भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के गौरवशाली 100 वर्ष : ग्वालियर में शताब्दी समारोह संपन्न



ग्वालियर । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के गौरवशाली 100 वर्ष 26 दिसंबर 2025 को (शताब्दी वर्ष) पूर्ण होंगे। साल भर चलने वाले समस्त राष्ट्रव्यापी शताब्दी वर्ष उत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला ग्वालियर ने सरवटे भवन हजीरा ग्वालियर कार्यालय से रैली के रूप में हजीरा स्थित सरवटे चौराहा पर प्रसिद्ध मजदूरों के नेता एवं स्वतन्त्रता सेनानी कामरेड रामचंद्र सरवटे की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर गगन भेदी नारे लगाते हुए वापस कार्यालय आकर , संगोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ नेता कामरेड बारेलाल पाल ने की। कॉमरेड बारेलाल पाल (उम्र 84 साल) का पार्टी में किसानों के बीच 60 साल से सक्रिय योगदान रहा है ,उनका माल्यार्पण कर स्वागत सम्मान किया गया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता  चेतराम भदोरिया पूर्व रिटायर्ड एस पी , जेएनयू के पूर्व छात्र एम ए , एमफिल एवं ग्वालियर जीवाजी यूनिवर्सिटी से पीएचडी (विषय कम्युनिस्ट आंदोलन ग्वालियर) ने उपस्थित साथियों को कम्युनिस्ट आंदोलन आजादी के पूर्व और आजादी के बाद एवं वर्तमान परिस्थितियों में विस्तार से चर्चा करते हुए अपनी बात रखी और व्यक्त किया की दो ही वर्ग होते हैं , शोषण करने बाला एवं शोषित होने वाला वर्ग। आम जनता इस बात को नहीं समझती गुमराह हो जाती है जब तक शोषण होता रहेगा। इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं को इस पर आगे कार्य करना होगा ,बिना व्यवस्था परिवर्तन मजदूर किसान की सत्ता के बिना गरीब गरीब होता चला जाएगा और पूंजीपति अमीर होते चले जाएंगे ।
कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता म प्र राज्य कार्यकारी सदस्य कॉमरेड कौशल शर्मा, कॉम संजीव राजपूत, राज्य परिषद सदस्य कॉमरेड अशोक पाठक ,कामरेड अंजलि परमार, रविंद्र सरवटे एडवोकेट ,रतन वर्मा एडवोकेट एवं उमेश वशिष्ठ ने संबोधित करते हुए कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के संघर्षपूर्ण गौरवशाली 100 वर्षों का इतिहास देश के मजदूरों, किसानों, छात्रों, और नौजवानों के संघर्षों, आजादी पसंद आवाम के पहलकदमियों और बलिदानों से भरा हुआ है। आजादी पूर्व 1925 में पार्टी की स्थापना सामंतवाद, पूंजीवाद और साम्राज्यवाद विरोध से उद्वेलित विचारों ने अपनी अहम भूमिका निभाई और कम्युनिस्टों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना मुख्य योगदान देते हुए भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग उठाई, और देश के स्वाधीनता आंदोलन को मजबूत किया। पार्टी के प्रभाव ने भगतसिंह और पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को उखाड़ फेंकने का आव्हान करते हुए अपनी शहादतें दीं। यही नहीं देश के हर वर्ग के लोगों के बीच उनके जुझारू संगठन जैसे ट्रेड यूनियन, किसान संगठन, लेखक और विद्यार्थी संगठन के अलावा सांस्कृतिक संगठन भी स्वतंत्रता आंदोलन की तीव्रता के लिए स्थापित कराए।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी देश की ऐसी पहली राजनैतिक पार्टी थी जिसने किसी भी सांप्रदायिक सोच और संगठन को सदस्यता देने से इनकार कर दिया था। 

जैसा कि ज्ञात हो पार्टी की स्थापना यूपी के कानपुर शहर में हुई थी। आज से 100 साल पहले आजादी के आंदोलन में शामिल क्रांतिकारी, कम्युनिस्ट, मजदूर, किसान, आंदोलन के समूह जिनमें कुछ जेल में थे, कुछ जेल से बाहर थे ,के प्रयासों के फलस्वरूप, 26 दिसम्बर 1925 को भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाली, पहली राजनैतिक पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया गया था। 
सत्यभक्त, मौलाना हसरत मोहानी, सिंगार वेल्लु चेट्टियार, सदाशिव विष्णु घाटे सहित देशभर के अनेक क्रांतिकारी कम्युनिस्टों ने, देश में से अंग्रेजी राज खत्म करने एवं भारत मे समाजवादी समाज रचना के संकल्प का इजहार किया था। 
आज के कार्यक्रम में कॉमरेड प्रकाश वर्मा, अनवर खान, जालिंम सिंह, अब्दुल शाहिद, डॉ महेश शर्मा, रमेश सविता ,श्याम लाल वर्मा, विनोद वर्मा ,अमर वर्मा, प्रीतम माहोर, बी डी धूपर , हरिशंकर माहोर, बृजमोहन भार्गव, भूपेश पलरिया, सुरेश वर्मा ,अशोक वर्मा, राजाराम संखवार, संतोष आर्य ,मनोज बाथम, केदार चौहान, ज्ञान देवी वर्मा , मीना , मालती, कस्तूरी, शीला रानी ,प्रेमलता, रामरती हेमलता आदि बड़ी संख्या में महिला और पुरुषों ने भाग लिया । 

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