टेकनपुर/ ग्वालियर। सीमा सुरक्षा बल अकादमी टेकनपुर में आज से दो दिवसीय सीमा संवाद पर राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरूआत हुई। इस सीमा संवाद संगोष्ठी का शुभारंभ अकादमी के निदेशक एडीजी डा शमशेर सिंह ने किया।
बीएसएफ द्वारा आयोजित इस सीमा संगोष्ठी में सीमा प्रबंधन में भविष्य में आने वाली चुनौतियों तकनीकी नवाचारों पर विचार विमर्श करना है। इस संगोष्ठी में देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं जैसे मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान गृह मंत्रालय का सीमा प्रबंधन प्रभाग , राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन , भारतीय कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पान्स टीम, आर्मी वार कालेज, के अलावा विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञ के साथ ही सीआरपीएफ, एनबीसी, रा , एनआईए तथा विभिन्न राज्यों के पुलिस बल के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
अपने उदघाटन भाषण में मुख्य अतिथि अकादमी निदेशक डा शमशेर सिंह ने देश की सीमाओं की लगातार बदलती परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुये कहा कि टेक्नोलोजी, इंटेलीजेंस और इनोवेशन के समन्वय से ही सीमाओं की जटिल चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने इस दिशा में दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। डा सिंह ने कहा कि सीमा पर होने वाली सभी गतिविधियां पर शीघ्र एवं सटीक प्रतिक्रिया देना अत्यंत आवश्यक है।
डा सिंह ने यह भी कहा कि नई तकनीक में आर्टीफिसियल इंटेलीजेंस , सायबर सिक्योरिटी, क्वांटम कम्प्यूटिंग, ड्रोन वार फेयर और मशीन लर्निंग जैसी तकनीक का प्रभावी उपयोग सीमा प्रबेधन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। उन्होने कहा कि बीएसएफ के पुलिस टेक्नोलोजी इनोवेशन सेंटर ने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास रूस्तम जी इंस्टीटयूट आफ टेक्नोलोजी , सेनवेस्टो बीएसएफ जैसी प्रमुख संस्थाओं के साथ सहयोग स्थापित किया है ताकि जमीनी स्तर पर व्यवहारिक समाधान विकसित किये जा सकें और जरूरी तकनीक को सीमा सुरक्षा की दिशा में प्रभावी रूप से उपयोग में लाया जा सके।
डा सिंह ने अपने संबोधन में बताया कि प्रधानमंत्री की मन की बात के बाद बीएसएफ ने स्वदेशी नस्ल के श्वानों को प्रशिक्षण देना शुरू किया है। यह प्रधानमंत्री श्री मोदी के आत्म निर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में प्रेरणादायक कदम है। डा सिंह ने मुदौल हाउंड किस्म की श्वान रिया का विशेष उल्लेख किया जिसने 2024 में विशेषज्ञों के मना करने के बाद पूरे टेस्ट पास किये और 2024 की आल इंडिया पुलिस डयूटी मीट प्रतियोगिता में 116 देशों के श्वानों को पछाड कर सर्वश्रेष्ठ का खिताब जीता। उन्होंने कहा कि इससे यह प्रेरणा मिलती है कि स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल कर भारत आत्म निर्भरता की दिशा में और अग्रसर हो सकता है।
डा सिंह ने कहा कि स्वदेशी रणनीतियों और तकनीक आधुनिक सीमाई चुनौतियां का सामना करने में गेम चेंजर सिद्ध हो सकती है और यह न केवल सीमाओं की सुरक्षा को सुदृढ करेंगी बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी सशक्त बनायेंगी। इस अवसर पर प्रतिष्ठित भारतीय कंपनियों द्वारा विकसित अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों की प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें सीमा सुरक्षा से जुडी नवीनतम स्वदेशी तकनीकों का प्रदर्शन किया गया।
यह उदघाटन दो दिवसीय ज्ञान साझाकरण यात्रा की शुरूआत है जिसका उददेश्य भारत की सीमाओं की सुरक्षा व्यवस्था को शोध तकनीकी अनुकूलन दृष्टिकोण के माध्यम से बढावा देकर एक सुरक्षित , स्मार्ट एवं भविष्य के लिये उपयुक्त सीमा प्रबंधन तैयार करने की दिशा में एक ठोस कदम साबित हो।
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