गलती हो जाए तो प्रायश्चित जरूर करें: पं.घनश्याम शास्त्री

गौरवशाली सामाजिक संस्था एवम गौरवशाली भागवत सेवा समिति के तत्वाधान में नेताजी गार्डन सिकंदर कंपू ग्वालियर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में दूसरे दिन सुप्रसिद्ध भागवताचार्य पं.शघनश्याम शास्त्री महाराज ने कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं। लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है कथा व्यास ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया। कहा कि परीक्षित कलियुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। उसी के पश्चाताप में वह शुकदेव जी के पास जाते हैं।  उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है। इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्यों कि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये  पंडित घनश्याम शास्त्री जी ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा की कथा के साथ अन्य कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया। श्रीमद् भागवत कथा में आज कथा परीक्षित  श्रीमती रुचि नितिन डोगरा, वरिष्ठ भाजपा नेत्री श्रीमती गिरजा गर्ग, वरिष्ठ पत्रकार पी डी सोनी, संस्था अध्यक्ष शिल्पा डोगरा ,डॉ. जितेन्द्र सिंह राजावत , श्रीमती तृप्ति भटनागर  , श्री श्याम श्रीवास्तव , इंजी. विजय शर्मा, दिनेश शर्मा ,श्रीमती रीता डोंगरा,  नरेन्द्र चौहान, यशपाल कपूर, आर एन एस भदौरिया, बृज बिहारी वाजपई, श्रीमती सीमा समाधिया, विनोद सप्रा  , वासुदेव मिश्रा, प्रमोद नरवरिया सुनील करन जी, कार्तिक रोहिरा जी , हरीओम शर्मा,निमिष भावेश डोगरा , गौरव वंसल, ऋषट तरसोलिया ,पंकज जुनेजा जी, साकेत कुशवाह जी, लक्ष्मी करन जी, अंजली नरवरिया,रेखा गम्भीर, पुष्पा कुशवाह , सुनील करण, ऊषा बाथम , अमृत डोंगरा जी, कृष्णा करन , पिंकी कुशवाह , नंदनी करण , हिमांशु करण आदि ने भागवत भगवान की आरती की।

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