प्रतिस्पर्धा के दौर में स्वयं को समय न दे पाना भी तनाव का कारण: आदर्श दीदी
- मन को सुकून मिले उसके लिए संबंध संपर्क में आने वालों के साथ आपसी तालमेल जरूरी: प्रहलाद भाई
- ब्रह्माकुमारीज माधवगंज केंद्र पर हुआ स्नेह मिलन
ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधौगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में आयोजित सिन्धी समाज के स्नेह मिलन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्र प्रमुख ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी ने कहा कि इस भागमभाग जिन्दगी में हम कितने भी व्यस्त रहें लेकिन स्वयं के लिए समय अवश्य निकालें। क्योकि आज प्रतिस्पर्धा में हम स्वयं को समय नहीं दे पा रहें है जिससे हमारे जीवन में तनाव बढ़ रहा है। जिसे कम करने के लिए नियमित रूप से ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। दीदी ने सभी को राजयोग ध्यान के बारे में बताते हुए मेडिटेशन के द्वारा शांति की अनुभूति कराई साथ ही जीवन को बेहतर बनाने के टिप्स भी सभी को दिए।
कार्यक्रम में मोटिवेशनल स्पीकर एवं ध्यान एक्सपर्ट बीके प्रहलाद ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में खुश रहने के लिए स्नेह मिलन जैसे कार्यक्रम होते रहना चाहिए। जब हम मिलकर एक दूसरे के साथ विचारों का आदान प्रदान करते है तो मन को सुकून मिलता है और जीवन में प्रसंन्नता बढती है। जिससे हम आगे और अधिक उत्साह से कार्य कर पाते है। आज के जीवन में सबसे अधिक समस्या परिवार एवं संबंध संपर्क में आने वाले लोगो के साथ आपसी तालमेल की कमी देखने को मिल रही है। आप जीवन में कितने ही भौतिक साधन जुटा लें लेकिन यदि परिवार में या आपसी संबंधों में तालमेल नहीं है, मन को सुकून नहीं है तो जीवन में खुशहाली नहीं आ सकती है। दरअसल आमतौर पर यह देखा जा रहा है कि हर व्यक्ति दूसरे को समझाने की कोशिश कर रहा है लेकिन खुद समझने की कोशिश नहीं कर रहा है, ऐसे में सभी को आत्म चिंतन और आत्म अवलोकन की जरुरत है। जीवन में स्थूल संसाधन इक्कट्ठे करना ही सब कुछ नहीं है। वल्कि आत्मिक समृद्धि, प्रेम, स्नेह आदि चीजें जीवन में बिकसित कर ली तो सुख की अनुभूति स्वतः प्राप्त होने लग जायेगी।
आज हमार ज्यादा समय दूसरो की ताका झाँकी में जाता है कि कौन क्या कर है। इस पर ध्यान न देकर इस बात पर फोकस करें कि हम क्या कर रहे है कौन सी ऐसी गलतियाँ है जिन्हें हमें ठीक करना है। तो जीवन का सही रीति से आनंद ले सकेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कभी भी घर में छोटे बच्चों को डांटना नहीं चाहिए। बल्कि उनकी हर जिज्ञासा का प्यार से समाधान करना चाहिए। तो बच्चों के संस्कार अच्छे बन जाएंगे।बच्चे मोबाइल का प्रयोग ज्यादा करते है। इस सवाल का जबाब देते हुए प्रहलाद भाई ने कहा कि घर के बड़े लोग मोबाइल का प्रयोग कम कर दें तो बच्चे भी मोबाइल का कम प्रयोग करेंगे। क्योकि बच्चे घर में जैसा देखते है उसका असर उन पर पड़ता है।इस अवसर पर कविता, पमनानी, सुरेश बजाज, पंकज लालवानी, सतरामदास आवतानी, रामलाल, रामचंद बजाज, पालक विनोद ढींगरा, कशिश संजय तोतलानी, दीपा नरेश थारानी, सोनू आहूजा सहित अनेकानेक माताएं बहनें एवं भाई उपस्थित थे।