ग्वालियर। सनातन धर्म मंदिर में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा के छंठवे दिन भगवान श्रीकृष्ण एवं रुकमणि विवाह के सुंदर प्रसंग में भक्तों ने उत्साहपूर्वक शिरकत की। दूल्हा बने श्रीकृष्ण की मोहिनी छवि को देखने के लिए भक्तों मेें होड़़ मच गयी। इस मौके पर कथा व्यास पं. संतोश कांकौरिया ने कहा कि भगवान के उत्सव में शामिल होने से जीवन के सभी विकार मिट जाते हैं, इसलिए जब भी मौका मिले जहां भी भगवान का उत्सव मनाया जा रहा है, वहां कुछ देर रुककर जरूर आनंद लेना चाहिए। पं कांकौरिया ने मंगलवार को गोपीगीत की कथा का रसपान कराते हुए कहा कि गोपियां साधारण स्त्रियां नहीं थीं। साधु संतों को कठिन तप के बाद गोपी के रूप में प्रभु का सानिध्य एवं भक्ति का अवसर मिला। गोपी-कृष्ण का मिलन पिता-पुत्री के मिलन जैसा पवित्र था। उन्होंने कहा कि भगवान भाव के भूखे होते हैं। गोपियों ने अपने भक्तिभाव से भगवान को प्रगट होने के लिए मजबूर कर दिया। वक्ता भी भाव का भूखा होता है। श्रोता जब भावपूर्वक कथा का श्रवण करते हैं तो वक्ता भी उतनी ही तन्मयता से कथा सुनाता है, इसलिए कथा श्रवण के दौरान आपस में वार्तालाप नहीं करना चाहिए। गीता के एक अध्याय के बराबर गोपियों का एक एक श्लोक है। भगवान को आज भी भाव से पुकारो तो वह अवश्य प्रकट होते हैं। इस मौके पर भगवान श्रीकृष्ण ने गरबा रास किया। गरबा रास की सजीव झांकी देख भक्त विभोर हो उठे। कान्हा ने वंशी बजाई, राधा दौड़ी चली आई....। रास रचो है रास रचो है, जमुना किनारे आज रास रचो है.....। इस मौके पर कथा परीक्षत नीता रामबिहारी दुबे, जयदेवी मिश्रास ,समर्थ, प्रांजल, स्वर्णा, निकुंज, विराज, किट्टू, खुशी, माया भगवानलाल, कौशल्या कमलेश, लता संजय शर्मा, ममता लोकेंद्र मुद्गल सहित सैकड़ों भक्त मौजूद रहे। फोटो- ग्वालियर। सनातन धर्म मंदिर में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा के छंठवे दिन भगवान श्रीकृष्ण एवं रुकमणि विवाह के सुंदर प्रसंग में भक्तों ने उत्साहपूर्वक शिरकत की। दूल्हा बने श्रीकृष्ण की मोहिनी छवि को देखने के लिए भक्तों मेें होड़़ मच गयी। इस मौके पर कथा व्यास पं. संतोश कांकौरिया ने कहा कि भगवान के उत्सव में शामिल होने से जीवन के सभी विकार मिट जाते हैं, इसलिए जब भी मौका मिले जहां भी भगवान का उत्सव मनाया जा रहा है, वहां कुछ देर रुककर जरूर आनंद लेना चाहिए। पं कांकौरिया ने मंगलवार को गोपीगीत की कथा का रसपान कराते हुए कहा कि गोपियां साधारण स्त्रियां नहीं थीं। साधु संतों को कठिन तप के बाद गोपी के रूप में प्रभु का सानिध्य एवं भक्ति का अवसर मिला। गोपी-कृष्ण का मिलन पिता-पुत्री के मिलन जैसा पवित्र था। उन्होंने कहा कि भगवान भाव के भूखे होते हैं। गोपियों ने अपने भक्तिभाव से भगवान को प्रगट होने के लिए मजबूर कर दिया। वक्ता भी भाव का भूखा होता है। श्रोता जब भावपूर्वक कथा का श्रवण करते हैं तो वक्ता भी उतनी ही तन्मयता से कथा सुनाता है, इसलिए कथा श्रवण के दौरान आपस में वार्तालाप नहीं करना चाहिए। गीता के एक अध्याय के बराबर गोपियों का एक एक श्लोक है। भगवान को आज भी भाव से पुकारो तो वह अवश्य प्रकट होते हैं। इस मौके पर भगवान श्रीकृष्ण ने गरबा रास किया। गरबा रास की सजीव झांकी देख भक्त विभोर हो उठे। कान्हा ने वंशी बजाई, राधा दौड़ी चली आई....। रास रचो है रास रचो है, जमुना किनारे आज रास रचो है.....। इस मौके पर कथा परीक्षत नीता रामबिहारी दुबे, जयदेवी मिश्रास ,समर्थ, प्रांजल, स्वर्णा, निकुंज, विराज, किट्टू, खुशी, माया भगवानलाल, कौशल्या कमलेश, लता संजय शर्मा, ममता लोकेंद्र मुद्गल सहित सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।