रोम में भारतीय संस्कृति और जैन दर्शन का भव्य संगम
रोम (इटली)। विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र ब्रज और बुंदेलखंड की भूमि है—यह विचार प्रख्यात लेखिका तिज्याना लोरेंजेत्ती ने इटली की राजधानी रोम में व्यक्त किया। अवसर था इससक एनजीओ द्वारा आयोजित एक भव्य समारोह का, जिसमें उनकी नई पुस्तक " जैना" एवं “भारतीय इतिहास और कला की झलकियाँ: अतीत पर चिंतन, भविष्य के लिए दृष्टिकोण” का विमोचन किया गया। इस विमोचन के लिए विशेष रूप से बुंदेलखंड के सनातन प्रेमी पंडित सुधीर शर्मा और यूरोप के प्रसिद्ध हीरा व्यापारी पंडित विनोद गौतम को आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम का संचालन भारतीय संस्कृति प्रेमी बलेरियो दिलमोनते ने किया।
अपने संबोधन में उन्होंने याद किया कि विख्यात संत मुरारी बापू ने वेंकटन सिटी में एक कथा का आयोजन किया था, जिसमें देश के शीर्ष उद्योगपति अंबानी–अडानी सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। उसी अवसर पर मि सुधीर ने बापू से कहा कि “रोम का वास्तविक अर्थ राम + ॐ और वेंकटन का अर्थ वाटिका है।” इस पर बापू ने मुस्कराते हुए पूछा—“आपको क्या चाहिए?” शर्मा ने उत्तर दिया कि खजुराहो में कामदेव पर एक कथा का आयोजन होना चाहिए। बापू ने इसे स्वीकार किया और कुछ ही समय बाद खजुराहो में कथा का आयोजन सम्पन्न हुआ। अपने उद्बोधन में पंडित शर्मा ने कहा “वर्ष 2025 अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2+2+5 = 9 होता है और अंक 9 सभी धर्मों में आध्यात्मिक पूर्णता एवं गुरु का प्रतीक माना गया है। विशेषकर सितंबर माह की तीन तिथियाँ—9, 18 और 27—विशेष महत्व रखती हैं।” उन्होंने आगे कहा कि “रोम विश्व का एकमात्र स्थल है, जहाँ सभी धर्मों के प्राचीन स्मारक एक साथ विद्यमान हैं।” इसी क्रम में पंडित गौतम ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि “ऐसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम समय-समय पर होते रहना चाहिए। साथ ही, जो भी लेखक ब्रज और बुंदेलखंड की सांस्कृतिक महिमा पर पुस्तक लिखेगा, उसे हर संभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।” इस आयोजन में अर्हम ध्यान योग के साधक, ब्रह्मकुमारी साधक, ओशो साधक तथा बड़ी संख्या में सनातन प्रेमी उपस्थित रहे।