आरोग्य भारती के अभा प्रतिनिधि मंडल सम्मेलन में होगा मंथन -मुख्यमंत्री यादव करेंगे उद्घाटन


ग्वालियर। आरोग्य भारती का अखिल भारतीय प्रतिनिधि मंडल सम्मेलन 21 एवं 22 सितंबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्व विद्यालय के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में आयोजित किया जाएगा। 
 आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ.अशोक कुमार वाष्र्णेय ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन 21 सितंबर को प्रात: 11 बजे होगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव वर्चुअल रूप से शामिल होंगे, विशिष्ट अतिथि आयुष मंत्रालय भारत सरकार के आयुर्वेद सलाहकार डॉ.कौस्तुभ उपाध्याय होंगे। अध्यक्षता मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर करेंगे।  सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश जी सोनी का भी मार्गदर्शन मिलेगा। उन्होंने बताया कि 22 सितंबर को प्रात: 10 बजे समापन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया होंगे।
उन्होंने बताया कि सम्मेलन की तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। कार्यक्रम में देशभर के लगभग 750 कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी भाग लेंगे। सम्मेलन में वह विगत वर्ष के कार्यों की जानकारी देंगे, साथ ही आगामी कार्यक्रमों की भी रूपरेखा तय करेंगे। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर आयोजन समिति के सह सर्व व्यवस्था प्रमुख जेपी शर्मा, मीडिया विभाग प्रमुख राहुल शर्मा तथा जिला योगप्रभारी दिनेश चाकणकर उपस्थित रहे। 

देश के 871 जिलों में सक्रिय है आरोग्य भारती
डॉ.वाष्र्णेय ने बताया कि आरोग्य भारती स्वास्थ्य के क्षेत्र में अखिल भारतीय स्तर पर कार्य करने वाला संगठन है। एक सामान्य व्यक्ति बिना औषधि के कैसे स्वस्थ रह सकता है, इसको ध्यान में रखकर आरोग्य भारती का गठन 2 नवंबर 2002 को कोच्चि (केरल) में हुआ था। यह देश में 871 जिलों में कार्यरत है। उन्होंने बताया कि आरोग्य भारती के कार्य के चार प्रमुख आधार हैं। पहला स्वास्थ्य के क्षेत्र में रोग प्रतिबंधन से संबंधित कार्य करना, दूसरा विज्ञान और तकनीकी ज्ञान से उपलब्ध सुविधाओं के अति उपयोग के परिणाम स्वरूप बढ़ते हुए जीवनशैली जनित रोगों को ध्यान में रखकर स्वस्थ जीवन शैली को आधार बनाना, तीसरा रोग प्रतिबंधन से संबंधित कार्य होने के कारण सभी चिकित्सा पद्धतियों के सहयोग से सर्वसमावेशी स्वास्थ्य संरचना के आधार पर काम करना और चौथे आधार के तहत अगर किसी व्यक्ति में रोगों के लक्षण नहीं होने के बाद भी जब तक कि वह अंदर से आनंदित अनुभव न करे तब तक कार्य करना है। 

एक साल में हुए 18526 आरोग्य मित्र प्रशिक्षित
डॉ.वाष्र्णेय ने बताया कि विगत एक वर्ष में 229 जिलों के 3333 स्थानों पर 18526 आरोग्य मित्र प्रशिक्षित हुए हैं। 513 जिलों के 1952 स्थानों पर 35674 लोग नियमित योग अभ्यास करते हैं। 351 जिलों के 1662 विद्यालयों में १२३५५८ विद्यार्थियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया। 181 जिलों के 1181 स्थानों पर 89721 औषधीय पौधे रोपित किए गए एवं उनके बारे में जानकारी दी गई। इसके अलावा देशभर में गर्भ संस्कार कार्यशालाएं भी आयोजित की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि देश में भोपाल, इंदौर, मुंबई, प्रयागराज, कोलकाता, कोल्हापुर, सूरत, अहमदाबाद सहित करीब 12 स्थानों पर  गर्भ संस्कार केंद्र संचालित हैं।समाज को आरोग्य बनाने में जुटी आरोग्य भारती
धर्मार्थ काममोक्षाणां आरोग्यं मूलमुत्तमम् अर्थात स्वस्थ व्यक्ति ही चारों पुरुषार्थ यानी धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष को ठीक प्रकार से प्राप्त कर सकता है। सुख, सम्पन्नता एवं विकास का स्वास्थ्य से गहरा सम्बन्ध है। स्वस्थ व्यक्ति के द्वारा ही राष्ट्र समृद्ध एवं गौरवशाली बन सकता है। इसी चिंतन को आधार मानकर धन्वन्तरि जयन्ती के पावन दिवस पर 02 नवम्बर 2002 को कोच्चि (केरल) में आरोग्य भारती की स्थापना की गई। 
आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ.अशोक कुमार वाष्र्णेय ने बताया कि आरोग्य भारती सभी प्रकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में रूचि रखने वाले व्यक्तियों का एक स्वयंसेवी संगठन है। जो भारतीय जीवन मूल्यों को आधार मानकर, स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रचिलित विभिन्न पद्धतियों के प्रति सम्मान के भाव के साथ सेवाभावी व्यक्तियों को संगठित कर स्वस्थ राष्ट्र के निमार्ण में प्रयासरत है। दुर्भाग्य से पश्चिमी सभ्यता के विकास एवं प्रभाव के साथ हमारे देश में स्वास्थ्य सेवायें केवल रुग्ण चिकित्सा तक ही सीमित रह गई है तथा वह भी चिकित्सालय एवं डॉक्टर केन्द्रित हो हो गई है। सामान्य व्यक्तियों के रोग निवारण हेतु कोई बड़े चिकित्सालय या चिकित्सक की आवश्यकता नहीं है। हर व्यक्ति एवं समाज इतना जागरूक, शिक्षित एवं साधन सम्पन्न हो कि वह स्वयं इन सनस्याओं का समाधान कर सके। इस भारतीय स्वास्थ्य चिंतन को आधार बनाते हुए समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य जागरण कर स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाना ही आरोग्य मारती का मूल उद्देश्य है।
कार्य की व्यापकता एवं सर्वस्पर्शी भाव के साथ-साथ सहज प्रयास में हो सकने वाले कार्यों का प्रशिक्षण करते हुए शोध परक कार्य खड़ा कर प्रभावी प्रकल्प विकसित करना कार्यपद्धति का महत्वपूर्ण अंग है। वर्तमान में कुल 24 प्रकार के 
कार्य क्षेत्रों, सेवा प्रकल्प प्रशिक्षण वर्ग, संगोष्ठी आदि के माध्यम से देश के 41 प्रांतों के 871 जिलों में एवं दैनिक साप्ताहिक, पाक्षिक एवं मासिक अंतराल पर लगभग 4000 नियमित प्रकल्पों के माध्यम से कार्य हो रहा है।
आरोग्य मित्र प्रशिक्षण, स्वस्थ ग्राम योजना, विद्यालय स्वास्थ्य प्रबोधन, महिला कार्य किशोरी विकास, चिकित्सा विद्यार्थी कार्य, घरेलू उपचार, प्रथमोपचार, योग प्रशिक्षण, मधुमेह योग प्रबंधन, वनौषधि प्रचार-प्रसार, स्वस्थ जीवनशैली, गर्भ संस्कार परिचय, पर्यावरण भारतीय स्वास्थ्य चिंतन, धन्वंतरि जयंती, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस आदि विषयों की जानकारी देना, प्रशिक्षण वर्ग आयोजन, साहित्य निर्माण, कार्यकर्ता चिंतन एवं प्रशिक्षण वर्ग तदनुसार कार्यपद्धति का निर्माण कर प्रभावी प्रकल्प विकसित कर स्वास्थ्य जागरण करने में आरोग्य भारती जुटी हुई है।

चिकित्सा व्यय पर 80 प्रतिशत आई कमी
डॉ.वाष्र्णेय ने बताया कि आरोग्य भारती के प्रयासों से समाज में स्वास्थ्य जागरण के साथ-साथ व्यक्ति एवं परिवारों के चिकित्सा व्यय पर 80 प्रतिशत तक की कमी आई है। वनौषधियों का प्रयोग, घरेलू उपचार, प्रथमोपचार, विरुद्ध आहार से बचाव के कारण रोगियों की संख्या में 70 प्रतिशत तक कमी आई है। स्वर्णप्राशन संस्कार, योग प्रशिक्षण एवं मधुमेह योग प्रबंधन से व्यक्तियों की क्षमता (स्टेमिना का विकास हो रहा है। निरन्तर बदलते प्रतिस्पर्धी तनावयुक्त वातावरण में स्वस्थ जीवन शैली एवं उसका प्रशिक्षण व्यक्तियों के जीवन एवं आस-पास के वायुमण्डल को तनावमक्त एवं आनन्दमय जीवन का अनुभव प्रदान करने में सहायक हो रहा है।

871 जिलों में कार्यरत है आरोग्य भारती
उन्होंने बताया कि आरोग्य भारती देश के 41 प्रांतों और 13 क्षेत्रों के 871  जिलों में कार्यरत है। आगामी समय में कुछ अन्य प्रांतों में भी संगठन सक्रिय होगा। 

कोरोनाकाल में मानवता की सेवा की
आरोग्य भारती ने कोरोनाकाल में लोगों की सेवा के लिए बढ़चढक़र भाग लिया। इस महामारी के दौरान कार्यकर्ताओं ने न केवल मनोबल बढ़ाया बल्कि उन्हें दवाई भी वितरित की। 

स्वस्थ राष्ट्र की परिकल्पना
आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ.वाष्र्णेय ने बताया कि  स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ ग्राम व स्वस्थ राष्ट्र की परिकल्पना को लेकर आरोग्य भारती काम करती है। इसलिए राष्ट्र को स्वस्थ रखने के लिए स्व को जगाना होगा। इसलिए रोगी को रोगमुक्त करने के साथ-साथ उसके साथ आत्मीय संबंध भी बनाना है। 

योग को दिया बढ़ावा
उन्होंने बताया कि आरोग्य भारती मध्य भारत प्रांत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर ऑन लाइन एवं ऑफ लाइन माध्यम से घर-घर योग क्रियाओं का अभ्यास कराया गया। जिसमें मध्य भारत प्रांत के 20 जिलों में से 16 जिलों के 28 स्थानों पर योग अभ्यास का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमें 1184 पुरुष, 1359 महिलाएं एवं 2926 विद्यार्थी कुल मिलाकर 5469 लोगों ने योगाभ्यास किया।

धन्वन्तरि जयंती मनाई
भोपाल के पुरानी विधानसभा (मिन्टो हॉल) में आरोग्य भारती द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस तथा धन्वन्तरि जयंती कार्यक्रम का आयोजित किया गया। कार्यक्रम में राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल, तत्कालीन आयुष मंत्री  रामकिशोर (नानो) कांदरे, आरोग्य भारती के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सुनील जोशी, राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. अशोक कुमार वाष्र्णेय, एवं पंडित खुशी लाल आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला उपस्थित थे।
इस अवसर पर आरोग्य भारती की मासिक पत्रिका आरोग्य सम्पदा का विशेषांक ‘सर्वसमावेशी स्वास्थ्य’ का विमोचन किया गया तथा जबलपुर निवासी होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. एन सोलैयप्पन एवं रीवा निवासी परम्परागत वैद्य श्री वंशवर्धन तिवारी को चिकित्सा सेवा कार्य के लिए धन्वन्तरि सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया। मध्य भारत प्रांत के 20 जिलों में से 16 जिलों के 40 स्थानों पर धन्वन्तरि जयंती का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमें 1081 पुरुष, 256 महिलाएं एवं 300 विद्यार्थी कुल मिलाकर 1637 उपस्थिति रही।

मुख्य बातें
- आरोग्य भारती का गठन 2 नवंबर 2002 को हुआ था।
-विगत एक  वर्ष में 229 जिलों के 3333 स्थानों पर 18526 आरोग्य मित्र प्रशिक्षित हुए।
-513 जिलों के 1952 स्थानों पर 35674 व्यक्ति नियमित योग अभ्यास करते हैं।
-351 जिलों के 1462 विद्यालयों में 123558 विद्यार्थियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया।
-181 जिलों के 1181 स्थानों पर 89721 औषधीय पौधे रोपित किए गए एवं उनकी जानकारी दी गई। 
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 गर्भ में ही बच्चों को बना रही संस्कारी
आरोग्य भारती बच्चों को गर्भ में ही सुसंतान यानी सुपर बेबी बनाने का भी काम कर रही है। इसके लिए देशभर में गर्भ संस्कार कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। डॉ.वाष्र्णेय ने बताया कि गर्भ में ही बच्चों को सुसंतान बनाने की प्रक्रिया आयुर्वेद में बताई गई है। महाभारत काल में अभिमन्यु इसका उदाहरण हैं। उन्होंने बताया कि उत्तम संतति के जरिए हमारा खास मकसद समर्थ भारत का निर्माण करना है। इस प्रक्रिया से अब तक करीब 700 बच्चे जन्म ले चुके हैं। हमारी कोशिश है कि सन 2025 तक भारत में इस प्रक्रिया से हजारों संतान पैदा हों। इसके लिए हम हर राज्य में गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र खोलेंगे।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी ने अपनाई थी गर्भ संस्कार प्रक्रिया
उन्होंने बताया कि गर्भ संस्कार के माध्यम से जेनेटिक इंजीनियरिंग करके गर्भ के अंदर ही बच्चे को संस्कारी बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एक महिला को एक उत्तम संतति पाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होगा। जैसे- माता-पिता का तीन महीने का शुद्धिकरण, ग्रहों के मुताबिक गर्भधारण, गर्भधारण के बाद पूरा परहेज और सही भोजन लेना। कम शिक्षा या किसी अन्य कारण से अगर किसी माता-पिता का आईक्यू कम भी है, तब भी उनका बच्चा बुद्धिमान हो सकता है। अगर सही प्रक्रिया अपनाई जाए तो कम लंबाई और सांवले अभिभावक भी लंबी और सुंदर संतान पा सकते हैं। डॉ.वाष्र्णेय ने बताया कि  द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी ने आयुर्वेद के जरिए ऐसे कई बच्चे पैदा किए थे।

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