खजुराहो से लेकर यूरोप तक गूंजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मोत्सव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मोत्सव इस बार अनूठे और ऐतिहासिक अंदाज़ में मनाया गया। खजुराहो की पावन धरती से लेकर यूरोप के 75 शहरों तक यह अवसर पर्यावरण संरक्षण और विश्व शांति को समर्पित रहा। इस नवदिवसीय महाआयोजन का शुभारंभ खजुराहो सांसदविष्णु दत्त शर्मा के आवाहन पर दद्दा जी इंटरनेशनल कल्चर सेंटर तथा मतँगेश्वर सेवा समिति के प्रमुख पंडित सुधीर शर्मा के नेतृत्व में किया गया।
खजुराहो स्थित प्राचीन मतँगेश्वर मंदिर प्रांगण में विशेष पूजन-अर्चन कर मोदी जी की दीर्घायु और मंगलमय जीवन की कामना कर मंदिर प्रांगण मे फलदार पौधों का रोपण कर उनका जन्म दिवस उत्सव के रूप मे मनाया गया , जिससे आयोजन ने आध्यात्मिकता और पर्यावरणीय चेतना का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में एसआईएस कमांडेंट अखिलेश शुक्ला की विशेष भूमिका उल्लेखनीय रही वहीं परिवर्तन एनजीओ के राकेश राजोरिया, मंडल उपाध्यक्ष रविंद्र पाठक, बुंदेलखंड विकास निधि के विजय रजक, सोनू रजक, मजदूर संघ के वीरेंद्र सिगोत, आयुरग्राम के कृष्णा प्रसाद, नरेश योगी, राज रैकवार (लड्डू भैया), ज्योतिषाचार्य शुभांकर (हरिद्वार), सपना शुक्ला, सगुन अनुरागी, और पुष्पा अहिरवार सहित बड़ी संख्या में मोदी प्रेमियों और देशभक्तों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ा दिया
यह उत्सव केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यूरोप में भी इसकी गूंज सुनाई दी। फ्रांस के वेंतनात सिटी तुलूस, इटली के अब्रुत्सो राज्य के लाक्विला, संदोना दी प्यावे, पोर्तोगवारे, लाकुरुकूमा, वेनिस और मिलान, वहीं ब्रसेल्स, एंटवर्प, जेंट सहित यूरोप के अनेक प्रमुख शहरों में भारतीय प्रतिष्ठानों और रेस्टोरेंट्स ने इसे बड़े हर्षोल्लास से प्रधानमंत्री जी का जन्म दिवस मनाया। इस आयोजन में पंडित शर्मा की दूरदर्शी सोच और नेतृत्व क्षमता निर्णायक रही। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक परंपरा को पर्यावरण संरक्षण और विश्व शांति के संदेश के साथ जोड़ते हुए इस कार्यक्रम को न केवल खजुराहो बल्कि पूरे यूरोप में एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आंदोलन का रूप प्रदान किया। उनकी सतत प्रेरणा और मार्गदर्शन से यह आयोजन भारत की वैश्विक छवि को और अधिक सशक्त करने का प्रयास होगा
आगामी नौ दिनों तक यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक श्रृंखला आयुरग्राम, वगराजन मंदिर और त्रिलोखर धाम जैन मंदिर परिसर में वृक्षारोपण, विशेष पूजन और सांस्कृतिक अनुष्ठानों के माध्यम से जारी रहेगी।