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा को एक मजबूत आधार प्रदान करना है। भारत और वियतनाम ने 1 अगस्त, 2024 को औषधीय पौधों में सहयोग पर केंद्रीत एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर में हस्ताक्षर किये  यह समझौता दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। 
 भारत और मलेशिया ने आयुर्वेद के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करके पारंपरिक चिकित्सा को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।  ‘‘एक जड़ी-बूटी, एक मानक’’ (वन हर्व वन स्टेंडर्ड ) को बढ़ावा देना, आयुष औषधियों के लिए विशेष मेडिकल स्टोर आयुष दवाओं की आसान उपलब्धता की गारंटी के लिए, मंत्री प्रतापराव जाधव ने 26 अगस्त, 2024 को घोषणा की कि सरकार हर तहसील स्तर पर विशेष मेडिकल स्टोर खोलने का इरादा रखती है। इन स्टोर से विभिन्न प्रकार की हर्बल और पारंपरिक दवाओं की उपलब्धता संभव हो सकेगी और शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में सुधार होगा।  स्वस्थ भारत के लिए ‘‘हर घर आयुर्योग’’ अभियान मंत्रालय ने समाज में आयुर्वेद और योग के उपयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से ‘‘हर घर आयुर्योग’’ पहल शुरू की है। , आयुष उत्कृष्टता केन्द्र (आयुष सेंटर आफ एक्सीलेंस )  
 आईआईएससी बैंगलोर, आईआईटी दिल्ली, टीएमसी मुंबई और जेएनयू नई दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ साझेदारी में छह नए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए।  आयुष उपचार को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा में शामिल करने के लिए आयुष भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आयुर्वेदिक पैकेज को शामिल करने के लिए मंत्रालय ने एक समीक्षा बैठक बुलाई। कार्यक्रम के तहत आयुष उपचारों की लागत संरचना को अंतिम रूप देने और उनकी वहनीयता (एफोर्डबिलिटी) की गारंटी देने के लिए एक रणनीतिक क्रय समिति की स्थापना की गई है। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) का चरण, नई दिल्ली का दूसरा चरण आयुर्वेदिक शोध और उपचार के लिए एक उन्नत केंद्र होगा। इस चरण में 194 बिस्तरों वाला अस्पताल, आयुर्वेदिक खेल चिकित्सा परिसर और पंचकर्म उपचार कक्ष शामिल हैं। कुल 289.05 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना से आयुर्वेदिक शोध और प्रशिक्षण क्षमताओं में बहुत सुधार होगा।  राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, पंचकूला, हरियाणा में 294.91 करोड़ रूपये के निवेश से राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान बनाया जा रहा है। यह संस्थान 250 बिस्तरों वाले अस्पताल और आयुर्वेद में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट कार्यक्रमों के साथ एक शीर्ष स्तरीय शिक्षण और अनुसंधान के रूप में कार्य करेगा।  योग और प्राकृतिक चिकित्सा पर तीन केंद्रीय अनुसंधान संस्थान ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में तीन केंद्रीत योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (सीआरआईवाईएन) स्थापित करने की प्रारंभिक प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 
इसके साथ ही सफाई अभियान और नागरिक भागीदारी पर केंद्रित और एसबीएम-ग्रामीण और एसबीएम-शहरी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) 2024 अभियान में मंत्रालय की सक्रिय भागीदारी देखी गई। स्वच्छता में जन भागीदारीः प्रतिज्ञाओं, प्रतियोगिताओं और पौधारोपण अभियानों के द्वारा सामुदायिक और व्यक्तिगत स्वच्छता को प्रोत्साहित करना।
मेगा स्वच्छता अभियान के तहत सड़कों, रेलवे स्टेशनों और जलाशयों जैसे सार्वजनिक क्षेत्रों को साफ और सुंदर बनाने पर केंद्रित हैं, साथ ही दाग-धब्बे हटाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 
सफाई मित्र सुरक्षा शिविर में सफाई कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य और कल्याण शिविर जो निवारक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करते हैं और सफाई कर्मचारियों को सरकारी कल्याण कार्यक्रमों से जोड़ते हैं।
पत्रकार वार्ता में डा सविता शर्मा, सहायक निदेशक आयुर्वेद डा एमएम शर्मा, डा अनिल मंगल आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे। 

posted by Admin
99

Advertisement

sandhyadesh
Get In Touch

Padav, Dafrin Sarai, Gwalior (M.P.)

00000-00000

sandhyadesh@gmail.com

Follow Us

© Sandhyadesh. All Rights Reserved. Developed by Ankit Singhal

!-- Google Analytics snippet added by Site Kit -->