विदेशी धरती पर सजी भारतीय परंपरा, फ्रांस में मातृ शक्ति को समर्पित पूजन समारोह
पेरिस के नजदीक फ्रांस के ऐतिहासिक तोर्स शहर मे लोयर नदी के किनारे भारतीय समुदाय ने स्थानीय नागरिकों के सहयोग से मातृ शक्ति के सम्मान में एक भव्य और प्रेरणादायी आयोजन किया। भारत माता पूजन के सफल समापन के पश्चात् यह समारोह विशेष रूप से मातृ शक्ति को समर्पित रहा, जिसमें संपूर्ण विश्व की नारियों का वैदिक विधि-विधान के साथ पूजन एवं हवन सम्पन्न हुआ कार्यक्रम का शुभारम्भ ब्रह्मलीन गुरुओं मतंग ऋषि, सन्यासी बाबा, पंडित देव प्रभाकर शास्त्री ( दद्दा जी), आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज, प्रेम गिरी महाराज, मतंग धूना ( झाड़ू वाले बाबा), नारायण महाराज, ब्रह्मबाबा ( ब्रह्मकुमारी ), भगवान रजनीश ( ओशो ) का स्मरण एवं ब्रह्मकुमारी पुष्पलता राव एवं आकांक्षा टिक्कू के द्वारा पूरे विश्व मे चलाए जा रहे 18 ज्योतिर्लिंग अभियान के पूजन के साथ हुआ|
इस पावन अनुष्ठान का आयोजन मतँगेश्वर सेवा समिति एवं दद्दा जी इंटरनेशनल कल्चर सेंटर के मार्गदर्शन में किया गया। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच उपस्थित महिलाओं के चरण पखारकर उन्हें देवीस्वरूपा मानकर सम्मानित किया गया। अग्निहोत्र की पवित्र आहुति और हवन की दिव्यता से पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से आलोकित हो उठा। इस अवसर पर पंडित सुधीर शर्मा ने अपनी माँ श्रीमती पुष्पा शर्मा जिन्हे बड़ी बहिन जी के नाम से जाना जाता था,को याद करते हुए बताया कि उन्हें यह संस्कार अपनी माँ से मिले है माँ ने क्षेत्र की कन्याओं एवं महिलाओ के उज्ज्वल भविष्य के लिए परिवर्तन एनजीओ की स्थापना की जो आज वर्तमान मे भी उनके आदर्शो पर कार्य कर रही है एवं यज्ञ का ज्ञान उन्हें गायत्री परिवार कि श्रीमती सुधा चतुर्वेदी एवं छतरपुर जिले की एक मात्र बेगलेस स्कूल की संचालिका श्रीमती वर्षा चतुर्वेदी जी से मिला है, मातृ शक्ति की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि “दुनिया का पहला गुरु माँ है। गुरु पूर्णिमा का वास्तविक अर्थ है ‘गुरु पूर्ण + माँ’, क्योंकि माँ ही पूर्ण गुरु है। मातृ शक्ति के बिना इस संसार की कल्पना असंभव है। जिस देश में महिलाओं का सम्मान नहीं होता, उसका पतन निश्चित है।” उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि आज तक वहाँ कोई महिला राष्ट्रपति नहीं बनी, और भविष्य में ऐसे देशों को प्राकृतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी का भी उल्लेख किया, जो भारत की संस्कृति की प्रशंसा करते हुए अक्सर कहती हैं कि “भारत जैसा सम्मान और आदर महिलाओं को शायद ही किसी अन्य देश में प्राप्त होता हो। भारत ही वह भूमि है जहाँ माँ की पूजा की जाती है मिलोनी हमेशा कहती है कि मोदी ही पूरी दुनियाँ के मात्र एक ऐसे नेता है जो विश्व मे शांति स्थापित कर सकते है भारत का विश्व शांति मे मे विशेष योगदान हो सकता है उन्होंने बागेश्वर धाम के उन्होंने अपने उद्बोधन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना दिवस पर संघ की पृष्ठभूमि, इसके आदर्शों और राष्ट्र निर्माण में निभाई जा रही भूमिका पर प्रकाश डाला इस अवसर पर यह भी कहा गया कि संघ केवल संगठन नहीं, बल्कि एक जीवन दृष्टि है जो समाज को एकजुट करने और राष्ट्र को सशक्त बनाने का कार्य करता है अंत मे बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा दिये गए संक्षिप्त मंत्र " नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत वीरा के साथ पुर्ण आहुति दी गई| कार्यक्रम में इंडो यूरोपियन काउंसिल के अमन श्याल, सुरेंद्र गुप्ता, रहीश भारती, अफरीदी भारती, मंजू सपेरा, पूजा सपेरा, कौशल राणा, लोना ईश्वरी (जापान), कुलेहा मोयु (जापान), कोको आयुमी भारती फुजिसकी (जापान), तंवर लाल सहित अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे |