- नये नेता केवल टीवी चैनलों के शो मैन व टिवटर व्हाटसएप नेता, पत्रकारों व कार्यकर्ताओं से दूर भागते हैं
(विनय अग्रवाल)
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में पांचवीं बार सरकार बनाने के लिये प्रयासरत हैं, लेकिन पार्टी के नेताओं को ही अपने इन प्रयासों में सफलता दूर दिखने लगी है। कारण स्पष्ट है कि भाजपा के प्रदेश संगठन ने दिग्गज नेताओं को घर बिठाकर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली हैं। नये संगठन के नेता केवल टीव्ही चैनलों के शो मैन हैं या टिवटर व व्हाटसएप् नेता है जो पब्लिक के बीच नहीं जा रहें केवल चैनलों में बोलकर या टिवटर, व्हाटसएप पर टिप्पणी कर अपने आपको पार्टी का टाप नेता समझ रहे हैं। मध्यप्रदेश में पूरी भाजपा में ऐसे नेताओं की बहार है, जो इसके विशेषज्ञ हैं इन्हें आम कार्यकर्ता या जनता के बीच जाने का समय ही नहीं हैं।
जबकि पहले के भाजपा नेता बाकायदा कार्यकर्ताओं से लेकर मीडिया व जनता के सम्मुख मुददे उठाने में पीछे नहीं रहते थे। यह नेता जिस जिले, ब्लाक व तहसील में जाते थे सीणे कार्यकर्ताओं व आम जनता से मुलाकात करते थे और मीडिया तक से चर्चा कर समाचार पत्रों व चैनलों की सुर्खियां बनते थे। इसी कारण 20 वर्ष पूर्व राज्य में विपक्ष में बैठी भाजपा सत्ता में आई थी। जिसके लिये उमा भारती सहित राज्य के दिग्गज नेताओं ने मेहनत की थी। अब प्रदेश का आलाकमान मीडिया से दूर भाग रहा हैं। केवल चैनलों पर एक मिनट की बाइट देकर यह नेता अपने कलफ लगे कुर्तें के कालर और खड़े कर लेते हैं। जिससे भाजपा की बात, रीति, नीति, उपलब्धि जनता तक नहीं पहुंच पा रही जो समाचार पत्रों के द्वारा जनता व कार्यकर्ता के दिमाग तक जाती थी।
प्रभात झा, मेनन वापस आयेंगे
भाजपा का केन्द्रीय आलाकमान कार्यकर्ताओं व मीडिया में अपनी पकड़ रखने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा को मप्र की सर्वे रिपोर्टों के बीच जिम्मेदारी सम्हालने मध्यप्रदेश में सक्रिय कर रहा हैं। उन्हें राज्य में सरकार बनाने के लिये फ्री हेण्ड छोड़ा जायेगा, जरूरत हुई तो उन्हें कोर कमेटी का चेयरमैन भी बनाया जा सकता है। इसी प्रकार मप्र के पूर्व संगठन महामंत्री अरविंद मेनन को भी मध्यप्रदेश में पुनः वापस लाया जा रहा हैं।
सौदान सिंह भी आ सकते हैं मध्यप्रदेश
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व विभिन्न राज्यों में संगठन महामंत्री रहे सौदान सिंह को भी मध्यप्रदेश में लाने की तैयारी हैं। सौदान सिंह संघ से जुड़े व मध्यप्रदेश की नब्ज जानने वाले बेहतर सौम्य व सक्रिय नेता है और जिस राज्य में भी गये है वहां सरकार बनाने में उन्हें दक्षता हासिल है।
पवैया को सक्रिय करने के लिये कवायद
बजरंगी सुप्रीमो रहे पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया भी अब संकट में याद किये जाने लगे है। पवैया को राज्य व अंचल में कोर ग्रुप का मुख्य बनाया जा सकता है। बीते दिवस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह व प्रदेश अध्यक्ष व्हीडी शर्मा ने उन्हें बुलाकर लंबी गुफ्तगूं भी की हैं। ऐसा माना जा रहा है कि बजरंगी दादा पवैया को राज्य में हिंदूवादी चेहरे के रूप में भाजपा का केन्द्रीय आलाकमान आगे कर सकता है। जैसे योगी को यूपी में किया हुआ हैं।
कैलाश विजयवर्गीय से मालवा में उम्मीद
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी मालवा के मोर्चे पर फिर से प्रमुख बनाकर अपनी सफलता का गणित दोहराना चाहती है। जादुई करिश्माई नेता कैलाश विजयवर्गीय सत्ता का गणित उलटफेर करने में माहिर है। उमा भारती से लेकर बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री में वह अपना करिश्मा लगातार दिखा ही रहे हैं। वैसे उन्हें पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व राज्य भाजपा का अध्यक्ष बनाने के लिये तैयार है, वहीं मध्यप्रदेश में चेहरा बदला जाता है तो उनके नेतृत्व में भी पार्टी र्निविवाद सफलता हासिल कर सकती हैं।