BREAKING!
  • MP में 29 जिलों के SP बदले, राजेश सिंह चंदेल ग्वालियर के नये एसपी
  • संपादक हरीश पाठक की पुस्तक दिल में उतरता फसाना राज बब्बर का हुआ लोकार्पण
  • क्षेत्रीय संगठन मंत्री जामवाल ने शनि मंदिर पहुंच कर पूजा अर्चन किया
  • सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर मीटअप आयोजित
  • नेशनल कांफेस ऑन हैल्थी फुड कार्यशाला का आयोजन किया गया
  • डान्सर राजा शॉर्ट फ़िल्म के ऑडिशन 2 अप्रैल को ग्वालियर में
  • कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज का होली एवं हिन्दू नववर्ष समारोह रविवार को
  • कांग्रेस की तुरूपः विनियमित व आउटसोर्स को नियमित का वायदा चुनावों में कर सकती हैं
  • ई-केवाईसी के लिए पैसा माँगने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएँ: कलेक्टर
  • श्रीमती रामकुमारी सिंह: राजनेताओं, प्रशानिक व पुलिस अधिकारियों ने शोक संवेदना व्यक्त की

Sandhyadesh

ताका-झांकी

श्रीकृष्ण ने पढ़ाया था सच्ची मित्रता का पाठ, वर्तमान में बदल गयी परिभाषा:घनश्याम शास्त्री

07-Feb-23 51
Sandhyadesh

Sandhyadesh
वर्तमान में मित्रता की परिभाषा ही बदल गयी है जबकि मित्रता स्‍वयं में एक परिपूर्ण रिश्‍ता है यह बात माधव बाल निकेतन वृद्ध आश्रम में चल रही भगवत कथा में सुप्रसिद्ध भागवताचार्य पं.श्री घनश्याम शास्त्री जी महाराज ने कही भगवान श्रीकृष्‍ण ने संसार को सच्‍ची मित्रता का पाठ पढ़ाया है। मनुष्‍य को अपने कर्म नहीं भूलने चाहिए। सच्‍चे मित्र को श्रीकृष्‍ण और सुदामा की तरह होना चाहिए मित्रता स्वयं में एक परिपूर्ण रिश्ता है। मित्रता से बड़ा कोई संबंध नहीं है, लेकिन वर्तमान में मित्रता की परिभाषा बदल गई है, जबकि भगवान श्रीकृष्ण ने संसार को सच्ची मित्रता का पाठ पढ़ाया है उन्होंने कहा कि जब सुदामा भगवान श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका आए तो कृष्ण ने सुदामा के फटे कपड़े नहीं देखे, बल्कि मित्र की भावनाओं को देखा। मनुष्य को अपना कर्म नहीं भूलना चाहिए। अगर सच्चा मित्र है तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होना चाहिए। जीवन में मनुष्य को श्रीकृष्ण की तरह अपनी मित्रता निभानी चाहिए आगे शास्त्री जी ने कहा कि पूरी सृष्टि का सर्वोत्तम प्राणी मनुष्य है। मनुष्य का शरीर धारण करने के लिए स्वयं देवता तक तरसते हैं। हम मानव योनि में पैदा लिए हैं तो उसका मतलब ही नहीं समझते। मनुष्य की एक ऐसा प्राणी है जो विवेकशील है 

पूरी सृष्टि का सर्वोत्तम प्राणी मनुष्य है। मनुष्य का शरीर धारण करने के लिए स्वयं देवता तक तरसते हैं। हम मानव योनि में पैदा लिए हैं तो उसका मतलब ही नहीं समझते। मनुष्य की एक ऐसा प्राणी है जो विवेकशील है श्रीमद्भागवत कथा जीव को भयमुक्त बनाने के साथ ही मोक्ष प्रदान करती है। पाप-पुण्य में अंतर कर भगवान के प्रति श्रद्धा व भक्ति पैदा करती है। भवान की निर्मल मन से उपासना कभी बेकार नहीं जाती है। सदैव प्रभु का स्मरण करते रहें उसी में हम सभी का कल्याण है इस अवसर पर माधव बाल निकेतन के चेयरमैन नूतन श्रीवास्तव, पवन भटनागर श्रीमती रजनी मिश्रा, श्रीमती सीमा सक्सेना अधीक्षक ,श्रीमती रेनू मुकेश भटनागर ,संत कृपाल सिंह  बीज निगम के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक मुन्ना लाल गोयल,महंत दिलीप शर्मा, भाजपा जिला अध्यक्ष भाई चौधरी ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सोनाकिया देवेंद्र दुबे लक्ष्मी श्रीवास्तव धर्मेंद्र जैन पूर्व जीडीए अध्यक्ष रविंद्र सिंह राजपूत ,शर्मा ,रामदास मिश्रा, अंकित राजपूत विनय जैन, हेमंत चोपड़ा, श्रीमती पुष्पा तिवारी ,श्रीमती उमा शर्मा ,सलोनी चांडाल उपस्थित थे

Popular Posts