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आज बाबर हुमायूं भी होते तो राममंदिर विध्वंस की अपनी गलती मानतेः राघव ऋषि

- प्रदीप मिश्रा के ऊपर नारियल फेंकना गलत, रजोधर्म में महिला का मंदिर जाना धर्म पर आघात
(विनय अग्रवाल)
ग्वालियर । राममंदिर के निर्माण को सर्व कल्याण की दृष्टि से देखना चाहिये, राममंदिर का निर्माण कराना भी वर्तमान सरकार का राजधर्म ही है। इसका सभी को स्वात करना चाहिये। अर आज बाबर और हुमायूं भी होते तो वह भी इस बात को मानते कि उन्होंने उस काल में लत किया। उक्त उदगार आज प्रख्यात ज्योतिषाचार्य एवं भावताचार्य राघव ऋषि ने व्यक्त किये। उन्होंने एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि राममंदिर का जो विरोध कर रहे हैं वह केवल निजी स्वार्थ के कारण ही कर रहे हैं। राघव ऋषि ने कथावाचकों से उल जुलूल व्याख्यों से भी बचने का आग्रह किया।
ज्योतिषाचार्य राघव ऋषि ने शिवमहापुराण के प्रसिद्ध वक्ता प्रदीप मिश्रा पर कल नारियल फेंकने की घटना की  भर्त्सना की। उन्होंने कहा कि यह जानकर उन्हें बेहद दुख हुआ है। प्रदीप मिश्रा को इससे चोट लगी हैं। धर्मप्रेमियों को पूरी मर्यादा का पालन करना चाहिये। राघव ऋषि महाराज ने कहा कि जो भगवत भक्त होता है वह तो बात को सही ढंग से सुनता है और उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता जबकि वहीं नकारात्मक व्यक्ति वाणी या किसी अन्य प्रकार से प्रतिक्रिया कर इस प्रकार की घटना को अंजाम दे देता है। उन्होंने कहा कि लोगों को सभी का सम्मान करना चाहिये। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के प्रति उनकी सहानभूति हैं। उन्होंने  एक उदाहरण देते हुये कहा कि जब व्यक्ति सूर्य को देखकर उसके उपर थूकता है तो वह थूक थूकने वाले के उपर ही गिरकर उसे गंदा कर देता है। उन्होंने कहा कि क्रोध उस तरह होता है जिससे व्यक्ति को हानि ही होती है।
भारत अब टैब आफ स्टेज की ओर
एक प्रश्न के जबाब में उन्होंने कहा कि कथा भक्ति को बढाने के लिये होती है। श्रोताओं को हृदय से चाहिये कि भक्ति को बढायें। उन्होंने थाईलैंड के राजा का उदाहरण देते हुये कहा कि उन्होंने  राजधर्म का पालन किया जिससे लोग द्वारा राजा की तस्वीर तक को अपने घरों में लगाते हैं ऐसे धर्म के प्रति प्रसन्नता होती है। उन्होंने कहा कि देश में अब जो विकास हो रहा है जिससे भारत में टैब आफ स्टेज अब आगे जा रहा है जिससे सभी का मंगल काम होगा। उन्होंने  कहा कि सरकार को राजधर्म का पालन करते हुये राष्ट्र का विकास करना चाहिये यही वर्तमान सरकार कर रही है। राम मंदिर के बारे पूछे एक प्रश्न के उत्तर में राघव ऋषि ने कहा कि राम मंदिर निर्माण को सर्व कल्याण की दृष्टि से देखना चाहिये। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का जो विरोध कर रहे हैं वह केवल निजी स्वार्थ के कारण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को स्वार्थ को छोडकर स्वच्छ राजनीति करनी चाहिये तभी विकास होगा। उन्होंने कहा कि यदि आज बाबर और हुमायूं होते तो वह भी कहते कि हमने उस काल में गलत किया।
रजोधर्म में मंदिर जाना धर्म पर आघात 
उन्होंने कहा कि किसी भी बात में विरोधी होना जरूरी है। उन्होंने एक कविता को पढकर कहा कि निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाय का उदाहरण रखा। उन्होंने आजकल सोशल मीडिया पर कुछ संतों कथा वाचकों द्वारा अपनी बात का उल्लेख करने के बारे में पूछे जाने पर राघव ऋषि ने कहा कि कुछ संतों की बातों से विपश्ना होती है। इससे आत्म ज्ञान नहीं होता। उन्होंने एक कथा वाचिका की टिप्पणी पर कि माताएं रजोधर्म में भी मंदिर जा सकती हैं को धर्म पर करारा आघात निरूपित किया। उन्होंने  कहा कि ऐसी बातें स्वार्थ सिद्धि के लिए है जो गलत है। उन्होंने कहा कि यह सत्य का आचरण करना चाहिये।
राम मंदिर के बाद काशी और मथुरा के बारे में पूछे जाने पर राघव ऋषि ने कहा कि काशी का मंदिर में तोड़कर मस्जिद बनाया गया था। मथुरा में भी ऐसा ही हुआ था। उन्होंने कहा कि लोगों को सत्य को स्वीकार करना चाहिये। और सत्य ही आस्था का केन्द्र बनेगा। संतों की बाढ़ सी आने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि संता और संत वेश दोनों में बड़ा अंतर होता है। वास्तव में जो दिखाई देती है वह संतता नहीं है। उन्होने कहा कि संत का वेश पहनने से ही संत नहीं हो जाते हैं। उन्होंने लायंस क्लब के लोगों का उदाहरण देते हुये कहा कि ऐसे लोग भी संत हैं जो ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए ब्लड उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा कि संत कोई भी हो सकता है। संत जो अनावश्यक बात करते हैं ऐसा नहीं होना चाहिये।

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