ग्वालियर। एरोजेल्स जैल से प्राप्त अत्यधिक झरझरा सिंथेटिक सामग्री का एक वर्ग है।ये अद्वितीय गुणों वाली बहुमुखी सामग्रियां हैं जो उन्हें अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए आकर्षक बनाती हैं। वे आम तौर पर एक सोल-जेल प्रक्रिया के माध्यम से संश्लेषित होते है। सिलिका, धातु आक्साइड, कार्बन और पॉलिमर सहित विभिन्न प्रकार की सामग्रियों से एरोजेल बनाया जा सकता है और संश्लेषण प्रक्रिया को नियंत्रित करके विशिष्ट अनुप्रयोगों के लिए तैयार किया जा सकता है।आम तौर पर,सोल-जेल विधि विशेष सुखाने की तकनीक के साथ होती है।एरोजेल तैयार करने के लिए सुपरक्रिटिकल ड्राइंग का उपयोग किया जाता है।उनका उपयोग थर्मल इन्सुलेशन और सोखने वाली सामग्री,उत्प्रेरक समर्थन, सेंसर,ऊर्जा भंडारण सहित अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला में किया गया है।
यह बात डॉ. उमा पाठक ने जेयू के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय कांफ्रेंस के समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि कही।विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो.भुवनेश गुप्ता उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि नैनोमटेरियल टेक्नोलॉजी का सबसे अधिक उपयोग मेडिकल साइंस में किया जा रहा है।प्रो.राधा तोमर ने कहा कि युवा शोधकर्ताओं के लिए एक अच्छा मंच है।इसका उद्देश्य शोध छात्रों को कुछ नया सीखने का मौका देना है ताकि वे शोध के क्षेत्र में कुछ नया कर सकें।कार्यक्रम में अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।तत्पश्चात सेमिनार में भाग लेने वाले शोधार्थियों ने अपने अनुभव साझा किए।सेमिनार में भाग लेने वाले शोधार्थियों को अतिथियों द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किए गए।कार्यक्रम में 12 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया।जिसमें 110 शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए।कार्यक्रम का संचालन प्रो.डीसी तिवारी ने किया।प्रो.राधा तोमर के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।इस अवसर पर प्रो.एसके श्रीवास्तव, प्रो.डीसी गुप्ता,प्रो.नलिनी श्रीवास्तव, डॉ.निमिषा जादौन,चारू शर्मा सहित ख्यातिप्राप्त विद्वान व शोधार्थी उपस्थित रहे।