सकारात्मक देखने से आपको सकारात्मक रास्ते नजर आएंगे: प्रो. मोहनदास

जेयू: दो दिवसीय चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का हुआ शुभारंभ


सिनेमा के माध्यम से बीहड़ों की धारणा को बदलना होगा: आरिफ शहडोली

चंबल अंचल की कला, प्रतिभा और साहित्य वैश्विक पटल पर स्थापित है: कुलगुरू प्रो.अविनाश तिवारी

ग्वालियर। भारत में चंबल क्षेत्र, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में फैले चंबल के बीहड़ों को अक्सर बॉलीवुड फिल्मों में दिखाया जाता है, क्योंकि यहां के बीहड़ और सुरम्य परिदृश्य के साथ-साथ डाकुओं और अपराधियों के साथ इसका ऐतिहासिक जुड़ाव है। चंबल क्षेत्र डकैतों के जीवन पर केंद्रित बॉलीवुड फिल्मों के लिए एक लोकप्रिय स्थान रहा है।सकारात्मक देखने से आपको सकारात्मक रास्ते नजर आएंगे। चंबल फिल्म फेस्टिवल के माध्यम से इस क्षेत्र की रूढ़ीवादी छवि को खत्म करना हैं।यह बात शनिवार को गालव सभागार में चंबल संग्रहालय पंचनद और पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र में ज्यूरी चेयरमैन और निदेशक प्रोफेसर मोहन दास ने कही।फिल्म निर्माता- निर्देशक अभिक भानु, एंकर और टेलीविजन सेलिब्रिटी डॉ. दीप्ति शर्मा, सामाजिक उद्यमी संजय कुमार, फिल्म अभिनेता आरिफ शहडोली, गीतकार सूर्य प्रताप राव रेपल्ली अतिथि के रूप में उपस्थित रहे वहीं अध्यक्षता जेयू के कुलगुरु प्रो. अविनाश तिवारी ने की। प्रो. एसएन महापात्रा के स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।इसी क्रम में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जेयू के कुलगुरु प्रो. अविनाश तिवारी ने कहा कि चंबल पर्यावरण की दृष्टि से सबसे अच्छा क्षेत्र है यहाँ नदियां अधिक है। चंबल नाम केवल दहशत वाला है। यहां चंबल सफारी है जो टूरिज्म की दृष्टि से बहुत ही अच्छा है। चंबल के छात्र प्रतिभाशाली छात्र है।चंबल के लोग कोमल हृदय वाले हैं। फिल्म एक ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से किसी भी क्षेत्र को अच्छा और बुरा दिखाया जा सकता है। फिल्म के माध्यम से फिल्म निर्देशक अच्छा संदेश देते हैं। चाहे वह समाज की कुरिति हो या समाज की कोई भी समस्या।फिल्म आपको किसी भी विषय पर सोचने के लिए विवश करती है। फिल्म हमेशा बोलती है।उन्होंने कहा कि चंबल अंचल की कला, प्रतिभा और साहित्य वैश्विक पटल पर स्थापित है। डॉ.दीप्ति शर्मा ने कहा कि कोई भी विचार हमेशा भाव से व्यक्त होते हैं। आप किसी भी क्षेत्र को अपने भाव से बदलने की क्षमता रखते हैं। आप किसी भी क्षेत्र की स्थिति को अपने अनुकूल बदल सकते हैं।प्रो.एसएन महापात्र ने कहा कि शॉर्ट फिल्म बनाने और सीखने का अवसर छात्रों को मिलेगा। चंबल पर कोई मूवी बनती है तो डाकू और बीहड़ दिखाए जाते है। लेकिन अब सकारात्मक तस्वीर दिखाई जा रही है। यह बेहद खुशी की बात है।हमारे चंबल में टूरिज्म की काफी संभावना है।संजय कुमार ने कहा कि युवाओं को कैसे मौका मिले, हम क्या कर सकते हैं। महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है। शॉर्ट फिल्म के माध्यम से गांव की महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है।अभिक भानू ने कहा कि चंबल के नाम से लोग कांपते हैं और इस चंबल के अंदर जाना वहां की अच्छाई को निकालना बहुत ही बड़ी बात है।सूर्य प्रताप राव ने कहा कि ख्वाब ऐसा क्या जो ख्वाब उड़ जाए, ख्वाब ऐसा होना चाहिए जो पूरा हो जाए।आरिफ शहडोली ने कहा कि चंबल को आप सकारात्मक दृष्टि से देखोगे तो चमकता बल है और जो चमकता बल है, वही चंबल है। खोज कल्पना आविष्कार फिल्म निर्देशक का मुख्य कारक है। हर शब्द के पीछे एक इतिहास छुपा होता है। हरकत से बरकत होती है। जैसी हरकत करोगे वैसी बरकत होगी। फेस्टिवल संस्थापक और चंबल संग्रहालय, पंचनद के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि ‘चंबल के ऐतिहासिक धरोहर’ विषय पर फिल्ममेकिंग कंप्टीशन आयोजित करना गौरव का विषय है। उन्होंने छात्रों को फिल्म मेकिंग के टिप्स एवं ट्रिक्स दिए।फिल्म समारोह के दौरान चंबल म्यूजियम द्वारा अंचल पर केन्द्रित पुस्तक प्रदर्शनी और ‘चंबल में आके तो देखो’ विषय पर फोटो प्रदर्शनी लगाई गई। कार्यक्रम के दौरान सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह् भेंट कर सम्मानित किया गया।उद्घाटन समारोह के बाद पहले दिन ज्यूरी द्वारा चयनित देश-विदेश के फिल्मकारों की विभिन्न श्रेणियों में नामित फिल्में नाम में क्या रखा है, आईपीएसए, कथाकार, नवरस कथा कोलाज, कर्तव्य एक प्रेरणा, ल्यूबिमा, द स्केलपेल, रेड राइस, अनिताज डविथा, द स्टोन, बयाकेगालू बेरूरीडागा फिल्में प्रदर्शित की गईं।मंच संचालन दुर्गाशरण दुबे ने किया, डॉ. भुवनेश तोमर के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।इस मौके पर डॉ. निमिषा जादौन,डॉ. सत्येंद्र नागायच, राघवेंद्र गोयल,देवी सिंह राठौर, मिनी मंगल सहित छात्र एवं छात्राएँ उपस्थित रहे।

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