42वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति का हुआ आयोजन

ग्वालियर। पर्यावरण की सुरक्षा के साथ मिट्टी का सरंक्षण पेड़ करते हैं। यदि खेत पर पेड़ पौधे हैं तो खेत अधिक उपजाऊ होता है। इसलिए खेत की मेड़ और खाली स्थानों पर खमेर और प्रचलित वृक्षों की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए। यह बात कृषि विज्ञान केंद्र ग्वालियर में आयोजित 42वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति के आयोजन पर अध्यक्ष प्रतिनिधि के रूप में  वैज्ञानिक (कृषि प्रसार) डा वाय डी मिश्रा ने कही। डा मिश्रा ने कहा कि रासायनिक दवाओं के छिड़काव हेतु ड्रोन विधि के प्रदर्शन के साथ कृषकों को जागरूक किया जावे। जिससे नैनो खाद का प्रयोग किसान कर सकें और पूरी फसल पर ड्रोन से छिड़काव कर फसल की पैदावार को बढ़ा सकें।
वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन ऑनलाईन एवं ऑफलाईन माध्यम से किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. एम.एल. शर्मा, अधिष्ठाता, निदेषालय विस्तार सेवाएं एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. शालिनी चक्रवर्ती, प्रधान वैज्ञानिक, अटारी, जोन - 9, जबलपुर ऑनलाईन माध्यम से उपस्थित रहीं। कार्यक्रम में कृषि विभाग, कृषि अभियांत्रिकी, इफको, कृभको एवं स्वयं सहायता समूह के अधिकारीगण, आत्मा से बी.टी.एम. तथा कृषकगण भी उपस्थित थे। अंचल के विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्र जैसे मुरैना, दतिया, लहारएवं शिवपुरीसे वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं वैज्ञानिक ऑनलाइन मोड़ से कार्यक्रम में जुड़े। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वल्लन के साथ मुख्य अतिथि का स्वागत केन्द्र प्रमुख डॉ. शैलेन्द्र सिंह कुशवाह द्वारा कर किया गया।
इस कार्यक्रम में खरीफ2024 में आयोजित गतिविधियों एवं रबी 2024-25 हेतु प्रस्तावित कार्ययोजना के बारे में विस्तृत रूप से केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ.शैलेन्द्र सिंह कुशवाह ने बैठक में समिति सदस्यों के सामने प्रस्तुतीकरण किया। प्रस्तुतीकरण के पश्चात कृषि से संबंधित विभिन्न विभागों के अधिकारियों से, एफ.पी.ओ., एस.एच.जी. एवं किसानों से उनके सुझाव भी आमंत्रित किए गए। (इसके पश्चात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. शालिनी चक्रवर्ती, प्रधान वैज्ञानिक, भा.कृ.अ.प. - अटारी, जोन - 9, जबलपुर नेकृ.वि.के. द्वारा आयोजित विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यों की सराहना की।   कृषि विज्ञान केन्द्र, शिवपुरी से विभिन्न उद्यानिकी फसलों के बीज एवं पौधों की वर्ष भर उपलब्धता को चार्ट के माध्यम से दर्शाया जाकर उपलब्ध कराया जावे। बी.टी.एम., आत्मा परियोजना, मुरार, ग्वालियर ने सुझाव दिया कि मधुमक्खी पालन पर प्रशिक्षण आयोजित कर उसे बढ़ावा दिया जाये। सहायक संचालक कृषि द्वारा सुझाव दिया गया कि प्रतिवर्ष डी.ए.पी. की समस्या को देखते हुए नैनो डी.एपी. के उपयोग के साथ-साथ स्फुर पोषक तत्व के अन्य उर्वरक स्त्रोतों की मात्रा को दर्शाते हुए कृषक विस्तार पत्रक तैयार किये जाने का सुझाव दिया।कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र के समस्त वरिष्ठ वैज्ञानिक/वैज्ञानिक/वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रश्मि बाजपेयी, वैज्ञानिक (उद्यानिकी) द्वारा किया गया एवं कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमिता शर्मा, वैज्ञानिक (कृषि वानिकी) द्वारा दिया ।

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