"हनुमान जी भक्त से भगवान् बन गए, जगत के लिए वंदनीय बन गए" - साध्वी दीपिका भारती

 "सुंदरकांड प्रसंग भक्ति की सुंदर यात्रा का प्रतीक" - साध्वी दीपिका भारती

 "हनुमान जी ने लंका जलाकर दी थी भौतिकवाद को चुनौती" - साध्वी दीपिका भारती

आधुनिक समय में भगवान राम के गौरवशाली व्यक्तित्व के गहन महत्व को समझने के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 09 से 15 नवंबर 2024 तक रामलीला ग्राउंड, डीडीए पार्क, सेक्टर-24, रोहिणी में सायं 5:00 से रात्रि 9:00 बजे तक आयोजित किए जा रहे श्री राम कथा कार्यक्रम में शामिल हों। इस आयोजन के पांचवें दिन, दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या, विश्व प्रसिद्ध कथाव्यास साध्वी दीपिका भारती जी ने भौतिकवाद और आध्यात्मवाद का तुलनात्मक विश्लेषण करते हुए बताया, "भौतिकवाद दीमक की तरह हमारी सांस्कृतिक जड़ों को काट रहा है।" 

साध्वी जी ने हनुमान जी के जन्मोत्सव का बहुत सुन्दर विवरण दिया। उन्होंने बताया, "हनुमान जी को शरू से ही प्रभु राम के प्रति एक खिचाव था। जैसे लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का श्री राम के साथ बाल्यावस्था से ही एक अद्भुत स्नेह था, वैसा ही हनुमान जी का भी था, अंतर बस इतना था कि लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न ने श्री राम का बचपन से ही सानिध्य पाया था, पर हनुमान जी ने नहीं!" साध्वी जी ने श्री हनुमान की प्रेरक भक्ति यात्रा से जीवन की समस्त बाधाओं को दूर करने के सूत्र प्रदान किये। उन्होंने बताया, "हनुमान जी ने अपने गुरु 'श्री राम' द्वारा प्रदत्त ब्रह्मज्ञान के मार्ग पर अडिगता के साथ चलकर भक्ति के शिखरों को पाया और अंततः श्री राम के साथ एकरूपता को प्राप्त किया। वे भक्त से भगवान् बन गए, और आज सारा विश्व उनका पूजन करता है!" 

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित कथा की विशेषता बताते हुए, साध्वी जी ने कहा, “संस्थान की कथाएं कोई सामान्य कथाएं नहीं हैं। संस्थान द्वारा आयोजित कथा को दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के कुशल मार्गदर्शन में अपना वास्तविक अर्थ मिलता है। इन कथाओं द्वारा दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान प्राचीन भारतीय ग्रंथों में निहित जीवन बदलने वाले आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार कर रहा है। जिसे ऋषि-मुनियों ने पाकर अपने आंतरिक जगत में ईशवर का साक्षात् दर्शन किया। इसलिए, दिव्य गुरु के ब्रह्मज्ञानी संन्यासी शिष्यों द्वारा सुनाई गई ये कथाएं धर्मग्रंथों के प्रमाणिक आध्यात्मिक महत्व को प्रस्तुत करती हैं।

दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्यों द्वारा रामचरितमानस की चौपाइयों और मधुर भजनों की मनमोहक संगीतमय प्रस्तुति ने सभी भक्तों को सच्ची भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

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