लवलाने सिटी (तुलूस), फ्रांस। भारतीय संस्कृति की अमर परंपरा — “गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः” — को समर्पित विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर यूरोप की धरती पर एक अद्वितीय और प्रेरणादायी आयोजन सम्पन्न हुआ। हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी श्री मतंगेश्वर सेवा समिति एवं दद्दा जी इंटरनेशनल कल्चर सेंटर के तत्वावधान में लवलाने सिटी (तुलूस) स्थित ला स्टूडियो दी योगा में शिक्षक दिवस का गरिमामय कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में भारतीय समुदाय के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों की भी उत्साहपूर्ण सहभागिता देखने को मिली। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में योगिनी केथी एवं अर्हम ध्यान योग के क्रिश्चियन बिल्पेस उपस्थित रहे। आयोजकों ने उनका पारंपरिक भारतीय सम्मान के अनुरूप श्रीफल, शाल एवं अर्हम ध्यान योग स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया।
कार्यक्रम का वैश्विक स्वरूप और भी भव्य तब हुआ जब इटली, बेल्जियम, स्पेन, अंडोरा, जापान, चेक गणराज्य, रूस और यूक्रेन सहित अनेक देशों के प्रतिष्ठित व्यापारी, विद्वान और योगप्रेमी वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़े। आयोजन के प्रेरणा स्रोत पंडित सुधीर शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा “शिक्षक केवल ज्ञानदाता नहीं, बल्कि आत्मा के शिल्पकार होते हैं। वे ईश्वर के समान हैं, जो मानव जीवन को दिशा देते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि खजुराहो के पूर्ण जागरण में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने भावपूर्वक स्मरण किया भगवान सिंह लवानिया, स्वर्गीय श्री जगदीश एवं शांति गौतम, पिता श्री मथुरा प्रसाद शर्मा तथा माताश्री श्रीमती पुष्पा शर्मा ( बड़ी बहिन जी) , श्रीमती इंदिरा तिवारी, श्री श्याम पोद्दार और पंडित विनोद गौतम का, जिन्होंने खजुराहो क्षेत्र में पर्यटन, रत्न एवं जवाहरात शिक्षा को नई दिशा प्रदान की। राजस्थान के निलेश गुप्ता एवं वंदना गुप्ता ने वास्तुशास्त्र की गहनता पर अपने विचार रखते हुए बताया कि वास्तु केवल भवन का विज्ञान नहीं, बल्कि यह ऊर्जा और जीवन संतुलन की कला है।
योगिनी बारबरा एवं योगी जान लुका ने योग एवं आयुर्वेद के वैश्विक प्रभाव पर अपने विचार प्रस्तुत किए, वहीं बेल्जियम से विपिन जैन ने अर्हम ध्यान योग के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला। अल्जीरिया की योगिनी मुख्तारिया (हार्टफुलनेस) ने योग के माध्यम से हृदय की शांति और आत्मिक जागृति की दिशा में अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम के दौरान सुरेंद्र गुप्ता, अंजलि गुप्ता, डॉ. ईव, अर्हम ध्यान योग के साधक, हरे रामा हरे कृष्णा के अनुयायी, ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के साधक तथा अनेक शिक्षक और योग प्रेमी उपस्थित रहे| समारोह का समापन सामूहिक ध्यान एवं शिक्षक समर्पण गीत के साथ हुआ, जिसमें सभी ने गुरु परंपरा, योग संस्कृति और भारतीय अध्यात्म की महिमा को नमन किया। यह आयोजन न केवल शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक था, बल्कि यह इस बात का भी संदेश देता है कि भारतीय ज्ञान परंपरा आज भी विश्व को संतुलन, स्वास्थ्य और समरसता की दिशा दिखा रही है।