अद्भुत हैं शिवलहरा की अभिलेखित गुफाएँ

अमरकंटक से महज 125 कि.मी. और अनूपपुर जिला मुख्यालय से 50 कि.मी. की दूरी पर दारसागर ग्राम पंचायत के अंतर्गत शिवलहरा नामक स्थल पर शैलोत्कीर्ण गुफा मौजूद है। भालूमाडा से लगभग 3 कि.मी. की दूरी पर केवई नदी के बायें तट पर स्थित चेरी गोदडी, दुर्वासा एवं सीतामढ़ी गुफा में प्रथम शताब्दी ईस्वी की ब्राह्मी लिपि शिलालेख, प्राकृत भाषा में मूल्देव अमात्य के द्वारा लेख उत्कीर्ण है। 
म.प्र. टूरिज्म बोर्ड द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से अमरकंटक को राष्ट्रीयस्तर के पर्यटन नक्शे पर जोड़ने हेतु विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा। 
शिवलहरा धाम देश की अमूल्य प्राचीनतम धरोहर होने के साथ साथ स्थानीय आस्था का भी प्रतीक माना जाता रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित इन गुफाओं में रखी मूर्तियों, और इनमे पाए जाने वाले अभिलेखों को देखने दूर दूर से सैलानी यहाँ आते हैं। शिवलहरा की गुफाएँ तथा केवई नदी का तटवर्ती क्षेत्र अत्यंत मनोहारी दृश्य उपस्थित करता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशाल मेला लगता है और हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं। इसके अलावा भी बड़ी संख्या में पर्यटक तथा आस पास के निवासी आमोद-प्रमोद के लिए यहाँ आते रहते हैं। यह गुफाएँ मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु सम्पूर्ण देश के गुहा वास्तु के विकास को समझने की दृष्टि से विशिष्ट स्थान रखती हैं। इनके बारे में अभी विद्वत जगत को भी अधिक जानकारी नहीं है। गुफाओं की भित्तियों पर ईस्वी सन की आरंभिक शताब्दियों के शिलालेख लिखे होने के कारण यह गुफाएँ और भी महत्वपूर्ण हो गयी हैं | जिस वजह से भारतीय पुरालिपि के विकास, प्राकृत भाषा के विकास और अभिलेख शास्त्र के मूलभूत तत्वों को समझने के लिए अनुसंधानकर्ताओं के लिए इन गुफाओं की महत्ता निर्विवाद है। जिला प्रशासन और मध्य प्रदेश टूरिज्म द्वारा पर्यटकों की सुविधा हेतु अथक प्रयास निरंतर किये जा रहे हैं साथ ही स्थानीय जन समुदाय से संवाद कर पर्यटन जागरूकता पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है |

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