मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बांड के नाम पर जनता को गुमराह कियाः प्रशांत भूषण
ग्वालियर। भारत के उच्चतम न्यायालय के प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि
सुप्रीम कोर्ट ने मानवी बंद संविधान के अनुच्छेद 19 (1) ए के तहत मतदाता के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करते हैं ।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सीजेआई डी वाय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बैंच ने चुनावी बांड लाने के लिए कानूनों में किए गए संशोधन को भी रद्द कर दिया है। प्रशांत भूषण ने आरोप लगाते हुए कहा आरबीआई और चुनाव आयोग सहित विभिन्न प्राधिकरणों ने इस योजना के खतरे को उजागर करते हुए कहा इससे पारदर्शिता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। आईटीआई अधिनियम के तहत प्राप्त योजना पर पत्राचार और प्रचार विभाग से पता चला कि सरकार ने इन चिताओं को नजर अंदाज कर दिया और यह दावा करते हुए योजना को आगे बढ़ाया कि दाता की गुमनामी सुनिश्चित करने और बैंकिंग इनेलो के माध्यम से गोल्ड की खरीद से राजनीतिक दलों के वित्त पोषण में अंकुश लगेगा अदालत में इन सभी तत्थों को यह कहते हुए खारिज कर दिया की चुनावी बोर्ड ट्रेड किया जा सकता है अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनाए गए सभी बांड के विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया।
प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 16000 करोड रुपए का इलेक्शन बोंड मै से 6000 करोड रुपए भाजपा सरकार ने अपने हित में खाते में लिए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सामने आए आंकड़ों से पता चलता है कि कॉर्पोरेट समूह कंपनी और व्यक्तियों द्वारा 12155 करोड रुपए मूल्य के चुनावी बांड खरीदे और इसी अवधि के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा 12700 69 करोड़ मूल्य के चुनावी बांड खरीदे गए । यह भारतीय जनता पार्टी चुनावी बांड की सबसे बड़ी लाभार्थी थी जिसका मूल्य 6060 करोड़ था जो भुनाए गए चुनावी बांड की कुल राशि का 47 प्रतिशत से अधिक है।
उन्हांेने कहा कि भाजपा के अरूण जेटली ने 2017 में कालाधन समाप्त करने के लिए इलेक्टोरल बांड जारी करने की योजना शुरू की थी। इससे सरकार ने विपक्ष को मिलने वाले धन को सीक्रेट रखने की बात की लेकिन सरकार को तो यह पता चलता रहा कि किसे धन मिला है और किसे कितना धन मिला। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बांड 2018 में शुरू हुए और एसबीआई ने अप्रैल 2019 से ब्यौरा दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें लगभग चार हजार करोड से अधिक के बांड बेचे गये हैं।और इसमें करोडों रूपये का घोटाला हुआ है। इसमें 12 हजार करोड से अधिक रूपया भाजपा को मिला है।
प्रशांत भूषण ने कहा कि इसी प्रकार ईवीएम के तथ्य भी उच्चतम न्यायालय के सामने नहीं बात नहीं लाए । इसीलिए वह ईवीएम पर याचिका लगाने वालों पर जुर्माना तक लगा देती है। उन्हांेने बताया कि ईवीएम में प्रोग्राम फीड किया जाता है इसे हैक भी किया जा सकता है। उन्हांेंने कहा कि भाजपा नीत सरकार ने सफेद की जगह काला कांच लगा दिया है जिससे पर्ची का पता नहीं चलता कि किसे वोट दिया है।
पत्रकार वार्ता में पूर्व विधायक डा सुनीलम , गुरूदत्त शर्मा, चैनसिंह राजावत, विश्वजीत रतौनिया आदि मौजूद थे।