ब्रसेल्स में पंडित सुधीर शर्मा को सामाजिक कार्यों एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

ब्रसेल्स (बेल्जियम)। यूरोप की राजधानी ब्रसेल्स और हीरे-जवाहरात के विश्व केंद्र एंटवर्प में उस समय भारतीय संस्कृति और बुंदेलखंड का नाम गर्व से गूंज उठा, जब मतँगेश्वर सेवा समिति एवं दद्दा जी इंटर नेशनल कल्चर सेंटर खजुराहो के प्रतिष्ठित समाजसेवी पंडित सुधीर शर्मा को उनके निरंतर सामाजिक कार्यों और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिए भव्य सम्मान प्रदान किया गया।
एंटवर्प, जिसे हीरा व्यापार की सबसे बड़ी राजधानी माना जाता है, कभी इसराइली व्यापारियों का गढ़ था, लेकिन आज भारतीयों ने यहाँ अपनी अमिट छाप छोड़ दी है। इस पहचान को सशक्त करने में भारतीय समुदाय, विशेषकर जैन समाज का योगदान अविस्मरणीय है। इसी एंटवर्प की धरा पर स्थित यूरोप का सबसे भव्य जैन मंदिर—जहाँ 24 तीर्थंकर विराजमान हैं और जो श्वेत संगमरमर की अनुपम कृति है—इस ऐतिहासिक सम्मान समारोह का साक्षी बना। यहीं विश्व डायमंड काउंसिल के सदस्यों ने श्री शर्मा को एंटवर्प का राष्ट्रीय चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया कार्यक्रम आयोजन मि. गोन एवं मैथ्यू ब्रदर्स द्वारा किया गया | इस अवसर पर विश्वप्रसिद्ध उद्योगपति और खजुराहो के गौरव पंडित विनोद गौतम की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को और बढ़ा दिया। हीरे-जवाहरात के सबसे बड़े संस्थानों के संचालक तथा चॉकलेट उद्योग के सफल उद्यमी भारत के पहले ऐसे व्यापारी हैं, जिनका प्रभाव बेल्जियम के कई एयरपोर्ट्स और ब्रसेल्स के प्रमुख बाजारों तक फैला हुआ है। उन्होंने भावुक होकर कहा— “मैं उन्हें पिछले 45 वर्षों से जानता हूँ। वे हमारे बुंदेलखंड की शान हैं। पहले वे हीरे-जवाहरात व्यापार में सक्रिय रहे, किंतु अब अध्यात्म और समाजसेवा की दिशा में उनका योगदान पूरे क्षेत्र के लिए गौरव की बात है।”
एंटवर्प ज्वेलर्स के मंगलदीन रजक ने भी कहा कि हमारे गुरु समान हैं और खजुराहो के ऐसे अद्वितीय व्यक्तित्व हैं जो सदैव समाज और लोकहित के लिए अग्रणी रहते हैं।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पन्ना की हीरा खदानों से निकले अनेक हीरे एंटवर्प में पॉलिश और कट होते हैं, जहाँ बुंदेलखंड के कई कारीगर सम्मानपूर्वक कार्यरत हैं। समारोह में प्रकाश रजक, विपिन जैन, राजा शाह, भरत शाह और महाराष्ट्र के संजय पाठक सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। यह क्षण केवल पंडित सुधीर शर्मा के व्यक्तित्व का सम्मान नहीं था, बल्कि साथ ही साथ भारतीय उद्योगपतियों के वैश्विक योगदान का भी प्रतीक था। इन दोनों विभूतियों ने न केवल बुंदेलखंड का मान बढ़ाया है, बल्कि भारतीय संस्कृति और समाजसेवा की ध्वजा को यूरोप की भूमि पर उच्च स्थान पर स्थापित किया है।

posted by Admin
227

Advertisement

sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
Get In Touch

Padav, Dafrin Sarai, Gwalior (M.P.)

98930-23728

sandhyadesh@gmail.com

Follow Us

© Sandhyadesh. All Rights Reserved. Developed by Ankit Singhal