खुद पर लिखी किताब जब मैंने पढ़ी तब जाना कि लोगों ने मुझे कितना पहचाना
ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के पुस्तक लोकार्पण और दिवस समारोह में बोले राज बब्बर
ग्वालियर. मुझ पर लिखी हुई किताब जब मुझे पहली बार पढ़ने को मिली तो किताब पढ़ने से मैं डर गया डरा इसलिए कि मैंने कभी समझा ही नहीं कि लोगों ने मुझे कितना पहचाना है लेकिन जितना भी पहचाना उसका मैं शुक्रगुजार हूं ग्वालियर के ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान द्वारा आयोजित लोकार्पण और विमर्श समारोह को संबोधित करते हुए सिने अभिनेता और राजनेता राज बब्बर ने यह बात कही, यहां संपादक हरीश पाठक द्वारा लिखित " राज बब्बर: दिल में उतरता फसाना" किताब का लोकार्पण, अभिनेता राज बब्बर के मुख्य अतिथि अध्यक्षता ग्वालियर सांसद विवेक शेजवलकर, विशिष्ट अतिथि कथाकार और पत्रकार हरीश पाठक विषय प्रवर्तन ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के अध्यक्ष देव श्रीमाली मुख्य वक्ता के रूप में राकेश त्यागी पूर्व प्रोड्यूसर दूरदर्शन दिल्ली, वरिष्ठ पत्रकार डॉ राकेश पाठक, आगरा के वरिष्ठ पत्रकार समीर चतुर्वेदी की मौजूदगी में संपन्न हुआ कार्यक्रम का संचालन प्रतिष्ठित शायर अतुल अजनबी ने किया.
ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान द्वारा आज ग्वालियर के होटल तानसेन में संपादक हरीश पाठक द्वारा लिखित सिने अभिनेता राज बब्बर के जीवन पर लिखी गई पुस्तक दिल में उतरता फसाना का लोकार्पण एवं विमर्श समारोह आयोजित किया गया गांधी रोड स्थित तानसेन रेजिडेंसी में आयोजित समारोह में बड़ी संख्या में शहर भर के वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, साहित्य प्रेमी और गणमान्य लोग मौजूद रहे. कार्यक्रम के प्रारंभ में ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के अध्यक्ष देव श्रीमाली द्वारा मुख्य अतिथि अभिनेता राज बब्बर और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का स्वागत किया गया. जिसके बाद कार्यक्रम संयोजक तेजपाल सिंह राठौर, अनिल गौर, रवि शेखर श्रीवास्तव, मनोज जैन, पंकज श्रीमाली, अमित सैनी,रवि उपाध्याय,सतेंद्र तोमर,सुनील राजावत और विजय राठौर द्वारा सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया. जिसके बाद ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के अध्यक्ष देव श्रीमाली ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों और आगंतुकों का स्वागत कर आभार प्रकट किया. कार्यक्रम के मुख्य सूत्रधार और दिल में उतरता फसाना किताब के संपादक हरीश पाठक ने यहां इस किताब के तैयार होने के पहले दिन से और आज किताब के लोकार्पण तक से जुड़ी पूरी यादों को साझा करते हुए कहा कि मेरे लिए यह भावुक क्षण है ग्वालियर में जो यह आयोजन आयोजित किया जा रहा है आज इस किताब की हर तरफ चर्चा हो रही है क्योंकि जिस राजबब्बर पर यह किताब लिखी गई है वह केवल सिने अभिनेता नहीं बल्कि उसकी शख्सियत का भी मैं मुरीद हूं क्योंकि राज बब्बर में सुर्खाब के पर हैं उन्होंने कड़े संघर्ष से गुजरते हुए अपनी जो पहचान बनाई वह पहचान हर किसी को नसीब नहीं होती है 26 साल तक सांसद रहे राज बब्बर के कुर्ते पर आज तलक कोई काली लकीर नहीं है वे मध्यम वर्ग का प्रतिनिधि चेहरा है और उनके ऊपर किताब लिखना उनके लिए बड़ी बात है.
सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि ग्वालियर के लोग ग्वालियर से बाहर रहकर शहर का नाम रोशन कर रहे हैं जिनमें हरीश पाठक जी भी एक हैं यह किताब सही रूप में एक कलाकार की तत्व और संघर्ष का अनूठा संगम है.
कार्यक्रम का उदबोधन सिने अभिनेता राज बब्बर ने एक शायरी पढ़कर किया कि व्यक्ति बड़ा नहीं होता और 4 ईटों का घर-घर नहीं होता है बल्कि व्यक्ति किस रूप में है यह जानना जरूरी है मैंने जो रास्ता चुना वह संघर्ष का रास्ता था एक छोटे से कस्बे से निकलकर मुंबई तक की उनकी यात्रा पटियाला ड्रामा स्कूल से एनएसटी होते हुए मुंबई पहुंची जहां कड़ा संघर्ष भी करना पड़ा एक जमाना था जब मुझे एक फिल्म के मात्र ₹1000 मिलते थे लेकिन मैंने संघर्ष नहीं छोड़ा मैंने जीवन में भले ही काम बड़े नहीं किए हो लेकिन बड़ी उम्मीद और बड़ी सोच के साथ पूरी इमानदारी से अपने कर्तव्य को पूरा किया है किताब मुझे जब पहली बार मिली तो मैं किताब पढ़ कर डर गया था लेकिन मुझे खुशी है कि लोगों ने मुझे पहचाना इसका मैं उनका उम्र भर शुक्रगुजार रहूंगा.