अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष: प्राचीनतम योगासनों से मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें : श्री आशुतोष महाराज जी

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जानिए, योगासन क्यों करने चाहिए?

 योगासन का नियमित अभ्यास शारीरिक एवं मानसिक विकारों को भी नष्ट करता है
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष: प्राचीनतम योगासनों से मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें 
दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी 
(संस्थापक एवं संचालक, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान)

आजकल युवा फिटनेस के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाने लगे हैं। वे एरोबिक्स, जिमनास्टिक, पाइलेट्स, डांस फॉर्म जुम्बा व जिम जाने को प्राथमिकता देते हैं। उनके अनुसार ये साधन उन्हें तेजी से कैलोरी कम करने में, पतला होने में व उनके बेडौल शरीर को सुंदर और सुडौल बनाने में मदद करते हैं। पर यह लेख, आपको इस सच से अवगत कराएगा कि इन आधुनिक तकनीकों और प्राचीनतम योगासनों के बीच कहीं कोई बराबरी नहीं है। 
योगासन का नियमित अभ्यास शारीरिक मल व मन के विकार भी नष्ट करता है। आइए ‘अंतर्राष्ट्रीय योग-दिवस’ के उपलक्ष्य में, जानें इनके बीच के मुख्य अंतर:-
फिटनेस की आधुनिक प्रणालियों से केवल बाहरी शरीर मजबूत होता है। शरीर के आंतरिक तंत्र सशक्त नहीं बन पाते। पर योगासनों से हमारे स्थूल और सूक्ष्म- दोनों शरीरों पर प्रभाव पड़ता है। शरीर के साथ मन भी पुष्ट होता है। 
फिटनेस की आधुनिक प्रणालियों जैसे एरोबिक्स, जुम्बा डांस आदि को हर उम्र का व्यक्ति या रोगी नहीं कर पाता। वहीं बहुत से ऐसे योगासन हैं, जो हर उम्र के व्यक्ति व रोगी आसानी से कर सकते हैं।
जिम की मशीनों पर व्यायाम करने से शरीर की माँसपेशियों में कड़ापन आ जाता है। वहीं योगासनों से शरीर सुडौल और लचीला बना रहता है।
फिटनेस की आधुनिक प्रणालियों को अपनाने के बाद व्यक्ति थका हुआ महसूस करता है। वहीं योगासन करने के बाद शरीर हल्का व स्फूर्तिवान हो जाता है। तरोताज़गी और सुकून का अनुभव करता है।
फिटनेस के आधुनिक साधनों का प्रयोग करने से शारीरिक और प्राण शक्ति दोनों नष्ट होती हैं। पर योगासन करने से शारीरिक और प्राण शक्ति का संचय होता है। 
फिटनेस की ये नई तकनीकें जब तक तेज़ गति से न की जाएँ, इनका लाभ प्राप्त नहीं होता। इस कारण माँसपेशियों को नुकसान होने का खतरा बना रहता है। वहीं आसन धीमी गति से करने पर सर्वाधिक लाभ देते हैं और माँसपेशियाँ भी कमज़ोर नहीं होतीं। 
जिम बनाने के लिए अच्छी खासी जगह, धन और उपकरणों की ज़रूरत होती है। पर योगासन के लिए दरी और थोड़ी सी जगह के अलावा किन्हीं बाहरी साधनों की आवश्यकता नहीं होती है। 
जब हम फिट रहने के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाते हैं, तो हमारा मन बाहरी संगीत या मशीन पर केन्द्रित होता है। पर योगासनों के दौरान हमारा ध्यान अपनी श्वासों पर होता है। बहिर्मुखी न होकर, अंतर्मुखी होता है। 
फिटनेस के आधुनिक उपकरणों का प्रयोग करते हुए, हमारी श्वास प्रक्रिया अनियंत्रित हो जाती है। वहीं योगासन श्वास क्रिया को नियंत्रित करते हैं, जिससे फेफड़े मज़बूत होते हैं। 
सेहत की इन आधुनिक तकनीकों से किसी बीमारी का इलाज संभव नहीं है। पर आसनों से कई लाइलाज रोगों का निदान होता देखा गया है। 
आधुनिक व्यायाम प्रणालियाँ शरीर के भीतर के विषाक्त पदार्थों का निष्कासन नहीं कर पातीं। पर आसनों के द्वारा शरीर विषाक्त द्रव्यों को निकालने में सक्षम होता है।
शरीर का सर्वांगीण व सुनियोजित विकास आसनों से संभव हो पाता है; एरोबिक्स या जुम्बा डांस या जिम एक्सरसाइज़ से नहीं। 
आधुनिक व्यायाम तकनीकों का असर हॉर्मोन उत्पादित करने वाली ग्रंथियों पर नहीं पड़ता। वहीं योगासन जैसे सर्वांगासन, शीर्षासन आदि इन ग्रंथियों पर भी प्रभाव डालते हैं।
फिटनेस की इन आधुनिक तकनीकों से मुख्यतः माँसपेशियों पर प्रभाव पड़ता है। वहीं योगासन आंतरिक अंगों को भी स्वस्थ करते हैं। 
इन अंतरों को जानने के बाद, आशा करते हैं कि आप सही चुनाव कर पाएँगे कि स्वस्थ जीवनशैली के लिए कौन सा विकल्प श्रेष्ठ है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से सभी पाठकों को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

posted by Admin
179

Advertisement

sandhyadesh
Get In Touch

Padav, Dafrin Sarai, Gwalior (M.P.)

00000-00000

sandhyadesh@gmail.com

Follow Us

© Sandhyadesh. All Rights Reserved. Developed by Ankit Singhal

!-- Google Analytics snippet added by Site Kit -->