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धौलपुर-करौली-गंगापुर रेल परियोजना के पहिए थमे


* कैलादेवी दर्शन का श्रद्वालुओं सपना रहा अधूरा,डांग इलाके की जीवन रेखा है परियोजना 
 -प्रदीप कुमार वर्मा
धौलपुर। पूर्वी राजस्थान की बहु प्रतीक्षित रेल परियोजनाओं में शुमार धौलपुर-करौली-गंगापुर रेल परियोजना का काम बीते कई दशकों से अभी भी अधर में लटका है। सरकार तथा उच्च रेल प्रशासन की उदासीनता के चलते ऐसा लगता है कि डांग इलाके के धौलपुर और करौली जिलों को सुविधाजनक रेल संपर्क मुहैया कराने वाली इस परियोजना के पहिए थम से गए हैं। हालात ऐसे बने हैं कि धौलपुर-करौली-गंगापुर रेल परियोजना के पूरा होने में अभी दिल्ली दूर है, और ट्रेन से कैलादेवी दर्शन को जाने वाले श्रद्धालुओं  का सपना भी अभी अधूरा है।

करीब पंद्रह साल पूर्व धौलपुर जिले के सरमथुरा कसबे में धौलपुर-करौली-गंगापुर रेल परियोजना का शिलान्यास तत्कालीन रेल राज्यमंत्री जय सूर्यप्रकाश रेड्डी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था। धौलपुर और करौली जिलों के डांग इलाके को विकास के मानचित्र पर लाने वाली धौलपुर-करौली-गंगापुर रेल परियोजना दो चरणों में पूरी होनी है। पहले चरण में धौलपुर से सरमथुरा के बीच में नैरागेज से ब्राडगेज में आमान परिवर्तन होगा। वहीं, दूसरे चरण में सरमथुरा से करौली होते हुए गंगापुर तक रेल विस्तार की योजना है। इससे धौलपुर जिले का रेल संपर्क करौली और गंगापुर होते हुए पश्चिम रेलवे के जयपुर-कोटा रूट से हो जाएगा। वहीं, जयपुर से दक्षिण भारत की ओर जाने के लिए उत्तर मध्य रेलवे के धौलपुर जंक्शन के जरिए एक नया रेल कॉरिडोर बन सकेगा।

 धौलपुर-करौली- गंगापुर रेल परियोजना को वर्ष 2010-11 के बजट में मंजूरी मिली थी। इसके दो साल बाद वर्ष 2012-13 में परियोजना से संबधित सर्वे का काम पूरा किया गया। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि 144.6 किलोमीटर लंबाई वाली इस रेल परियोजना की प्रस्तावित लागत 2030.50 करोड़ रुपए है। इस रेल लाईन पर करीब बीस रेलवे स्टेशन बनेंगे। इनमें धौलपुर के अलावा नुरपुरा, गढ़ी सांदरा, सुरोठी, मोहारी, रनपुरा, आंगई, कांकरेट, बरौली, सरमथुरा, बडागांव एवं टिटवाई, करौली, कैलादेवी रोड, नया आटा, करगांव तथा गंगापुर सिटी शामिल हैं।

धौलपुर एवं करौली जिले के डांग इलाके की लाइफ लाइन कही जाने वाली नेरोगेज ट्रेन करीब डेढ़ सौ साल पहले धौलपुर रियासत के तत्कालीन शासकों द्वारा सैंड स्टोन के परिवहन के लिए नेरोगेज ट्रेन शुरू की गई थी। कोरोना संकट के शुरू में वर्ष 2020 में 22 मार्च को पूरे देश मे ब्राडगेज के लॉकडाउन के साथ साथ धौलपुर में नैरोगेज ट्रेनों के थम गए थे। इसके साथ ही नैरोगेज सैक्शन आधा दर्जन ट्रेनों 52179 धौलपुर सरमथुरा, 52180 धौलपुर, 52181 सरमथुरा- धौलपुर-तांतपुर, 52182 तांतपुर-बाडी, 52183 बाडी-सरमथुरा तथा 52184 सरमथुरा-धौलपुर जैसी का संचालन बंद कर दिया था।  कोरोना संकट के खत्म होने के बाद देश में ब्रॉड गेज की बहाली हो गई,लेकिन वर्ष 2023 में रेल कन्वर्जन का हवाला देते हुए नेरोगेज ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद कर दिया गया। जबकि, धौलपुर एवं करौली जिले में फैले डांग क्षेत्र में नैरोगेज  ही आवागमन का जरिया है।

हिंदू कैलेंडर के चैत्र माह के नवरात्र में देश के प्रसिद्ध लोकतीर्थ कैला देवी मंदिर पर लख्खी मेला लगता है। इस मेले में राजस्थान के साथ-साथ देश और दुनिया से बड़ी संख्या में मां केला के भक्त शिरकत करते हैं। चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के मुताबिक इस बार करौली-धौलपुर सीट पर मतदान चैत्र माह में ही 19 अप्रैल को होना है। जिसके चलते भी धौलपुर-करौली-गंगापुर रेल परियोजना फिर से चर्चा में है। संभवत: देश की सर्वाधिक चर्चित एवं बहू प्रतिशत इस रेल परियोजना को पूरा करने के कसमे-वादे खाकर कई जनप्रतिनिधि लोकसभा के दहलीज चढ़ चुके हैं। लेकिन लोकतंत्र में भाग्य विधाता कहे जाने वाले मतदाता को अभी भी कैला देवी जाने के लिए इस ट्रेन में चढ़ने का इंतजार बाकी है।

परियोजना का काम हुआ शुरू,जल्द होगा पूरा : सांसद
इस संबंध में करौली-धौलपुर के वर्तमान सांसद डा. मनोज राजोरिया ने बताया कि धौलपुर-करौली-गंगापुर रेल परियोजना के पहले चरण में धौलपुर से सरमथुरा तक नैरोगेज से ब्रॉडगेज आमान परिवर्तन किया जाना है। इसके लिए आवश्यक 194.12 हैक्टेयर में से 106.35 हैक्टेयर भूमि के अवाप्ति के प्रस्ताव धौलपुर जिला कलेक्ट्रेट में प्रक्रियाधीन हैं। इस चरण में 63.42 करोड के 03 टेण्डर और 96 करोड का एक टेण्डर हो चुके हैं, जिनका कार्य प्रक्रियाधीन है। जबकि, 286 करोड का एक टेण्डर आमंत्रित किया जा चुका है, जिसे अभी निर्धारित किया जाना है।  इसके द्वितीय चरण में सरमथुरा से करौली होते हुए गंगापुरसिटी तक नवीन रेल लाईन डालने के कार्य को उत्तर मध्य रेलवे से उत्तर पश्चिम रेलवे जयपुर को स्थानांतरित करवाया गया है। द्वितीय चरण में सरमथुरा से गंगापुर सिटी तक सर्वे का कार्य पूर्ण हो चुका है। जिसकी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजी जा चुकी है।

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