भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्य पूर्व विधायक कॉमरेड रामचंद्र सरवटे के योगदान की कुछ झलकियां...

कॉम सरवटे के नाम से विख्यात ग्वालियर जिले की पार्टी के प्रमुख संस्थापक का पूरा नाम रामचंद्र- अनंत सरवटे है , मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त कर कॉमरेड सरवटे का जन्म 1912 मे किसान परिवार में जिला सागर मध्य प्रदेश के जैसीनगर में हुआ था। 11 वर्ष की उम्र में पढ़ाई के लिए अपनी बुआ के लड़के के पास ग्वालियर राज्य की बासौदा तहसील में 1 साल तक रहे, जब बुआ के लड़के का तबादला हुआ तो उसके साथ एक साल और श्योपुर कला में रहे, फिर अपनी बहन के पास 1924 में लश्कर(ग्वालियर ) आकर अध्ययन किया। बारह साल की उम्र में ही पिता का साया सर से उठ चुका था, मां और दोनों छोटे भाई भी जेसीनगर छोड़कर लश्कर उनके साथ आकर रहने लगे परिवार में भरण पोषण की समस्या गहरी होने लगी, हालात की मजबूरी से पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर दिया यही वह समय था जब कॉमरेड सर्वटे के मामा श्री ओखदे जो खुद 1921 में गांधी जी के आवाहन पर असहयोग आंदोलन में कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर आजादी के आंदोलन में कूद चुके थे , जो 1928 में ग्वालियर आकर कामरेड सर्वटे के साथ रहने लगे इस तरह अपने मामा जी की तरह ही कामरेड सर्वटे ने भी आजादी के आंदोलन में स्वयं भी उतरने का मन बनाया। 

सन 1929- 30 में जब देश में आजादी का आंदोलन गांधी जी के नेतृत्व में व्यक्तिगत सत्याग्रह के रूप में चल रहा था, इसी बीच कामरेड सरवटे की पहचान लश्कर में खादी बेचने वाले साथी श्री महाजन जी से हो गई तथा वह भी गांधी जी के चलाएं जा रहे सत्याग्रह में जाने लगे, तो जे सी मिल मे खादी बनवाने की देखरेख के लिए रखवा दिया, उससे होने वाली आय से परिवार का भरण पोषण करते थे।  देश में चल रहे आजादी के आंदोलन की चिंगारी ग्वालियर में भी आ चुकी थी उस समय एक महिला आगरा से ग्वालियर आकर महाराज बाड़े पर अंग्रेजों के खिलाफ भाषण देती थी तथा विदेशी कपड़ों की होली जलाने का कार्यक्रम शुरू कर दिया गया था। कॉमरेड सरवटे ने देखा कि यह आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ लोगों में नफरत पैदा करता है तथा आम जनता की रुचि आंदोलन मे बढ़ रही थी ।ऐसे में वह भी विदेशी कपड़ा #बॉयकॉट# आंदोलन में शामिल हो गए। वह महिला 10- 15 दिन के बाद जब ग्वालियर से चली गई तब आंदोलन का नेतृत्व कॉमरेड सरवटे ने संभाल लिया, रोजाना शाम के समय महाराज बाड़े पर पोस्ट ऑफिस के पास जनता को अंग्रेजों के खिलाफ नारे लगाकर इकट्ठा करते अंग्रेज शाही के खिलाफ भाषण देकर विदेशी कपड़ा जलाने के लिए जनता से अपील करते। जनता में पेंट ,केप तथा अन्य कपड़े जब इकट्ठे हो जाते तो उन्हें जला देना यह क्रम रोजाना चलता था। इसी दरमियान कांम सरवटे के साथ श्री महाजन जी का भांजा शांताराम जो वर्धा गांधी आश्रम में रहते थे, ग्वालियर आए हुए थे तथा वह भी आंदोलन में शरीक हो गए । एक दिन जब महाराज बड़े पर विदेशी कपड़े काफी तादाद में इकट्ठा हो गए तो उन्हें जलाने के लिए शांताराम माचिस सुलगा रहे थे की भीड़ में खड़े उसे समय के एस पी पुलिस जो सादे कपड़ों में थे, वह आगे बढ़े तथा शांताराम को एक वेत( लाठी ) मार दिया। उसी समय आम जनता ने एस पी को बुरी तरह पिटाई कर दी। इस घटना से ग्वालियर राज्य की राज्य मशीनरी बुरी तरह परेशान हो गई। कां सर्वटे को राज्य के होम मिनिस्टर (गृहमंत्री) तथा मिलिट्री के चीफ कमांडर श्री राजवाड़े ने बुलाकर बहुत समझाया की इस किस्म के आंदोलन हमारी रियासत में अगर जल्द बंद नहीं किए तो सख्त कदम उठाना पड़ेगा। 

कांम सर्वटे ने विदेशी कपड़ा बॉयकॉट जारी रखने को कहा कि हम इस कार्य को बंद नहीं करेंगे। आपको जो भी कार्रवाई करना हो आप करें और रोजाना विदेशी कपड़े की होली जलाने का कार्य जारी रखा। विदेशी कपड़ा बॉयकाट आंदोलन के परिणाम स्वरूप नगर के नौजवान लड़के कामरेड सरवटे के साथ और जुड़ गए जिसमें प्रमुख थे गंगाधर दांते, चिंतामणि, बालकृष्ण शर्मा, गिरधारी सिंह। शुरू में गांधीवादी आंदोलन से प्रभावित कांम सर्वटे पर उस समय देश में जोर पकड़ रहा क्रांतिकारी आंदोलन के हिसात्मक प्रतिरोध ने जबरदस्त प्रभाव डाला खासकर पब्लिक सेफ्टी बिल, ट्रेड यूनियन बिल, ट्रेड सेफ्टी बिल जिसे पार्लियामेंट में पेश किया गया था, के विरोध में सरदार भगत सिंह तथा बटुकेश्वर दत्त के संसद में बम फेंकने की घटना ने उन्हें झकजोर दिया।  परिणाम स्वरुप 1929 में गंगाधर दांते, चिंतामणि, बालकृष्ण शर्मा, गिरधारी सिंह आदि नौजवान सहयोगियो को साथ लेकर उन्होंने एक ग्रुप तैयार किया। इस ग्रुप ने तय किया कि गांधी जी के रास्ते पर चल रहे अहिंसात्मक आंदोलन से देश आजाद नहीं होगा। सरदार भगत सिंह का रास्ता हथियारबंद क्रांति का सही है, तथा उसी मुताबिक इस ग्रुप के द्वारा , हथियारों (रिवाल्वर, पिस्तोल ) को इकट्ठा कर उन्हें उपयोग में लाने का अभ्यास ग्वालियर माडरे की माता वाली पहाड़ी पर किया करते थे । इसी अवधी में बंगाल में क्रांतिकारियों के संगठन अनुशीलन समिति के संगठनकर्ता श्री गुप्ता जो फरारी की हालात में ग्वालियर आ गए थे । उनसे संपर्क के बाद उस ग्रुप ने कॉम सर्वटै को बम बनाने तथा हथियार चलाने के विशेष प्रशिक्षण के लिए कोलकाता भेजा गया। वहां चार माह तक एक साबुन बनाने वाली फैक्ट्री में सुबह साबुन बनाने का काम कांम सर्वटे ने किया तथा रात में बम बनाने का काम सीखा। सरकार को इस बात की भनक मिल गई थी परिणाम स्वरुप उनको ग्वालियर वापस आना पड़ा।



कामरेड सरवटे के ग्रुप का संपर्क गोवा निवासी युवक स्टीफन से हुआ जो ग्वालियर में ही निवास करते थे वे इस ग्रुप में शामिल हो गए । ग्रुप ने यह निर्णय लिया कि गोवा पुर्तगालियों के अधिकार में था ,जहां हथियार आसानी से से प्राप्त हो सकते थे कॉम स्टीफन ,कॉम बालकृष्ण शर्मा को वहां( गोवा) से ग्वालियर हथियार लाने का काम सोपा गया। वह हथियार( रिवाल्वर पिस्टल) दो बार तो ले आए परंतु तीसरी बार जब स्टीफन गोवा से ग्वालियर हथियार ला रहे थे तो मुंबई बंदरगाह पर कस्टम अधिकारियों ने कामरेड स्टीफन को गिरफ्तार कर लिया । कामरेड सरवटे उस समय दिल्ली के आजाद मोटर ट्रेनिंग कॉलेज में ड्राइवरी सीख रहे थे कॉम स्टीफन के पास मिले पत्रों मे कामरेड सरवटे का दिल्ली तथा कॉम बालकृष्ण शर्मा का ग्वालियर का पता पुलिस को मिल गया उन्ही पतो के आधार पर कामरेड सरवटे और कामरेड गिरधारी सिंह को दिल्ली में तथा कामरेड बालकृष्ण शर्मा उनके छोटे भाई बालमुकुंद शर्मा को ग्वालियर में मुंबई की पुलिस ने आकर गिरफ्तार कर लिया । उपरोक्त चारों साथियों को मुंबई लाया गया और वहां मुंबई गोवा ग्वालियर षड्यंत्र केस के नाम से मुंबई में प्रेसीडेंसी न्यायालय में मुकदमा चलाया गया, जिसमें कहा गया कि यह लोग इंग्लैंड की हुकूमत के खिलाफ हथियारबंद क्रांति के जरिए उखाड़ना चाहते थे। इस षड्यंत्र केस में चारों साथियों को तीन-तीन साल का कठोर कारावास हुआ। कामरेड सरवटे को पुणे सेंट्रल जेल में भेजा गया वह मुंबई के साम्यवादी नेताओं से संपर्क होने पर कामरेड सरवटे के विचार साम्यवाद की तरफ अग्रसर हुए । जेल यात्रा के दौरान कामरेड सरवटे अनेक बंदी क्रांतिकारी खासकर कम्युनिस्ट नेताओं के संपर्क में आए और मजदूर वर्ग की क्रांतिकारी विचारधारा को अपनाया। जेल से 1935 में छूटने के 6 माह बाद उनकी मां का देहांत हो गया । 

जेल से रिहा होने बाद पुलिस की नजरों में धूल झोंकने के लिए खुले रूप में आयुर्वेद शास्त्र की परीक्षा में कामरेड बालकृष्ण शर्मा के साथ बैठे। बाद में श्री शर्मा ने इसकी दुकान खोली जो इन सब के बैठने की प्रमुख जगह थी। योजना बनाई गई आजादी के साथ-साथ मजदूर वर्ग को भी क्रांतिकारी आंदोलन में हिस्सेदार बनाने का बीड़ा उठाया ।  जिसके परिणाम स्वरूप 1938 में मजदूर सभा के नाम से ग्वालियर के मजदूरों को भी संगठित करना शुरू किया। मजदूरों ने मजदूर सभा के साथ रहकर कामरेड सरवटे के नेतृत्व में बड़े-बड़े संघर्ष किये, सबसे पहली लड़ाई सन 1939 में आम हड़ताल से शुरू हुई हड़ताल से पहले मजदूर से 12-12 घंटे काम लिया जाता था। हड़ताल के परिणाम स्वरुप काम के 12 घंटे घटकर 11 घंटे हो गए तथा मजदूरों पर होने वाली ज्यातियां कम हो गई। मजदूरों की 1939 की हड़ताल से जे सी मिल मैनेजमेंट तथा ग्वालियर राज्य का शासन काप उठा। मैनेजमेंट और राज्य शासन के परामर्श के आधार पर कॉम सरवटे को ग्वालियर राज्य से 3 वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया गया, और आगरा छोड़ा गया। उत्तर प्रदेश के गवर्नर के आदेश के मुताबिक , कॉम सरवटे को आगरा केंद्रीय कारागार में नजर बंद कर दिया गया , करीब 2 साल बाद आगरा और बरेली जेल में रहकर रिहा होने के बाद 1944 में जब कामरेड सरवटे ग्वालियर वापस आए तो जे सी मिल मजदूरों ने दूसरी सफल हड़ताल कर दी। जो करीब 21 दिन तक चली इस हड़ताल के परिणाम स्वरुप मजदूरों को दी जाने वाली महंगाई भत्ते में से जो तीन गैर हाजिरी पर पूरी महंगाई काट ली जाती थी वह बंद करना पड़ी। 

8 घंटे के काम, बोनस ग्वालियर राज्य के सूती मजदूरों को वही तरीका जो उज्जैन के मजदूरों ने हड़तालों के जरिए हासिल किया था तथा ,छटनी के खिलाफ कॉमरेड सर्वटे के नेतृत्व में 1946 की ऐतिहासिक हड़ताल जे सी मिल में 21 - 22 दिन चली, हड़ताल तथा आम जनता का मजदूरों के साथ जुड़ जाने और उसके दवाब के कारण ग्वालियर के तत्कालीन सिंधिया महाराज तथा जे सी मिल मैनेजमेंट को झुकना पड़ा और मजदूरों की समस्त मांगे मंजूर करना पड़ी।कामरेड सरवटे मजदूर, किसान, मेहनतकश अवाम के अलावा आम जनता के एक मात्र सर्वसम्मत नेता के रूप में ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र से 1957 एवं 1972 मै दो बार विधायक एवं पूरे मध्य प्रदेश में मजदूर किसानों मेहनत कश जनता के लिए जीवन पर्यंत अपना शीर्ष योगदान देते रहे।   कामरेड सरवटे का देहावसान 21 अक्टूबर 1998 हो गया उनके एकमात्र पुत्र रविंद्र सरवटे एडवोकेट है जो अपने वकालत के व्यवसाय के साथ-साथ पार्टी एवं बुद्धिजीवी वर्ग के बीच में वामपंथी विचारधारा के प्रचार प्रसार को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं।


कॉमरेड कौशल शर्मा एडवोकेट
ग्वालियर जिला सहसचिव एवं राज्य कार्यकारिणी सदस्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मध्य प्रदेश

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