महाकाल लोक की ही तरह ग्वालियर में भी बने अचल लोक


ग्वालियर। श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर, ग्वालियर के पूर्व सूचना सचिव महेंद्र भदकारिया के नेतृत्व में श्री अचलेश्वर महादेव के भक्तगणों ने केंद्रीय मंत्री  ज्योतिरादित्य सिंधिया को सात सूत्रीय ज्ञापन पत्र भेंटकर श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर, ग्वालियर के पुनर्निर्माण से संबंधित कमियों, श्रद्धालुओं को हो रही परेशानियों को दूर करने एवं मंदिर परिसर को सुव्यवस्थित किये जाने जैसे बिंदुओं से अवगत कराकर उनसे संबन्धितों को दिशा निर्देशित कर समुचित कार्यवाही एवं निर्माण कार्य में अपेक्षित संशोधन कराने का विनम्र आग्रह किया। 
  ज्ञापन पत्र में कहा गया है कि ग्वालियर ही नहीं बल्कि देशभर के शिवभक्तों में श्रद्धा व आस्था का केंद्र श्री अचलेश्वर महादेव के प्राचीन मंदिर के पुनर्निर्माण कार्य का एक बड़ा चरण लंबी प्रतीक्षा के बाद पूर्ण हो गया है लेकिन कई कार्य अभी बाकी हैं। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री सिंधिया के प्रयासों को सराहते हुए मन्दिर प्रशासन के नवीन प्रबन्धन, विशेषकर जस्टिस  एनके मोदी एवं उनकी टीम का सभी शिवभक्तों की ओर से धन्यवाद व्यक्त किया। केन्द्रीय मंत्री सिंधिया को महेंद्र भदकारिया व अनिल पुनियानी के नेतृत्व में भेंट ज्ञापन में बाबा के भक्तों ने अभी तक हुए कार्यों को और अधिक परिमार्जित, लोकाकर्षक, भारतीय धार्मिक स्थापत्यकला के अनुरूप बनाने तथा यहाँ भविष्य में होने वाले कार्यों को अपेक्षा अनुरूप बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिए हैं। 
  केन्द्रीय मंत्री सिंधिया से आग्रह किया गया है कि महाकाल, उज्जयिनी में बने "महाकाल लोक" की ही तरह ग्वालियर के इस सुविख्यात श्री अचलेश्वर महादेव मन्दिर पर भी "अचल लोक" बनाया जाए। भक्तों ने कहा कि पिछले एक - डेढ़ दशक में ग्वालियर की जनसंख्या वृद्धिदर लगभग दोगुनी हो गई है। पूर्व में ग्वालियर की आबादी 10 से 15 लाख थी जो तेजी से रफ्तार पकड़ रही है। जाहिर है कि भविष्य में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद काफी बढ़ेगी। भक्तों का आग्रह है कि भविष्य की इन चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए मंदिर का निर्माण स्वीकृत मॉडल व ले-आउट प्लान के अनुसार ही किया जाए। ले-आउट प्लान में मंदिर भवन के आठ गेट बनाया जाना स्वीकृत है जबकि वर्तमान स्थिति में सिर्फ चार गेट ही बनाए गए हैं। यह ले-आउट प्लान का उल्लंघन है। श्रावण मास के सोमवार एवं महाशिवरात्रि, नववर्ष जैसे अवसरों पर श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर में हजारों ही नहीं बल्कि एक लाख से भी ज्यादा लोगों की भीड़ उमड़ती है। इसे देखते हुए चार गेट अपर्याप्त साबित होंगे। यह बाबा में आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा। ज्ञापन में आग्रह किया गया है कि मंदिर भवन के आठ गेट ही बनाए जाएं ताकि यहां आने वाले भक्तों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। इससे पूर्व भी नवनिर्मित मंदिर के पिलरों की चौड़ाई पांच फुट की जा रही थी लेकिन भदकारिया ने अन्य सभी अचलेश्वर भक्तों के साथ दवाब बनाकर पिलरों की चौड़ाई को आधा कराकर ढाई फुट कराया, यदि पांच फुट चौड़ाई के पिलर बनाए जाते तो मंदिर भवन में काफी कम जगह बचती और श्रद्धालुओं को आवाजाही में बेहद मुश्किल का सामना करना पड़ता।
ज्ञापन में कहा गया है कि हालांकि श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर के पुनर्निर्माण एवं जीर्णोद्धार कार्य का एक बड़ा चरण पूर्ण हो चुका है लेकिन मंदिर परिसर में प्रतिदिन आने वाले हजारों श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा एवं भवन की मजबूती के लिए कई निर्माण कार्य अभी होना बाकी है। भक्तों ने आग्रह किया कि आसमानी बिजली से सुरक्षा के लिए भवन पर तड़ित चालक लगाया जाए। बरसाती पानी की सुरक्षित निकासी एवं भूजल स्तर बढ़ाने के लिए यहां वॉटर हार्वेस्टिंग किया जाए। परिसर में पानी की सदैव उपलब्धता बनी रहे, इसलिए वाटर टैंक बनाया जाए, इसके लिए यहां काफी जगह है। परिसर व श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यहां पर्याप्त संख्या में अग्निशमन यंत्र लगाए जाएं। परिसर के चारों ओर मौजूदा अस्थायी बेरिकेडिंग के बजाए पत्थर की नक्काशीदार बाउंड्री निर्मित की जाए।
  *फिर आरंभ की जाए पशु पक्षियों की सेवा व सामूहिक विवाह सम्मेलनों का सिलसिला*
   ज्ञापन में इस बात पर चिंता जताई गई है कि तत्कालीन मंदिर प्रशासन द्वारा प्रतिदिन गायों को रोटी, कुत्तों को भोजन, पक्षियों के लिए दाना-पानी, गायों की प्यास बुझाने के लिए पानी की टँकी व जरूरतमंदों को दैनिक उपयोग की वस्तुएं भेंट करने के साथ ही अखतीज जैसे अवसरों पर प्रतिवर्ष सामूहिक विवाह सम्मेलनों के आयोजन जैसी सर्वहितकारी परम्पराएं प्रारंभ की गई थीं जो वर्तमान मंदिर प्रबंधन द्वारा बंद कर दी गई हैं। भक्तों ने आग्रह किया कि उक्त परंपराओं को पुनः आरंभ किया जाए।
*पूर्व में जो जांचें चल रहीं, उन्हें सार्वजनिक किया जाए*
  केन्द्रीय मंत्री सिंधिया को भेंट ज्ञापन में इस बात पर भी रोष व्यक्त किया गया कि श्री अचलेश्वर मंदिर न्यास में कितनी धनराशि की कब-कब आवक जावक हुई है, इसे नए प्रबंधन द्वारा अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। न्यास में पूर्व में जो भी जांचें चल रही थीं, उन संपूर्ण जांचों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। इस कारण पूर्व में हुए कदाचरण की जिम्मेदारी अभी तक निर्धारित नहीं हो सकी है। मांग की गई कि मंदिर में दर्शन के लिए किसी भी तरह का जजिया कर लागू नहीं किया जाए। सभी के लिए एक समान दर्शन व्यवस्था लागू रहे। 1947 के पूर्व के जो भी कानून हैं, वह लागू न हों। सामाजिक समरसता को अमल में लाते हुए बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों को मंदिर में पूजा पाठ करने का अवसर मिले। मंदिर के किसी भी कर्मचारी को परेशान नहीं किया जाए।
  भदकारिया ने ज्ञापन के माध्यम से केन्द्रीय मंत्री सिंधिया को यह भी बताया कि मंदिर के पुनर्निर्माण को स्वीकृत ले-आउट के अनुसार ही कराने व मंदिर की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए भोले बाबा के भक्तों ने समय-समय पर हाईकोर्ट, डीजे कोर्ट, कलेक्ट्रेट आदि जगह अपनी बात रखी, इनके द्वारा तत्संबंध में मंदिर प्रबंधन को निर्देशित भी किया गया लेकिन प्रंबंधन ने उनके सुझावों व माँगों को दरकिनार कर दिया। ज्ञापन में केन्द्रीय मंत्री सिंधिया से आग्रह किया गया कि उपरोक्त सुझावों, निवेदन एवं मांगों पर विचार कर इनके क्रियांवयन के लिए संबन्धितों को अविलम्ब निर्देशित करने का अनुग्रह करें। 
 केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने दिया अपेक्षित कार्यवाही का भरोसा*
केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने बाबा के भक्तों द्वारा दिए ज्ञापन को गंभीरता से लेते हुए अपेक्षित कार्यवाही के प्रति आश्वस्त किया है। महेंद्र भदकारिया, पूर्व सूचना सचिव, श्री अचलेश्वर मन्दिर न्यास एवं अनिल पुनियानी सहित अचल बाबा के सभी भक्तगण ने इसी प्रकार के ज्ञापन पत्र संभागायुक्त, कलेक्टर, मन्दिर प्रबन्धन के अध्यक्ष जस्टिस  एनके मोदी, मन्दिर निर्माण कमेटी के हरीबाबू शिवहरे राजीव चड्ढा महेश मुद्गल कैलाश लहरिया जगदीश गुप्ता सहित श्री अचलेश्वर मन्दिर न्यास, ग्वालियर के समस्त पूर्व अध्यक्षगण को भी सौंपे हैं।ज्ञापन भेंट करने वालों में अचल भदकारिया, राहुल चौहान, हकीम लोधी, मोहित चौरसिया, विशाल कुशवाह, शिवम् कुशवाह, उमेश कुशवाह, राहुल खटीक आदि शामिल थे।

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