धरती को पुष्ट कर देता है गाय का गोबर : इंद्रदेव महाराज


 इंटक मैदान में आयोजित भागवत कथा के छठवें दिन हुआ कृष्ण रुक्मणी का विवाह 
ग्वालियर। गाय का गोबर जिस खेत में पड़ जाता है वहां दोगुनी फसल होने लगती है। जैसे दूध दही से मनुष्य पुष्ट होता है वैसे ही गाय के गोबर से धरती पुष्ट होती है । यह विचार शनिवार को इंद्रदेव महाराज ने इंटक मैदान में आयोजित हो रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान व्यक्त किए। इस दौरान उन्होंने भगवान श्री कृष्णा और रुक्मणी के विवाह का बहुत ही सुंदर चित्रण किया।
 खचाखच भरी कथा पंडाल को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कंप्यूटर का कंट्रोल माउस से होता है इस प्रकार गाय संपूर्ण भूगोल को कंट्रोल करती है। गाय रहेगी तो यह धरती रहेगी। गौ रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन की पूजा करवाई क्योंकि जहां पर्वत होते हैं वहां गायों को चारे की कमी नहीं होती लेकिन जहां पर्वत नहीं है वहां गाय बेहाल हैं । उन्होंने कहा कि गोवर्धन में दूध की धार की परिक्रमा करने से मनुष्य को 84 लाख योनियों से छुटकारा मिल जाता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत में ऐसा विज्ञान है जो मनुष्य पशु और धरती सबको आरोग्य प्रदान कर सकता है।
 उन्होंने कहा कि जिन बच्चों का बचपन संघर्ष में बीता है उनकी युवावस्था अच्छी होती है। आलस की जिंदगी बाद में दुख देती है। इसलिए जीवन में कुछ ऐसा करो कि संसार से जाने के बाद भी लोग आपको याद करें। माया का मोतियाबिंद हमारी आंखोँ पर छाया है। भागवत नाम सुमिरन कर इससे बाहर आने की कोशिश करते रहो। प्रपंच का थोड़ा त्याग करो। उन्होंने कहा कि जो भक्ति के नाम पर पाखंड करता है वह बकासुर के समान मारा जाता है। आज भी धर्म के नाम पर कुछ बहरूपिए हमारे बीच में है जिन्हें पहचाना आसान नहीं. क्योंकि माता सीता रावण और हनुमान जी भी कालनेमी से भ्रमित हो गए थे । उन्होंने कहा कि जो संडे को अंडे खाते हैं और सोमवार को भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं तो उनकी एक भी समस्या का हल नहीं होगा। भगवान की भक्ति करने वाले का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता इंसान का खुद का पाप उसे नष्ट करता है । उन्होंने कहा कि अपनी गाड़ी में भगवान की तस्वीर यदि लगाते हो तो वह मंदिर के समान हो जाती है फिर ऐसी गाड़ी में कोई गलत काम नहीं करना चाहिए । इसके बाद भी यदि आप गाड़ी में गुटका तंबाकू और शराब पीते हो तो आपको सर्वनाश से कोई नहीं बचा सकता । कालिया मर्दन की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जो भी नदियों को दूषित करेगा भगवान के कोप का भागी बनेगा । यमुना को कालिया के प्रदूषण से बचाने भगवान यमुना में कूदे थे । भारतीय सभ्यता में नदियां मां के समान हैं और मां का निरादर करने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता । उन्होंने कहा कि राजा का माथा और संत के चरण पूजे जाते हैं. क्योंकि उनमें हम भगवंत को देखते हैं। उन्होंने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन रात्रि में सबसे अधिक प्रकाश होता है और कार्तिक अमावस्या के दिन सबसे अधिक अंधेरा इसलिए हम इस दिन दीए जलते हैं । प्रकृति के पांच देवों को सारी दुनिया भोग रही है लेकिन सिर्फ सनातन संस्कृति में ही पंच तत्वों की पूजा होती है। उन्होंने कहा कि भगवान की विशेष कृपा से ही कथा करने करने का अवसर प्राप्त होता है। इस मौके पर कथा परीक्षित शशि सुधीर शाह प्रिया दीपांशु शाह उषा प्रदीप शाह नीलम संजय शाह सुषमा पवन गोयल प्रतिभा अशोक जैन स्मृति विवेक नूपुर नितिन इत्यादि सहित हजारों श्रद्धालु श्रोता मौजूद थे।

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