खुशबू हूं मैं फूल नहीं जो मुरझाऊंगा, जब जब मौसम लहराएगा मैं आ जाऊंगा

ग्वालियर में पले बढ़े प्रसिद्ध शायर और दोहाकार, पद्मश्री निदा फ़ाज़ली पर बनी डॉक्यूमेंट्री 'मैं निदा' का प्रदर्शन, ९ नवंबर को, बाल भवन सभागार में शहर के गणमान्य नागरिकों के सानिध्य में किया गया। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि, क्षेत्र के पूर्व सांसद  विवेक नारायण शेजवालकर, IITTM के डायरेक्टर  आलोक शर्मा, अतुल पाण्डेय (फिल्म डायरेक्टर, मुंबई), अतुल गंगवार (फिल्म प्रोड्यूसर, दिल्ली), सी पी एस तोमर (फिल्म एडिटर, नोएडा), तन्मय गंगवार (प्रोडक्शन हेड) के साथ स्व. श्री निदा फ़ाजली जी की धर्मपत्नी श्रीमति मालती जोशी फाजली भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं.

हाल ही में ‘मैं निदा’ का चयन गोवा में आयोजित होने वाले, देश के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शन के लिए हुआ है।

इस फिल्म में साहित्य और फिल्म जगत की अनेक जानी मानी हस्तियों ने निदा साहेब के व्यक्तित्व के बारे में, जाने अनजाने पहलुओं पर अपने स्मरण प्रस्तुत किए है। इनमें प्रमुख है, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्रा और जॉन मैथ्यू मथायन, अमित राय, अश्विनी चौधरी, प्रसिद्ध गायक और संगीतकार शान, रंगकर्मी, लेखक और अभिनेता अतुल तिवारी, वरिष्ठ संगीतकार कुलदीप सिंह, गायिका जसपिंदर नरूला, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पत्रकार अनंत विजय, शायर मदन मोहन दानिश, अतुल अजनबी के साथ उनके पुराने मित्र मो.वकार और भाई तारिक कुरैशी आदि शामिल हैं।

फिल्म की शुरुआत निदा साहेब की अपने पिता के ऊपर लिखी नज़्म, वालिद की वफ़ात से होती है जिसे स्वर दिया है प्रसिद्ध अभिनेता पद्मश्री स्वर्गीय टॉम ऑल्टर ने। इस फिल्म में गायक शान के पिता मानस मुखर्जी के संगीतबद्ध तीन गीतों को शान ने अपनी आवाज दी है। पार्श्व संगीत ज़ाज़िम शर्मा ने दिया है। 

निदा देश के कुछ चुनिंदा लेखकों में से एक हैं जो अपनी शायरी, अपनी कहानियों, अपने गीतों, अपने दोहों आदि के लिए विख्यात हैं। अपने खरेपन और बेबाकी के लिए जाने वाले निदा फ़ाज़ली को आधुनिक युग का कबीर कहा जाता है।

इस अवसर पर वहां उपस्थित पूर्व सांसद  विवेक नारायण शेजवालकर जी ने निदा फ़ाज़ली साहेब को ग्वालियर का एक ऐसा रत्न बताया जिसने अपनी चमक से देश में ना केवल अपना बल्कि ग्वालियर का भी सम्मान बढ़ाया है। उन्होंने, निदा साहेब के जीवन पर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली निर्माण टीम का धन्यवाद किया। 

IITTM के निदेशक आलोक शर्मा ने शायरी के क्षेत्र में निदा साहेब के योगदान को याद करके कहा इस फिल्म के माध्यम से निदा साहेब के व्यक्तित्व के कई अनजाने पहलुओं को जानने का मौका मिला। निदा साहेब की रचनाएं कल भी प्रासंगिक थीं, आज भी और कल भी रहेंगी।

मालती जोशी फ़ाज़ली के लिए फ़िल्म का प्रदर्शन एक भावात्मक अनुभव रहा। उन्होंने याद दिलाया कि निदा साहेब, ताउम्र ग्वालियर से जुड़े रहे और हर मौक़े पर उनका शहर में आना-जाना लगा रहता था। मालती जी इस अवसर पर अपनी बिटिया ‘तहरीर फ़ाज़ली’ को भी निंदा के शहर लेकर आईं। 

निदा साहेब की शायरी आज खुशबू की तरह पूरे विश्व को महका रही है।

posted by Admin
332

Advertisement

sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
Get In Touch

Padav, Dafrin Sarai, Gwalior (M.P.)

00000-00000

sandhyadesh@gmail.com

Follow Us

© Sandhyadesh. All Rights Reserved. Developed by Ankit Singhal

!-- Google Analytics snippet added by Site Kit -->