आईटीएम ग्लोबल स्कूल ग्वालियर में आकार ले रहा तमिलनाडु का कोइल (मंदिर)

- आईटीएम ग्लोबल स्कूल ग्वालियर में चल रहा ‘तमिलनाडु के मृदाशिल्प सृजन-2024‘ कैंप

- टेराकोटा मृदाशिल्पकार हुए निराश, कहा-ग्वालियर में कला के प्रेमी है ही नहीं...

- टेराकोटा से निर्मित साढ़े चार से लेकर 12 फीट तक उंची प्रतिमाएं कर रहीं अपनी ओर आकर्षित

- माता-पिता से सीखी टेराकोटा, अब भावी पीढ़ी को करना चाहता हूं हस्तांतरितः थंगैया रमैया

- कैंप में आकर ग्वालियर शहर और अंचल के छात्र-छात्राएं, युवा व कलाप्रेमी कर सकेंगे अवलोकन

ग्वालियर । मिट्टी का कण-कण अब विशाल मूर्तियों के स्वरूप में परिवर्तित हो रहा है। सुंदर और मनमोहन मूर्तियां हर किसी को अपनी ओर सम्मोहित करती नजर आ रही हैं। यह नजारा है आईटीएम ग्लोबल स्कूल ग्वालियर के तुरारी परिसर का। जहां दूर-दूर तक टेराकोटा से आकर्षक मूर्तियों को स्वरूप प्रदान करते तमिलनाडु से आए ख्यातिनाम मृदाशिल्पी अपने कौशल का बखूबी परिचय दे रहे हैं। यह मनोहारी दृश्य जीवंत हो रहा है आईटीएम ग्लोबल स्कूल के तुरारी कैंपस स्थित कबीर प्रखंड के पास ‘तमिलनाडु के परंपरागत मृदाशिल्प सृजन-2024 कैंप में।
जहां तमिल नाडु से आए प्रख्यात हस्थशिल्पी, मृदाशिल्पी और कलाकारों द्वारा सृजनात्मक कार्य किया जा रहा है। 

टेराकोटा मृदाशिल्पकार हुए निराश, कहा-ग्वालियर में कला के प्रेमी है ही नहीं...
आईटीएम ग्लोबल स्कूल के तुरारी कैंपस में ‘तमिलनाडु के परंपरागत मृदाशिल्प सृजन-2024 कैंप के दौरान तमिलनाडु से आए मृदाशिल्पका, कलाकार निराश नजर आए। उनके विचारों में उत्साह की कमी साफ दिखाई दी। ख्यातिनाम वरिष्ठ शिल्पकार थंगैया रमैया ने विशेष चर्चा के दौरान कहा कि ग्वालियर शहर में तमिलनाडु के परंपागत मृदाशिल्प सृजन कैंप का आयोजन इतने बड़े स्तर पर संभवतः पहली बार हो रहा है। मैंने कला के क्षेत्र में ग्वालियर का बहुत नाम सुना है। लेकिन यहां आने के बाद इस कैंप को निहारने और कला का करीब से जानने के लिए ग्वालियर नगर के कला प्रेमी नजर ही नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि टेराकोटा से निर्मित शिल्प को लेकर ग्वालियर के लोगों में उत्साह दिखाई ही नहीं दे रहा है। ऐसा लग रहा है कि ग्वालियर में कला के प्रेमी है ही नहीं। 

माता-पिता से सीखी टेराकोटा, अब भावी पीढ़ी को करना चाहता हूं हस्तांतरितः थंगैया रमैया
आईटीएम ग्लोबल स्कूल के तुरारी कैंपस में ‘तमिलनाडु के परंपरागत मृदाशिल्प सृजन-2024 कैंप के दौरान तमिलनाडु से आए ख्यातिनाम वरिष्ठ शिल्पकार थंगैया रमैया ने विशेष चर्चा के दौरान बताते हुए कहा कि मैंने बचपन से ही अपने माता-पिता से अपने समुदाय के लिए अपनाई जाने वाली टेराकोटा कला सीखी। इसके बाद मैंने एम. रेंगासामी से प्रशिक्षण प्राप्त कर इस कला के क्षेत्र में महारत हासिल की। उन्होंने कहा कि अब इस कला और भारतीय संस्कृति को भावी पीढ़ी में हस्तांतरित करना चाहता हूं। जिससे हमारी टेराकोटा कला और भारती संस्कृति जीवित रहे। उन्होंने बताया कि हमारी कलाकृतियां गृह राज्य तमिलनाडु में ही नहीं बल्कि देश और विदेश में भी आमजन को परंपरागत संस्कृति से रूबरू कराती नजर आ रही हैं। आपको बता दें कि थंगैया रमैया और उनकी टीम द्वारा राष्ट्रीय हस्तशिल्प और हथकरघा संग्रहालय कपड़ा मंत्रालय, भैरों रोड, नई दिल्ली, मानव जाति संग्रहालय (आईजीआरएमएसरू भोपाल और मैसूर), संस्कृति संग्रहालय, नई दिल्ली, सुरथ कल, कोलकाता, भोपाल, रायपुर, चिकमगलूर और कोझिकोड, कन्नूर, उदयपुर, वडोदरा, रायपुर, मैसूर, बिहार और चेन्नई में टेराकोटा से निर्मित मूर्तियों का प्रदर्शन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही ग्रीस, दक्षिण कोरिया, ताइवान, जापान, टोक्यो, जापान, फ्रांस में पैरिश (पेरिस), मलेशिया, मियांमार, बर्मा में भी भारती संस्कृति की झलक और टेराकोटा से मूर्तियों का निर्माण कर अपनी कला की अमिट छाप छोड़ चुके हैं। 
टेराकोटा से निर्मित साढ़े चार से लेकर 13 फीट तक उंची प्रतिमाएं कर रहीं अपनी ओर आकर्षित
आईटीएम ग्लोबल स्कूल के तुरारी कैंपस में ‘तमिलनाडु के परंपरागत मृदाशिल्प सृजन-2024 कैंप के दौरान तमिलनाडु से आए ख्यातिनाम मृदाशिल्पियों द्वारा तमिलनाडु में प्रसिद्ध कोइल (मंदिर) के स्वरूप का निर्माण किया जा रहा है। इस मंदिर की खास विशेषता यह है कि कोइल में टेराकोट से आकर्षक मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है। तमिलनाडु से आए वरिष्ठ मृदाशिल्पी थंगैया रमैया ने बताया कि तमिलनाडु में मंदिर को कोइल कहा जाता है। कोइल में अय्यनार देवता और उनके गणधरों की मूर्तियां स्थापित होती हैं। अय्यनार देवता हमारे समाज और राष्ट्र की रक्षा करते हैं। उन्होंने बताया कि कोइल में अय्यनार देवता और उनकी पत्नियां पूर्णकला व पुष्पकला, सैनिक वीरभद्र सहित, नाग कन्यायें, सेविकाएं, हाथी, घोड़े, श्वान, वैल, भैंस सहित पारंपरिक 32 मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है। कोइल में इन मूर्तियों की उंचाई साढ़े चार फीट से लेकर 12 फीट तक की होगी। इन मूर्तियों की विशेषता यह है कि यह सभी टेराकोटा से इस तरह निर्मित की जा रही हैं, जिससे उन्हें सैकड़ों वर्षों तक सहेज कर रखा जा सके। 
आईटीएम ग्लोबल स्कूल ग्वालियर में आयोजित ‘तमिलनाडु के परंपरागत मृदाशिल्प सृजन-2024‘ कैंप में प्रख्यात हस्थशिल्प विशेषज्ञ मुश्ताक खान (सेवानिवृत्त उपनिदेशक, राष्ट्रीय हस्थशिल्प संग्रहालय, नईदिल्ली) वरिष्ठ मूर्तिकार थंगैया रमैया, दुरैमानिकं, ठंडेउधपनि, घनपंडिदन, सेल्वराज, शिवलिंगम, दिनेश, शिवकन्न, पुष्पराजा, एसराजा, मुरुगन द्वारा अपने हुनर का प्रदर्शन कर टेराकोटा की मूर्तियों को बनाकर अपनी कला रूपी जान फूंकने का कार्य कर रहे हैं। 

कैंप में आकर ग्वालियर शहर और अंचल के छात्र-छात्राएं, युवा व कलाप्रेमी कर सकेंगे अवलोकन
आईटीएम ग्लोबल स्कूल ग्वालियर में चल रहे ‘तमिलनाडु के परंपरागत मृदाशिल्प सृजन-2024‘ कैंप में ग्वालियर शहर और अंचल के विद्यार्थी, युवा और कलाप्रेमी भ्रमण कर अवलोकन कर सकेंगे। इस कैंप में भ्रमण से पूर्व आईटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर के उप-कुलसचिव श्री अनिल माथुर से मोबाइल नंबर 9425307448 पर संपर्क सूचना देनी होगी और समय निर्धारित कर सकते हैं। भ्रमण के लिए प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे के बीच सूचना देना अनिवार्य है।  


posted by Admin
90

Advertisement

sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
Get In Touch

Padav, Dafrin Sarai, Gwalior (M.P.)

00000-00000

sandhyadesh@gmail.com

Follow Us

© Sandhyadesh. All Rights Reserved. Developed by Ankit Singhal

!-- Google Analytics snippet added by Site Kit -->