स्मृति शेष: अटल जी... एक युगप्रवर्तक नेता


प्रस्तावना...

"हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं,
गीत नया गाता हूं..."

श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की यह अद्वितीय पंक्तियां आज भी मेरे हृदय को जोश, उत्साह और ऊर्जा से भर देती हैं। ये हम सबके दिलों में उनके व्यक्तित्व की गहरी छाप छोड़ जाती हैं। वे अटल जी ही थे, जिन्होंने देश के हर नागरिक को साहस, विश्वास और आत्मनिर्भरता का मार्ग दिखाया। भारतीय राजनीति में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। उनके योगदान ने हमारे देश की राजनीति को आकार दिया। भारतीय समाज, संस्कृति और अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में नई दिशा भी दी। आज 25 दिसंबर 2024 को हम उन्हें उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। यह अवसर उनके जीवन, उनके दृष्टिकोण और उनके कार्यों को स्मरण करने का है। उनके आदर्शों को जीवन में उतारने का है। इस पुण्य अवसर पर मेरा हृदय गर्व से भरा हुआ है, जो मुझे अनेकों बार अटल जी का सामीप्य, सान्निध्य और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। सदैव उनके आशीष की छांव मेरे सिर पर रही। उन्हीं से सुशासन का पाठ सीखा। वे अजातशत्रु, सर्व सम्मानीय, अथक परिश्रमी, परम देशभक्त, प्रबुद्ध कवि, दूरदृष्टा और पथ प्रदर्शक थे। 

जब भी अटल जी की बात होती है, उनका व्यक्तित्व मेरी आंखों के सामने जीवंत हो उठता है। उनका हर शब्द आत्मविश्वास से ओत-प्रोत होता था। उनकी बातें हमेशा गहरी सोच और संवेदनशीलता से भरी होती थीं। जब वे बोलते थे तो उनके शब्द मेरे हृदय में गहरे उतरते जाते। उनका दृष्टिकोण सदैव व्यापक रहा, हर वर्ग को समाहित करता हुआ। वे सिखाते थे कि हम समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलें। आज, जब मैं उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित कर रहा हूं तो ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे वे मेरे सामने खड़े हों, मुझे जीवन की राह दिखा रहे हों। उनका आशीर्वाद मेरे साथ हमेशा रहा है। 

— अटल जी का देश के प्रति समर्पण

अटल जी का देश के प्रति समर्पण अद्वितीय रहा। उनके नेतृत्व में भारत ने कई ऐतिहासिक बदलाव देखे, जो आज भी हमें प्रेरित करते हैं। अटल जी का मानना था कि राजनीति जनसेवा का एक साधन है। उनका आदर्श जीवन हमें यही सिखाता है कि जब देश की सेवा और नागरिकों की भलाई ही प्राथमिक उद्देश्य हो तो हर निर्णय सही दिशा में होता है। अटल जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने कई साहसिक कदम उठाए, जिनमें से पोखरण परमाणु परीक्षण ऐतिहासिक साबित हुआ। यह कदम दुनिया के लिए संदेश था कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए स्वतंत्र है और हमें किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।

— नदी जोड़ो परियोजना जलवायु संकट का समाधान

अटल जी का दृष्टिकोण केवल राजनीति तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने पर्यावरण और कृषि के मामलों में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी नदी जोड़ो परियोजना महत्वाकांक्षी पहल थी, जिसका उद्देश्य देश के जल संकट को कम करना था। आज हम यह देख रहे हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस परियोजना को साकार करते हुए केन-बेतवा लिंक परियोजना की सौगात दी है। मध्यप्रदेश के लिए यह एक महान गौरव का क्षण है, क्योंकि अटल जी के इस सपने से हजारों गांव हरे-भरे होंगे। लाखों लोगों को शुद्ध पेयजल मिलेगा। यह अटल जी के सपनों को धरातल पर उतारने का महान कदम है। इस अभूतपूर्व सौगात के लिए मैं प्रधानमंत्री जी का अभिनंदन करता हूं ।

— देश सेवा के प्रति दृढ़ नायकत्व

अटल जी का जीवन सच्ची देश सेवा का प्रतीक रहा। उन्होंने राजनीति में रहते हुए हमेशा अपने सिद्धांतों और विचारधाराओं को प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि जब तक देश के प्रत्येक नागरिक की भलाई नहीं होगी, तब तक राष्ट्र निर्माण अधूरा है। उन्होंने समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के लिए आवाज उठाई और समग्र विकास के लिए नीतियां बनाईं। उनके नेतृत्व में भारत ने सड़क निर्माण, शहरीकरण और डिजिटल इंडिया जैसी पहल शुरू की, जिनका आज हम सब व्यापक सकारात्मक असर देख रहे हैं। 

— प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना बनी वरदान

अटल जी का दृढ़ विश्वास था कि यदि गांवों को शहरों से जोड़ दिया जाए तो ग्रामीण जीवन में नई संभावनाओं का संचार होगा। विकास की राह में नए द्वार खुलेंगे। इस विचार को साकार करने हेतु उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की नींव रखी। उनके इस दूरदर्शी कदम का पूरे देश पर सकारात्मक असर हुआ। इस योजना के माध्यम से ग्रामीण भारत में अभूतपूर्व परिवर्तन आए। सड़कों के निर्माण ने गांवों तक विकास की किरणें पहुंचाईं। व्यापार, कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने की आसान राह ने ग्रामीणों के जीवन में नवचेतना का संचार किया। अटल जी की यह पहल आज भी ग्रामीण जीवन में सुधार का प्रतीक बनी हुई है। 

— सादगी की प्रतिमूर्ति थे अटल जी

अटल जी का जीवन ईमानदारी और सादगी में बेमिसाल रहा। उनका सिद्धांत था कि जनप्रतिनिधियों को सदैव जनता के बीच रहना चाहिए और उनके लिए काम करना चाहिए। इस सिद्धांत को उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन में भी साकार किया। वे आजीवन किसी भी प्रकार की भव्यता से दूर रहे। मैंने उनके साथ रहकर देखा कि वे स्वयं को जनता से अलग नहीं मानते थे। जब भी वे कहीं सभा अथवा कार्यक्रम में जाते तो पार्टी कार्यकर्ता उन्हें चंदा देने आते, पर अटल जी उस चंदे को अपनी व्यक्तिगत संपत्ति बनाने के बजाय पार्टी कार्यालय में जमा कर देते थे। यह कदम उनकी सादगी का मिसाल था। 

— राजनीति के पुरोधा को शत-शत नमन...

अटल जी भारतीय संस्कृति और धरोहर के प्रति अत्यधिक सम्मान रखते थे। उनका यह दृढ़ विश्वास था कि भारत तभी शक्तिशाली बन सकता है जब वह अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा रहेगा। उनके विदेश दौरों में यह स्पष्ट रूप से देखा गया, जहां उन्होंने भारतीय सभ्यता और संस्कृति को गर्व से प्रस्तुत किया। वे युग प्रवर्तक नेता थे, जिन्होंने अपनी जिंदगी देश की सेवा में समर्पित कर दी। अटल जी का समावेशी, साधारण और ईमानदार व्यक्तित्व हम सबके लिए आदर्श है। उनका नेतृत्व सदैव यही सिखाता रहेगा कि सेवा का असली अर्थ जनता के साथ रहकर, उनके लिए समर्पित होकर काम करना है। उनकी 100वीं जयंती पर, मैं उन्हें सादर नमन...।
अटल जी, आप बहुत याद आते हैं... आपकी छांव और मार्गदर्शन हमेशा हमारे साथ रहेगा...!

कैलाश विजयवर्गीय 
मंत्री, नगरीय विकास एवं आवास तथा संसदीय कार्य मंत्री, मध्यप्रदेश शासन

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