गुरु के मार्गदर्शन में करें देवी की साधना: मां कनकेश्वरी
- महलगांव करोली माता मंदिर में श्रीमद् देवी भागवत कथा का आंठवा दिन
ग्वालियर। देवी की तंत्रोक्त पूजा निश्चित परिणाम दायक होती है लेकिन गुरु कृपा के बगैर आप इसके अधिकारी नहीं हो सकते। देवी की वैदिक पूजा करें या तंत्रोक्त पूजा गुरु के मार्गदर्शन में ही करें। यह विचार अग्नि अखाड़े की महामंडलेश्वर मां कनकेश्वरी देवी ने महलगांव स्थित करौली माता एवं कुंवर महाराज मंदिर प्रांगण में श्रीमद् देवी कथा का सरस प्रवाह करते हुए व्यक्त किए।
कुंवर महाराज मंदिर के महामंडलेश्वर कपिल मुनि महाराज के सानिध्य में आयोजित हो रही श्रीमद् देवी कथा के आठवें दिन शुक्रवार को मां कनकेश्वरी ने देवी के दिव्य रूपों का अपनी पियूष वाणी से चित्रण कर श्रद्धालुओं को देवी दर्शन की आत्मिक अनुभूति करा दी। इस अवसर पर उन्होंने कहां की प्रत्येक अवतार को अपनी अवतार सिद्धि के लिए मां की आराधना करनी होती है। भगवान राम ने भी तारा माई की आराधना कर अपने अवतार के उद्देश्य को प्राप्त किया। उन्होंने शिव शक्ति के बारे में बताया कि शिव राधा और कृष्ण मां जगदंबा स्वरूप है। कृष्ण रास करते हैं जो देवी का ही स्वभाव है। भगवान शिव को भांग के नशे से जोड़ने वालों से उन्होंने कहा कि महापुराण में कहीं भी शिव द्वारा भांग का नशा करने का उल्लेख नहीं है। नशा करना है तो भांग का नहीं भजन का करो तो जीवन का कल्याण हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जीवन का एक अध्याय ऐसा होना चाहिए जिसमें आत्मा को बनाने के लिए साधना हो। आत्मा यदि उर्ध्वगामी हो गई तो मृत्यु भी आनंद दाई हो जाएगी। मानव शरीर और भारत की पवित्र भूमि हमें इस कार्य को करने में सहायक होगी।
उन्होंने कहा कि तपस्वियों का कर्तव्य जगत के कल्याण के लिए तप करना है ।देश के सैनिकों के लिए भी दुर्गा सप्तशती का पाठ हो। साधना करने से परिस्थिति और वृत्ति के साथ मनुष्य की प्रकृति भी सुधर जाती है।राजपुत्रों और नेता पुत्रों को गरुड़ द्वारा दिए गए राजनीति के उपदेश का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि यह धर्म कार्य में खुद को लगे ब्राह्मणों का सम्मान करें और जनता की रक्षा करें। झूठ कभी नहीं बोले। शास्त्रों द्वारा निंदित मार्ग पर कभी नहीं चले। जनहित का निर्णय बुद्धिजीवियों के साथ बैठकर करें। अपराधियों का दामन करें इंद्रियों पर काबू रखें कार्य सिद्धि के लिए गुप्त मंत्रणा करना जरूरी है। शत्रु से मिले हुए व्यक्ति को आसपास भी स्थान न दें हर दिन कुछ ना कुछ दान करें। दान व्यक्ति को समृद्ध कर देता है। लेने का विचार ही दरिद्रता का निर्माण करता है। हमारे हाथ बंटाने के लिए बने हैं ना कि बटोरने के लिए। यदि लोग आपको सुनना नहीं चाहते हैं तो ना बोले। मूर्ख लोगों को भोजन के सिवाय कुछ ना दें। संतों का भूल कर भी अपमान ना करें। अपराधियों को दंड न देने वाला राजा भी दंडनीय होता है। गुरु और वेदांत की शरण में रहे।। उन्होंने कहा कि अनुभूति की अभिव्यक्ति जिज्ञासा को बढ़ा देती है। इस अवसर पर देवेन्द्र प्रताप सिंह तोमर रामू अशोक जादौन पारस जैन सहित समस्त यजमान परिवार ने मां जगदंबा की आरती की।