दिल उदास कर गये पंकज उधास



*जब ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर ही गजल सुनाने लगे पंकज उधास*
  
       प्रख्यात गजलकार पंकज उधास आज जब नहीं रहे तो उनकी याद ताजा होना लाजिमी है। बात करीब 20- 22 साल पुरानी होगी पंकज उधास जी ग्वालियर व्यापार मेला को अपनी नशीली आवाज से मदहोश करने आए थे। कड़ाके की हाड़ कँपा देने वाली ठंड में मेले के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मजा लेना अलग ही अनुभव रहता था जो  आगे शायद ही अगली पीढ़ी को नसीब हो। खैर पंकज जी ने जमकर ग्वालियरवासियों को उनकी  फरमाइश की गजलें सुनाकर संगीत के नशे में तरबतर किया।
     रात तक चले कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद ठंड में काँपते हुए घर पहुंचकर बिस्तर में घुसे ही थे की हमारे बचपन के बड़े भाई समान  मित्र Manish Singh  भदोरिया जी का फ़ोन आया कि जल्दी से स्टेशन आजाओ यहां पंकज उधास जी बैठे हैं। मैंने कहा मैं उन्हें मेले से सुनकर आ रहा हूँ, फिर भी वो बोले आ जाओ तो मैं हिम्मत करकर सर्दी की परवाह न करते हुए स्टेशन पहुंचा तो पंकज जी  चिल्ला जाड़े  में रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म 2 पर  खड़े होकर अपनी ट्रैन का इंतजार कर रहे थे, उनकी ट्रैन 1 घंटे से ज्यादा लेट थी और वो होटल से निकल आए थे। 5-7 लोग उनके पास खड़े थे। मैंने कुछ फोटो क्लिक किये फिर कुछ बातें उनके साथ हुईं उसके बाद उनसे जब कुछ सुनाने की गुजारिश की तो शुरुआती संकोच के बाद वो वहीं प्लेटफार्म पर जो टीसी और रेलवे गार्ड  लोग का काला बड़ा बक्सा होता है उसपर बैठ गये और बक्से पर तबले की थापों के बीच गुनगुनाने लगे। उस समय उनकी प्रसिद्धि बुलंदी पर थी। देश विदेश के प्रख्यात गजलकार जिन्होंने कैरियर के लिए अपने घर, परिवार एवं देश को  छोड़कर  विलायत जाने वाले युवाओं को फ़िल्म नाम के
"चिठ्ठी आई है, आई है, चिठ्ठी आई है"
जैसे गीत से युवाओं के दिलों में अपनी पकड़ बनाई थी, को इस प्रकार अपने चंद प्रशसकों की फरमाइश पर इस प्रकार स्टेशन पर सुनाना उनकी सादगी को दर्शाता है कि वो बिना एटिट्यूड वाले कलाकार थे।
ग्वालियर से उनका एक रिश्ता औऱ यादगार है, कि उन्होंने ग्वालियर के प्रसिद्ध शायर जनाब नसीम रिफयत सहाब द्वारा लिखी गजल-

"ठंडी हवा के झोंके चलते हैं हल्के हल्के
ऐसे में दिल न तोड़ो, वादे करो न कलके"
को अपनी आवाज दी थी।

इस ग़ज़ल की लाइनें-

"बिस्तर की सलवटों से महसूस हो रहा है,
तोड़ा है दम किसी ने करवट बदल बदल कर"

उस समय आज कुमार विश्वास की 'कोई दीवाना कहता है' कि तरह युवाओं में लोकप्रिय थीं। परंतु इसके लिए इसके लिए जाने- अनजाने में उन्होंने नसीम साहब को क्रेडिट नहीं दिया था, जिसके लिए उन्होंने नसीम साहब से माफ़ी माँगी ओर जिस दरियादिली के लिए ग्वालियरवासी जाने जाते हैं, नसीम साहब ने उन्हें माफ़ कर दिया था । जिसे उन्होंने ग्वालियर में प्रेसवार्ता में खुले दिल से स्वीकार किया था।

???????????? पंकज उधास जी को सादर नमन, विनम्र श्रद्धांजलि???? ????????
- रवि उपाध्याय 

posted by Admin
165

Advertisement

sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
sandhyadesh
Get In Touch

Padav, Dafrin Sarai, Gwalior (M.P.)

00000-00000

sandhyadesh@gmail.com

Follow Us

© Sandhyadesh. All Rights Reserved. Developed by Ankit Singhal

!-- Google Analytics snippet added by Site Kit -->