मां भगवती स्वयं प्रकृति है, इसका संवर्धन करो : मां कनकेश्वरी

महलगांव करौलीमाता मंदिर में श्रीमद् देवी कथा का पांचवा दिन

ग्वालियर। जगत जननी जगदम्बा भगवती स्वयं प्रकृति है, इसलिए सनातन में यज्ञ का विधान हैं। यज्ञ के माध्यम से विभिन्न देवी देवताओं को हम जो आहूतियां दे रहे हैं, उससे वातावरण शुद्ध होता है भगवती स्वरूपा प्रकृति मां प्रसन्न होती हैं। यह विचार मां कनकेश्वरी देवी ने महलगांव करौलीमाता एवं कुंबर महाराज मंदिर में आयोजित आदि शिवशक्ति मां जगदम्बा नवकुंडी महायज्ञ एवं श्रीमद् देवी कथा के पांचवे दिन व्यक्त किए। गौरतलब है कि महलगांव करौलीमाता मंदिर प्रागंण में इन दिनों 24 घंटे धमध्वनि से आलौकित हो रहा है। महामंडलेश्वर कपिल मुनि महाराज के सानिध्य में सुबह देवी का नवकुंडी महायज्ञ, दोपहर मेें देवी कथा एवं रात्रि में श्रद्धालु रामलीला का आस्वादन कर रहे हैं। 
 मां कनकेश्वरी ने यज्ञ की महिमा का बखान करते हुए कहा कि यज्ञ मंडप में हमें मर्यादा बनाए रखना चाहिए। वहां न कोई फालतू बात होना चाहिए और न क्रोध करना चाहिए। यज्ञ मंडप में 24 घंटे में एक बार जरूर 10 सैकेंड के लिए ही सही लेकिन देवता जरूर पधारते हैं, इसलिए यज्ञ के दौरान ऐसा कोई आचरण न करें जिससे मंत्रोच्चार के आह्वान से बुलाए गए देवता नाराज हो जाएं। यज्ञ मंडप की पवित्रता अत्यंत जरूरी है। यज्ञ अपनी उन्नति और लोककल्याण के लिए करें,लेकिन यदि किसी का अहित करने के लिए यज्ञ करेंगे तो ऐसा करने वालों को यज्ञ देवता नष्ट कर देते हैं। यज्ञ का सारा विधान प्रकृति में ही विलीन होता है, जिसमें समूचे विश्व की कल्याण की कामना की जाती है। यज्ञ को कभी भी अपने अहंकार को पोषित करने एवं दिखावे के लिए न करें, ऐसा करने से इसका फल प्राप्त नहीं होगा।
बीजमंत्र की महिमा का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि यदि हम बीजमंत्र की साधना नहीं करेंगे तो वह अंकुरति नहीं होगा। जिस प्रकार एक बीज का अंकुर बढ़ा होकर वृक्ष हो जाता है, उसी तरह बीज मंत्र के अंकुरण से साधना सफल हो जाती है।
खुले में न रखें भोजन....
उन्होंने बताया कि भोजन को कभी खुले में न रखें, इससे अंतरिक्ष में विचरण करने वाली आत्माएं उसकी भक्षण कर लेती हैं और आपको झूठा भोजन करना पड़ता है जिससे बुद्धि मलिन हो जाती है। इससे बचने के लिए हमें भोजन करने से पहले भगवान का भोग लगाना चाहिए, जिससे वो दोष नष्ट हो जाता है।
पूर्वजों की सद्गति के लिए सत्कर्म .....
उन्होंने बताया कि पूर्वजों की सद्गति के लिए सत्कर्म करना चाहिए। उनके देह त्यागने पर देह त्यागने की बजाय उनक ी सद्गति के निमित्त कर्म करना चाहिए। उनकी मृत्यु पर जितने ज्यादा आंसू बहाओगे उनकी गति होने में उतनी ही देर होगी। संकल्प पूर्वक किया गया सत्कर्म सदा परिणाम देता है।
वासनाओं की वजह से नहीं दिखता अनंत ब्राह्मांड...
उन्होने बताया कि सूर्य के द्वारा संसार को प्रकाशमान करने वाली महाशक्ति महामाई ही है। भगवती के भवन में अनगिनत ब्रह्मलोक हैं,लेकिन वे हमें तभी दिखाई देंगे जब हम वृत्ति के चेतना को बंधनों से मुक्त करेंगे। लेकिन हमारा मन पुत्र-पुत्री परिवार और वासनाओं के बंधन में जकड़ा हुआ है जिससे हमें अनंत ब्राह्मंड दिखाई नहीं देते हैं। ऊर्जा अदृश्य है, जिस तरह बिजली के तार में करंट नहीं होता वह अदृश्य होता है, लेकिन जब उपकरणों से उसे कनेक्ट किया जाता है तो वह अपना प्रभाव दिखाने लगते हैं, इसलिए परमशक्ति का कनेक्ट होने की जरूरूत है।
औषधि की तरह काम करती है साधना.....
उन्होंने बताया कि साधना समय पर करो, यह औषधि की तरह काम करती है और हमें बहुत बल प्रदान करती है। निश्चित परिणाम प्राप्त करने के लिए समय पर साधना होनी चाहिए। समय से दो मिनट पहले आसन ले लो और कम से कम दो मिनट साधना करो। फल अवश्य मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब तक मन में कोई भी कामना हैें आप मोक्ष के अधिकारी नहीं हैं, इसलिए गुरू का मार्गदर्शन लेकर पहले कामनाओं का शमन करो। उन्होंने कहा कि कहा कि विद्वान होना अच्छी बात है,लेकिन विद्वुता का अंहकार होना गलत है। इस मौके पर भाजपा नेता देवेंद्र प्रताप सिंह रामू सहित हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे।

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