ग्वालियर के व्यापारियों की संस्था मप्र चेंबर आफ कामर्स पर अब शायद व्यापारियों को ही भरोसा नहीं रहा है। वजह संस्था का व्यापारी हित में मुददे नहीं उठाना है। खबर है कि संस्था के प्रमुख के श्रीमंत मय होने की वजह से व निजी हितों की आड़ में वह सरकार की नीतियों का विरोध नहीं कर पा रहे है। जिसके कारण अब व्यापारी अपने संस्था प्रमुख से नाराज है।
आजकल ग्वालियर के व्यापारियों में अपनी मातृसंस्था मप्र चेंबर आफ कामर्स को लेकर रोष है। रोष की वजह संस्था अध्यक्ष का श्रीमंत का करीबी होकर मुददे नहीं उठाना है। वर्तमान में व्यापारी भाई सरकार से व्यापार हित में निर्णय लेने के पक्षधर है और संस्था से उम्मीद है कि वह सरकार से व्यापारियों के हित में लड़ाई लड़ें। परंतु व्यापारियों का आरोप है कि संस्था प्रमुख के श्रीमंत और भगवाकरण से वह व्यापारी हित को किनारा कर बैठे है। इससे व्यापारी हित क्षुब्ध हो रहा है। जिन मुददों को लेकर वह संस्था प्रमुख बने है और व्यापारियों ने उन्हें चुना है, लेकिन वह अब उन्हें ही भुला कर अपना राजनैतिक स्वार्थ साध रहे है। सूबे की सरकार के एक मंत्री का भी उन्हें करीबी बताया जा रहा है। इस कारण बिजली के मुददे भी नहीं उठ पा रहे हैं।
इधर व्यापारियों के मन में अब इसको लेकर टीस सी बैठ रही है कि उनकी संस्था मप्र चेंबर आफ कामर्स उनके हित के लिये लड़ाई नहीं लड़ रही है। व्यापारियों ने बड़े ही मन से अपना वोट दिया और वर्तमान टीम ठीक ढंग से उनकी बात नहीं रख पा़रही है। कुछ का तो यहां तक कहना है कि पहले के पदाधिकारी फिर भी व्यापारियों के हित के लिये लड़ाई लड़ तो रहे थे। लेकिन आज नई टीम का राजनीतिक करण होने से व्यापारी हित दब रहा है और व्यापारी बेहद परेशान है, जिसके कारण अब व्यापारियों का झुकाव भी कैट की तरफ होने लगा है।
वहीं मप्र चेंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष डा. प्रवीण अग्रवाल केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व उर्जा मंत्री प्रघुम्न सिंह तोमर के सहारे मेला प्राधिकरण व ग्वालियर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनने की आस लगाये बैठे हैं।