ABV IIITM लेडीज़ क्लब ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100 वीं जयंती मनाई
एक दूरदर्शी नेता की शताब्दी
ग्वालियर : एबीवी - आई. आई. आई. टी. एम. ग्वालियर संस्थान के लेडीज़ क्लब के तत्वावधान से देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न``` स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100 वीं जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि दी गयी। संस्थान के एम डी पी सेंटर में क्लब के सदस्यों ने एकत्रित होकर श्रद्धेय श्री वाजपेयी जी की प्रेरणादायक कविताओं का भी पठन किया। इस अवसर पर अध्यक्षा श्रीमती वंदना सिंह, माधुरी पटनायक, तुलिका श्रीवास्तव, रीना श्रीवास्तव, सूजी जेंकिन, दीपा सिंह सिसोदिया, रिचा, आरती, इत्यादि मुख्य रूप से उपस्थित रहीं। क्लब की अध्यक्षा के द्वारा इस प्रभावशाली व्यक्तित्व के विभिन्न कार्यों को स्मरण किया गया। उन्होने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे संस्थान का नाम श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर है तो यह हमारे लिए और भी गर्व की बात है। उनकी सादगी, सरलता, उनके सिद्धांत, अपने प्रतिद्वंदियों और विरोधियों का भी सम्मान करने वाला उनका व्यक्तित्व आज भी हमारे ज़हन में है। आज वे हमारे बीच नहीं है लेकिन फिर भी वे हमें मार्गदर्शन दे रहे हैं। भारत के सबसे करिश्माई नेताओं में से एक अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती के अवसर पर, हमें उनकी विरासत की याद आती है जो राजनीति, कविता और लोगों के साथ उनके गहरे संबंधों को दर्शाती है। वाजपेयी केवल एक प्रधानमंत्री नहीं थे; वे एक दार्शनिक-राजनेता थे जिन्होंने अपनी कलम को उतनी ही शालीनता से चलाया जितना उन्होंने शासन के सागर को आकार दिया। उनकी यात्रा दृढ़ संकल्प, मानवता और कलात्मक अभिव्यक्ति का मिश्रण थी, और राष्ट्र के लिए उनके योगदान उनकी कालातीत दृष्टि का प्रमाण हैं। उनका कोई शत्रु नही था, सभी को वो अपना ही मानते थे। उनका मतभेद तो था लेकिन मनभेद किसी से नही था। वे कहते थे कि हम राजनेता से पहले एक इंसान हैं। इस प्रकार की दार्शनिक बातें एक कवि ही कर सकता है। उन्होने दुनिया को बताया कि भारत क्या है। हम एक ऐसे राजनेता, कवि और नेता की विरासत का सम्मान करते हैं, जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता, करुणा और अटूट समर्पण से आधुनिक भारत को आकार दिया। अटल जी की दृष्टि राजनीति से परे थी; वे एक ऐसे एकीकरणकर्ता थे जो संवाद, मानवता और प्रगति की शक्ति में विश्वास करते थे। स्वर्णिम चतुर्भुज और भारत के परमाणु परीक्षण जैसी उनकी पहलों ने भारत के विकास और सुरक्षा के प्रति उनके साहसिक नेतृत्व और प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया।
उन्होने बताया कि ये जो आज हम इतनी अच्छी सड़कें देख रहे हैं, ये हमारे प्रधानमंत्री जी की बहुत पहले की दूरदर्शी योजनाएँ थीं। इनमें से नदियों को जोड़ने की योजना भी उन्होने ही दी थी, जिससे बाढ़ तथा सूखाग्रस्त होने कि समस्या से हमें छुटकारा मिल जाएगा। इन योजनाओं पर काम हो रहा है जो कि 2033 तक पूरी होने कि संभावना है। विकसित भारत के लिए विजन: आत्मनिर्भर, समृद्ध भारत के उनके साझा सपने ने नीतियों और कार्यक्रमों को प्रेरित किया जो आज भी राष्ट्र को आकार दे रहे हैं।
वे एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के प्रगति प्रवर्तक राजनेता ही नहीं अपितु एक महान इंसान व एक महान कवि थे। अपनी बात को कहने का उनमें बहुत दम था, वे किसी से नही डरते थे। आइए हम महान व्यक्तित्व व असाधारण नेता की विरासत को याद करें और उसका जश्न मनाएं, जिनकी दृष्टि और मूल्य पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। श्रीमती वंदना सिंह ने अटल जी की कविता “कदम मिलकर चलना होगा” का भी पठन किया। क्लब के सभी सदस्यों द्वारा उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करते हुए उनकी कवितायें पढ़ी गईं।
श्रीमती माधुरी पटनायक ने भी अटल जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके महान कार्यों को स्मरण किया। उनके द्वारा अटल जी कि कविता “गीत नहीं गाता हूँ” पढ़ी गयी। श्रीमती रीना श्रीवास्तव ने कविता “आओ फिर से दिया जलाएँ” का पठन किया। श्रीमती तुलिका श्रीवास्तव, रिचा, आरती के द्वारा भी अटल बिहारी वाजपेयी कि कविताओं का पठन किया गया। अटल बिहारी वाजपेयी की कालजयी कविता "हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपल पर लिखता मिटाता हूँ" श्रीमती दीपा सिंह ने पढ़ी। यह कविता दृढ़ता और अदम्य मानवीय भावना का एक सम्मोहक गीत है, जो कि कभी हार न मानने के सार को समेटे हुए है, चाहे परिस्थितियां कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों, और पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है।