जहां बुजुर्गों की सुनते हैं युवा, वो ही घर सुंदर: अंकित शास्त्री

 महलगांव करौली मैया मंदिर पर श्रीमद्भागवत कथा का विश्राम 

 ग्वालियर। जिस घर के युवा बुजुर्गों की बात सुनते हैं और उसका पालन करते हैं, उस घर में नित्य सुंदर घटनाएं होती हैं और भगवत कृपा से सदा खुशहाली बनी रहती है। यह विचार पं. अंकित शास्त्री ने महलगांव करौली मैया के दरबार में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस गुरूवार को व्यक्त किए। इस मौके पर जहां दो संत महामंडलेश्वर कपिल मुनि महाराज एवं धूमेश्वर धाम के संत अनिरुद्धवन महाराज का मिलन हुआ, वहीं   कथावाचक सतीश कौशिक ने व्यासपीठ को नमन किया। यहां बता दें कि पं सतीश कौैशिक व अंकित शास्त्री दोनों ही ददंरौआ हनुमान मंदिर के महामंडलेश्वर रामदास महाराज के शिष्य यानि गुरूभाई हैं। लक्ष्मीनारायण मंदिर के उपेंंद्र शिरगांवकर भी इस मौके पर मौजूद रहे। कुंवर महाराज के सानिध्य में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराते हुए पं अंकित शास्त्री ने कहा कि जिनके घर में नित्य राम चरित्र मानस का पाठ होता है, वहां साक्षात श्रीराम मौजूद रहते हैं। राम चरित्र मानस में सिर्फ चौपाई नहीं हैं, बल्कि वे जीवन को खुशहाल बनाने का मंत्र हैं। मानस की चौपाईयों की ध्वनि के मध्य कोई भी तंत्र विद्या असर नहीं करती है। सुख सिर्फ भागवत नाम से..... धूमेश्वरधाम के अनिरु द्धवन महाराज ने कहा कि धन और पद प्रतिष्ठा से सुख नहीं मिल सकता है। सुख सिर्फ भागवत नाम से ही संभव है, इसलिए भगवान को आनंद स्वरूप कहा गया है। भगवान का स्मरण करने वाले को भूत-प्रेत, रोग-दोष कभी परेशान नहीं कर सकते हैं, इसलिए कथा में जो भी श्रवण करें, उसका चिंतन मनन और अनुशरण करेें। भागवताचार्य पं सतीश कौशिक महाराज ने कहा कि व्यासपीठ से कही गई हर बात परमात्मा का आदेश होती है, इसलिए कथा के दौरान जो भी कहा जाए, उसका पालन जरूर करें, जिससे आपके जीवन का कल्याण हो जाएगा। कथा सुनने के बाद अपने भीतर की बुराईयों को छोड़ें, तभी कथा श्रवण सार्थक है। कथा का फल सेव फल नहीं हैं। प्रभु से प्रेम उत्पन्न करना ही कथा का प्रतिफल है। उन्होंने भंडारे से कथा का आंकलन करने वालों को कहा कि बड़े भंडारे से कथा छोटी बड़ी नहीं होती, बल्कि श्रोताओं ने वहां से क्या हासिल किया, यह बड़ी बात है।

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