- चुनाव न लड़ने का शिगूफा छेड़ने लगे, सर्वे रिपोर्टों से घबड़ाये
(विनय अग्रवाल)
भोपाल। मध्यप्रदेश में बड़ी खबर यह है कि वर्तमान सरकार के एक दर्जन मंत्री अबकी बार जाने क्यूं विधानसभा चुनाव से बचना चाह रहे हैं। हमेशा भाजपा टिकट के लिये सबकुछ कर गुजरने की ख्वाहिश रखने वाले मंत्रियों की हिम्मत इस बार विधानसभा चुनाव का सामना करने की नहीं हो रही है और यह अभी से चुनाव न लड़ने के लिये संगठन आलाकमान के निर्देश या साधारण कार्यकर्ता होने का शिगूफा छेड़ने लगे हैं। भाजपा सरकार के अपने ही मंत्रियों की नई बहानेबाजी से भाजपा में अंदर ही अंदर कयासों का दौर चल निकला है और प्रदेश आलाकमान के नेता भी एक दूसरे का मुंह ताकने लगे हैं। यदि ऐसा ही चला तो भाजपा पांचवीं बार कैसे सरकार बनायेगी यह चिंता सबके जेहन में हैं।
कुल मिलाकर भाजपा के वरिष्ठ और कनिष्ठ कार्यकर्ताओं की नाराजगी सरकार में बैठे मंत्रियों को लेकर पहली बार सामने आ रही हैं। यह भाजपा कार्यकर्ता लगातार सत्ता की चाशनी में डूबे मंत्रियों व विधायकों से मुखर होने लगे हैं। ग्वालियर चंबल संभाग में तो यह स्थिति और भी बुरी हैं। कांग्रेस से आये मूल कार्यकर्ताओं को भुला बैठे है, जिससे अब इनके पास इनके कांग्रेस से आये दो-चार दर्जन समर्थकों के अलावा भाजपा कार्यकर्ताओं का टोटा है। यह मंत्री व विधायक अपनी बात कार्यकर्ताओं तक रख नहीं पा रहे हैं। जब कार्यकर्ताओं तक यह बात नहीं पहुंच रही है और न वह सुनने को तैयार भी नहीं हैं। इसी कारण अब यह मंत्री व विधायक भाजपा में ही अकेले पड़ गये है और मूल भाजपाई इन्हें दलबदलू कहकर पुकारने लगे है।
विशेष बात यह है कि लगातार पांचवीं बार सरकार बनाने का प्रयास कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह व भाजपा संगठन को भी यह चिंता है, लेकिन इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा हैं। कार्यकर्ताओं की बढ़ती नाराजगी से लगातार भाजपा संगठन चिंतित है। अब भाजपा संगठन में भी फेरबदल की चर्चायें जोर पकड़ने लगी हैं। एक पूर्व मंत्री का भी यही कहना है कि यदि अभी भी परिवर्तन नहीं किया गया तो भाजपा आलाकमान का दिवास्वप्न टूट सकता है। भाजपा के एक दर्जन मंत्री भी कार्यकर्ताओं की बेरूखी का आशय समझकर चुनाव में जाने से बहाने बनाने लगे हैं। बीते दो-चार दिनों में तो एक-दो मंत्री सार्वजनिक तौर पर स्पष्ट कह चुक हैं कि हमें तो पार्टी के कार्यकर्ता बनकर काम करेंगे, यदि पार्टी को लगता है कि हमसे कोई और बेहतर है तो वह उस नेता को लड़ा लें। इससे स्पष्ट है कि सीट त्याग की बात कर कई मंत्री चुनाव में जाने से बच रहे हैं, ताकि हार का टेग न लग जाये । इन मंत्रियों में ग्वालियर चंबल संभाग के भी 3 से 4 मंत्री, 2 मंत्री बुंदेलखंड व सागर संभाग में शामिल हैं।
यह भय सर्वे का
भाजपा सरकार के मंत्रियों व कार्यकर्ताओं में यह भय विधानसभा चुनाव पूर्व की सर्वे रिपोर्ट से उभरा है। सर्वे में दिखी खस्ता हालत से यह अब चुनाव क्षेत्र से मुंह छुपा रहे हैं। इसमें से एक-दो मंत्री तो कांग्रेस में भी अपने सीधे संबंध विकसित कर रहे हैं, ताकि जीत के लिये जरूरी हथकंडे अपनाये जा सकें।