ग्वालियर। भगवान के प्रेम को पाने के लिए गोपीभाव होना जरूरी है। गौ यानि इंद्रियां और पी यानि पीना। जो अपने कामनाओं का दमन कर लेता है,वही गोपी कहलाता है। यह बात पं अंकित शास्त्री ने महलगांव करौली मैया मंदिर में हो रही श्रीमद्भागवत कथा के छटवें दिवस बुधवार को कही।
कुंवर महाराज के सानिध्य में यहां इन दिनों सुबह श्रीराम नवकुंडीय महायज्ञ, दोपहर में श्रीमदभागवत एवं रात्रि में भगवान श्रीराम की लीला का मनोहारी मंचन हो रहा है, जिसमें महामंडलेश्वर कपिल मुनि महाराज की मौजूदगी में अलग-अलग समय पर सैकड़ों श्रदधालु जुट रहे हैं। पं. अंकित शास्त्री ने गोपीगीत का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जब असंख्य रूप बनाकर हर गोपी के साथ अलग-अलग नृत्य किया तो उन्हें भी अभिमान हो गया कि कन्हैया हमारे बगैर नहीं रह सकता,लेकिन भगवान के गोपियों के अभिमान का शमन कर उन पर कृपा की। संसार मेें सबसे बढ़कर मां का प्रेम.... मां के प्रेम का सुंदर व्याख्यान करते हुए कहा कि मां के हाथों से बना भोजन किसी फाइव स्टार होटल में होटल से ज्यादा स्वादिष्ट होता है,क्योंकि उसमें मां का प्रेम मिश्रित होता है। पेट भर जाने के बाद भी मां आखिर में जो एक रोटी लाती है, उसे हम मना नहीं कर पाते, क्योंकि उसमें मां का प्रेम होता है। जब हम मां से दूर होते हैं तो मां के हाथ की रोटी याद आती है। जो मां हमें पोषित करती है, सदा उसका सम्मान करेें, क्योंकि यह कार्य भी ईश्वरतुल्य ही होता है। कल के लिए जल बचाने जरूरी उन्होंने प्रकृति संरक्षण का संदेश देते हुए कहा कि ईश्वर ने जो वस्तुएं हमें उपहार में दी हैं, हम उनके संरक्षण करें। जल है तो कल है। जल के बिना जीवन संभव नहीं हैं, इसलिए इसको व्यर्थ में नष्ट न करें और जितनी जरूरत है उतना ही उपयोग करें। गुरूवार को विश्राम दिवस पर सुदामा चरित्र की कथा होगी।