6 दिसम्बर को सुर-साज की मीठी संगत से महकेगी संगीत की नगरी

ग्वालियर।  संगीत की नगरी ग्वालियर की फिजाएँ 6 दिसम्बर को सुर-साज की मीठी संगत से महकेंगीं। मौका होगा “ग्वालियर का सांगीतिक वैभव” के नाम से सजने जा रही संगीत सभा का । “तानसेन समारोह” के शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखकर पूर्वरंग मंगलाचरण स्वरूप सुर-संगीत की यह महफिल शुक्रवार 6 दिसम्बर को सायंकाल 5 बजे भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान (आईआईटीटएम) में सजेगी। इस कार्यक्रम को “तानसेन स्वर स्मृति” नाम दिया गया है। कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने संगीत एवं कला रसिकों से इस कार्यक्रम का आनंद उठाने की अपील की है। 
संगीत शिरोमणि तानसेन की यादव में आयोजित होने वाले देश और दुनिया के सर्वाधिक प्रतिष्ठित शास्त्रीय संगीत के सालाना महोत्सव “तानसेन समारोह” का इस साल शताब्दी वर्ष है। इस साल यह समारोह 15 से 19 दिसम्बर तक आयोजित होने जा रहा है। समारोह से पहले संगीत की नगरी ग्वालियर में समारोह के प्रति सुखद एवं सकारात्मक वातावरण बनाने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने शहर के संगीत एवं कला मर्मज्ञों के सहयोग से “तानसेन स्वर स्मृति” की रूपरेखा तैयार की है। जिसके तहत 6 दिसम्बर को “ग्वालियर का सांगीतिक वैभव” एवं 10 दिसम्बर को “गालव वाद्यवृंद – सुर ताल समागम” के नाम से संगीत सभायें सजेंगीं। “तानसेन स्वर स्मृति” के अंतर्गत राजा मानसिंह तोमर संगीत  एवं कला विश्वविद्यालय  द्वारा “ग्वालियर का सांगीतिक वैभव” कायर्क्रम का प्रस्तुतीकरण किया जाएगा। करीबन दो घंटे की अवधि के इस कायर्क्रम में ग्वालियर के संगीत की ऐतिहासिक यात्रा को दिखाया जाएगा।  जिसमें संगीत की गायन, वादन और नृत्य तीनों शैलियों के इतिहास और उनके कलाकारों के योगदान को शुरूआत से लेकर वर्तमान तक के सफर को बताने की कोशिश की जाएगी।  इस कार्यक्रम की खास बात यह होगी कि जब जिस विधा या कला के बारे में सूत्रधार द्वारा बताया जाएगा,  उस कला का मंच से युवा कलाकारों द्वारा संगीत के साथ प्रदशर्न भी किया जाएगा। साथ ही उससे जुड़े स्थलों और कलाकारों को बड़े पर्दे पर भी दिखाया जाएगा। इस कार्यक्रम  की संकल्पना, संयोजन और निदेर्शन राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की कुलगुरू प्रो. स्मिता सहस्त्रबुद्धे द्वारा किया गया है। इस कार्यक्रम को कुल 45 कलाकारों के प्रदर्शन द्वारा मंच पर साकार रूप दिया जाएगा।

गायन-वादन के साथ शास्त्रीय नृत्य की मनोरम प्रस्तुतियाँ होंगीं 
राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की कुलगुरू प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि ग्वालियर का संगीत से पुराना नाता रहा है इसलिए इस कायर्क्रम के माध्यम से ग्वालियर की सांगीतिक यात्रा को मंच और पर्दे पर साथ उतारने की कोशिश की गई है। इसमें  गायन, वादन और नृत्य कलाओं और उनकी शैलियों के विकास के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसमें राजा मानसिंह तोमर और तानसेन की ध्रुपद शैली, बैजू बावरा की धमार शैली सहित ख्याल गायकी, चतुरंग गीत शैली, ठुमरी, सरगम, अष्टपदी, टप्पा शैलियों, स्वर वाद्य में वादन में  सितार वादन, वायलिन, अवनद्ध वाद्य में पखावज, तबला वादन,   नृत्य में कथक, भरतनाट्यमम और लोक नृत्य की मनोहर प्रस्तुतियां देखने और सुनने को मिलेंगी।

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